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CG Election 2023 : चुनावी रण में कूद पड़े हैं पांच जिला पंचायत सदस्य

CG Election 2023 : भारतीय जनता पार्टी ने तो जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को विधानसभा की टिकट देकर चुनावी रण में भेजा है

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cg election 2023 : अविभाजित राजनांदगांव की छह सीटों पर गौर करें तो इस बार 5 जिला पंचायत सदस्य विधानसभा चुनाव के लिए मैदान में उतरे हैं। भारतीय जनता पार्टी ने तो जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को विधानसभा की टिकट देकर चुनावी रण में भेजा है। कांग्रेस ने एक महिला जिला पंचायत सदस्य को मौका दिया है। कुछ जिला पंचायत सदस्य पार्टी से टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर चुके हैं।

भाजपा ने खुज्जी विधानसभा से इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष गीता घासी साहू को प्रत्याशी बनाया है। गीता ने जिला पंचायत का चुनाव लडकऱ राजनीतिक पारी की शुरुआत की। वहीं भाजपा ने खैरागढ़ सीट से जिला पंचायत उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। विक्रांत नगर पालिका से लेकर जनपद की राजनीति में भी सक्रिय रहे हैं। जनपद से सीधे जिला पंचायत तक का सफर तय किया और अब प्रत्याशी हैं। खैरागढ़ सीट से कांग्रेस ने यशोदा वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यशोदा भी पूर्व जिला पंचायत सदस्य हैं।

सदस्य ने पार्टी से दे दिया इस्तीफा

इधर कांग्रेस ने डोंगरगढ़ विधानसभा सीट से जिला पंचायत सदस्य हर्षिता स्वामी बघेल को प्रत्याशी बनाया है। हर्षिता छात्र राजनीति से सक्रिय हुईं और जिला पंचायत का चुनाव लड़कर अब सीधे विधानसभा तक पहुंचने कवायद कर रही हैं। खुज्जी विधानसभा में जिला पंचायत सदस्य ललिता कंवर ने भाजपा से इस्तीफा देकर हमर राज पार्टी का दामन था और इस पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनकर चुनाव मैदान में उतरी हैं।

ये भी जिला पंचायत में रहे हैं सक्रिय
आदिवासी बाहुल्य सीट मोहला-मानपुर से जिला पंचायत सदस्य विरेन्द्र मसिया चुनाव मैदान में हैं। डोंगरगढ़ विधानसभा सीट से जिला पंचायत सदस्य राजेश श्यामकर ने भी नामांकन दाखिल किया था पर शनिवार को नाम वापस लेते हुए भाजपा प्रत्याशी को समर्थन दे दिया है। डोंगरगांव के विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी दलेश्वर साहू भी जिला पंचायत की राजनीति से विधानसभा तक पहुंचे हैं। यहां के भाजपा प्रत्याशी भरत वर्मा भी पूर्व में जिला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके हैं।

मौका मिलने की वजह
राजनीति के जानकारों का कहना है कि एक जिला पंचायत सदस्य के क्षेत्र में 25 से 30 गांव आते हैं। सदस्य का चुनाव जीतने के बाद इन क्षेत्रों में सक्रिय रहकर अपनी पकड़ मजबूत की जा सकती है। यही वजह है कि ज्यादातर राजनीतिक दल जिला पंचायत सदस्यों पर चुनावी दांव खेलती है। बीते 2018 के चुनाव में कांग्रेस से जिला पंचायत सदस्य रहीं छन्नी साहू और भुनेश्वर बघेल को मौका दिया था। दोनों पांच साल विधायक रहे।