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स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण, लोगों ने अस्पताल प्रंबधन की शिकायत

स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण, लोगों ने अस्पताल प्रंबधन की शिकायत

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स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण, लोगों ने अस्पताल प्रंबधन की शिकायत

राजगढ़/ब्यावरा@राजेश विश्वकर्मा की रिपोर्ट...

सीआरएम (कॉमन रिव्यू मिशन) टीम के आने से पहले प्रदेश स्तरीय स्वास्थ्य अमला कोई कमी नहीं छोडऩा चाहता। तीन दिन से जिले में ही ठहरी हुई दो अलग-अलग टीमों ने बुधवार को सिविल अस्पताल ब्यावरा का निरीक्षण किया।
सिविल अस्पताल के सैकेंड फेस की नई बिल्डिंग में पहुंचे ज्वाइट डायरेक्टर डॉ. मोहनसिंह को लोगों और मरीजों को परिजनों ने घेर लिया। इससे पहले कि वे व्यवस्थाओं का जायजा लेते लोगों ने उन्हें कहा कि यह अस्पताल नाम मात्र का है। यहां मरीज का उपचार तो दूर की बात है कोई सुनता तक नहीं है।

सुठालिया रोड निवासी दुर्गा शाक्यवार और राजू चौरसिया ने बताया कि हम मृत्यु प्रमाण-पत्र के लिए तीन दिन से भटक रहे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है। पूरे अस्पताल की जवाबदारी लेने वाला कोई नहीं है। न डॉक्टर्स ढंग से बात करते हैं न अन्य स्टॉफ। मशीनरी है तो उसे चलाने वाला नहींं। ऐसी तमाम बातों को लेकर डॉ. सिंह को लोगों ने घेर लिया और समाधान करवाने की मांग की। इस पर उन्होंने हाथों हाथ प्रमाण-पत्र दिलवाया साथ ही अन्य व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए। इसके बाद उन्होंने कोल्ड चैन, लैब, ब्लड बैंक, मैटरनिटी वार्ड, लेबर रूम, ओपीडी, महिला परीक्षण कक्ष इत्यादि का निरीक्षण किया। सामने आई विभिन्न प्रकार की खामियों को दुरुस्त करने के निर्देश भी उन्होंने दिए।

सीआरएम के लिए चुने प्रदेश में दो जिले
देशभर में प्रति वर्ष होने वाली सीआरएम विजिट के लिए मप्र से बैतूल और राजगढ़ को चुना गया है। इसमें वर्षभर होने वाली शासन की विभिन्न योजनाओं का फीडबैक लिया जाता है, साथ ही किस तरह से वह काम कर रही है उसकी ओव्हरऑल जानकारी ली जाती है। नीति आयोग के आंकड़ों में पिछड़े जिलों में शामिल होने के कारण राजगढ़ को इस कैटेगिरी में रखा गया है। पूरा फोकस मैटरनिटी और कुपोषण पर किया जा रहा है।

सुबह आए डिप्टी डायरेक्टर, ली रेफरल केस की जानकारी
इससे पहले सुबह 10 बजे पब्लिक हेल्थ और एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. प्रमोद गोयल ने सिविल अस्पताल का निरीक्षण किया। उन्होंने पहले ओपीडी में जानकारी जुटाई फिर मैटरनिटी का रिकॉर्ड खंगाला। यहां से रेफर होने वाले केसेस पर उन्होंने चिंता जताई। इस पर विभाग ने एनेस्थैटिक नहीं होने का तर्क दिया। खासतौर पर डॉ. गोयल ने संक्रामक बीमारियों को लेकर लैब में होने वाली विभिन्न जांचों का निरीक्षण किया।

हर स्तर पर दूर कर रहे हैं परेशानियां
जो चैलेंजेस स्वास्थ अमले को मिले हुए हैं, उन्हें हम हर स्तर पर दूर करने की कोशिश में जुटे हैं। नीति आयोग के हिसाब से जो चीजें हमारे सामने आ रही हैं और चुनौती बनी हुई हैं उन्हें हम दूर कर रहे हैं।
-डॉ. मोहन सिंह, क्षेत्रीय स्वास्थ्य संचालक, भोपाल