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वो देखते रहे, परिजनों ने खुद संभाली मरीज की बॉटल

ब्यावरा में लडख़ड़ाती स्वास्थ्य सुविधाएं, न नर्सिंग स्टॉफ ने हाथ लगाया न ही सफाईकर्मी और सहयोगियों ने सहयोग किया

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ब्यावरा में लडख़ड़ाती स्वास्थ्य सुविधाएं, न नर्सिंग स्टॉफ ने हाथ लगाया न ही सफाईकर्मी और सहयोगियों ने सहयोग किया

वो देखते रहे, परिजनों ने खुद संभाली मरीज की बॉटल

ब्यावरा. जिले में करोड़ों रुपए का सरकारी बजट सिर्फ स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने के बाद भी आम जनता को न तो ढंग का इलाज मिल पा रहा है न ही स्टाफ का मानवीय व्यवयहार। हाल ये है कि अस्पताल में स्टॉफ बला टालने की तर्ज पर काम करता है। डॉक्टर्स हो या नर्सिंग स्टॉफ या अन्य प्रकार का स्टॉफ सभी 8 से 2 और फिर 2 से 9, रात में 9 से 8 की ड्यूटी को औपचारिक तौर पर करने के हिसाब से अस्पताल पहुंचते हैं। दरअसल, शुक्रवार को सिविल अस्पताल में ऐसी ही अव्यवस्थाओं का चित्र देखने को मिला। जहां आधा दर्जन से अधिक पैरामेडिकल स्टॉफ, वार्ड बॉय और सफाईकर्मियों के होने के बावजूद एक घबराकर जा रही महिला मरीज को स्ट्रेचर पर बैठाने वाला कोई नहीं मिला। न ही नर्र्सिंग स्टॉफ ने बेड पर जाकर बॉटल लगाने की जहमत उठाई। मजबूरन महिला के बच्चे को एक हाथ में बॉटल पकडऩा पड़ी और दूसरी और बुजुर्ग मां ने महिला को संभाला। पास के अरन्या गांव की रहने वाली बादामबाई पति कैलाश जाटव (३०) अपना इलाज करवाने आई थीं।

वार्ड में वे भर्ती थीं, बॉटल लगाने कोई नर्सिंग स्टॉफ ने बेड तक जाने का कष्ट नहीं उठाया, इस पर जैसे-तैसे गिरते-पड़ते वह पहुंची। बॉटल लगा देने के बाद महिला को घबराहट हुई, लेकिन उनकी मां और बेटे ही उन्हें जैसे-तैसे ले गए, किसी स्टॉफ ने हाथ तक उन्हें नहीं लगाया।
हाथ में पकड़ा देते हैं रोटी-सब्जी
खाना बांटने की व्यवस्था भी यहां अजीब है। कर्मचारी मरीज को किसी भिखारी की तरह खाना बांटा जाता है। खाना बांटने वाली गाड़ी वार्डों में जाती जरूर है, लेकिन मरीजों या उनके परिजनों को बाहर आकर अपने ही बर्तन या हाथ में ही खाना लेना होता है। ठेकेदार और संबंधित कर्मचारी इसी तरह से हर दिन खाना बांटते हैं।

नया ट्रेंड... बॉटल लगवाने वार्ड से नर्स के पास जाता है मरीज
ब्यावरा अस्पताल में उपचार का नया ट्रेंड शुरू हुआ है, जहां भरपूर नर्सिंग स्टॉफ, दर्जनों ट्रेनी जीएएम स्टूडेंट होने और वार्ड बॉय भी होने के बावजूद मरीजों को वार्ड में भर्ती रहने के दौरान भी नर्स के पास इंजेक्शन कक्ष में जाना होता है। यानि वे वार्ड में पलंग तक पहुंचकर निडिल नहीं लगातीं, चाहे मरीज कितना ही गंभीर क्यों न हो? प्रत्येक मरीज को बॉटल लगवाकर अपने ही हिसाब से जाना होता है।
यह कृत्य गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। वहां के ड्यूटी डॉक्टर और प्रबंधन को इस पर ध्यान देना चाहिए था। हम जांच करवाते हैं, इसके लिए जो दोषी होगा उन पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
-हर्ष दीक्षित, कलेक्टर, राजगढ़।