27 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

स्कूल जाने से पहले दौड़ती थी बेटी, वर्दी में लौटी तो घोड़े पर बिठाकर निकाला जुलूस

गांव की पगडंडियों पर दौडऩे वाली बेटी अब देश की सेवा कर गांव का नाम रोशन करेगी, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल में चयन होने से बेटी का नहीं बल्कि पूरे जिलेवासियों का गर्व से सीना चौड़ा हो गया.

2 min read
Google source verification
स्कूल जाने से पहले दौड़ती थी बेटी, वर्दी में लौटी तो घोड़े पर बिठाकर निकाला जुलूस

स्कूल जाने से पहले दौड़ती थी बेटी, वर्दी में लौटी तो घोड़े पर बिठाकर निकाला जुलूस

राजगढ़. स्कूल जाने से पहले गांव की पगडंडियों पर दौडऩे वाली बेटी अब देश की सेवा कर गांव का नाम रोशन करेगी, भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस बल में चयन होने से बेटी का नहीं बल्कि पूरे प्रदेशवासियों का गर्व से सीना चौड़ा हो गया, ऐसे में जब 11 माह की ट्रेनिंग पूरी करके बेटी गांव में लौटी तो घोड़े पर बिठाकर दूल्हे की तरह जुलूस निकाला गया, जिसमें काफी संख्या में ग्रामीण देशभक्ति के नारे लगाते हुए चल रहे थे।


जानकारी के अनुसार राजगढ़ जिले के पचोर तहसील के अंतर्गत आनेवाले गांव गुलखेड़ी कला निवासी उमा भिलाल (24) पिता निराकार भिलाला का चयन भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस में हुआ है, बेटी ने करीब 11 माह की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जब गांव में प्रवेश किया, तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई, गांव वालों ने बेटी को घोड़े पर बिठाकर भव्य जुलूस निकाला, जिसमें बेटी सहित गांव वालों ने भी जमकर डांस किया। इस दौरान ढोल-ढमाकों के साथ बेटी का स्वागत किया तो परिजनों की आंखें भी खुशी से नम हो गई।

यह भी पढ़ें : पैसा कमाने का बेहतर सोर्स बन रही मूंग, जानिये कैसे मिल रहा लाभ

पिता मैकेनिक हैं बेटी सुबह 5 बजे से करती थी मेहनत
उमा के पिता निराकार मैकेनिक का काम करते हैं , उमा को शुरू से ही फौज में जाने की चाहत थी, इसी के चलते वह स्कूल जाने से पहले करीब एक से डेढ़ घंटे तक रोज दौड़ लगाती थी। उसकी मेहनत रंग लाई, उमा ने कक्षा 5 वीं तक की पढ़ाई गांव के ही शासकीय विद्यालय से की, इसके बाद उसका चयन नवोदय विद्यालय में हो गया, वहीं से उमा ने तैयारी करते हुए पढ़ाई की, उमा ने करीब दो साल तक आंध्रप्रदेश के एक स्कूल में बच्चों को भी पढ़ाया, खुद भी पढ़ती थी और फौज में जाने के लिए तैयारी भी करती थी, सच्ची मेहनत और लगन का नतिजा निकला आज वह वर्दी पहनकर गांव में लौटी है।