
राजनांदगांव। CG Election 2023: प्रदेश में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक दृष्टि से खास माना जाता है। इस विधानसभा से समाजवादी विचारधारा तो कभी श्रमिक संगठनों से जुड़े नेताओंं ने नेतृत्व किया। दौर ऐसा भी आया कि इस विधानसभा से चुनाव जीतकर भारतीय जनता पार्टी से डॉ. रमन सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। राजनांदगांव विधानसभा के अब तक के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो यहां के मतदाताओं ने अभी तक केवल एक बार ही निर्दलीय प्रत्याशी पर भरोसा जताया और भारी मतों से विजयी बनाकर विधानसभा तक पहुंचाया था। 1980 के दौर में राजनांदगांव के मतदाताओं ने स्व. पंडित किशोरी लाल शुक्ला को निर्दलीय प्रत्याशी होने के बाद भी जीत दिलाकर विधानसभा में प्रतिनिधित्व के लिए भेजा था।
1980 में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में कुल 76,380 मतदाता थे। वैध मतों की संख्या 42,994 थी। इस सीट से निर्दलीय प्रत्याशी स्व. किशोरीलाल शुक्ला जीते और विधायक बने। उन्हें कुल 23,195 वोट मिले। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार पाशा वकील 12,253 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। वे 10,942 वोटों से हार गए थे। इसके बाद से अब तक एक भी निर्दलीय (Election) प्रत्याशी की राजनांदगांव विधानसभा से जीत नहीं हुई है।
मजदूर संघ के नेता रहे सक्रिय
राजनांदगांव में श्रमिक नेताओं और समाजवादी विचारधारा के नेताओं का बोल-बाला था और वे ही चुनावी मैदान में नजर आते थे। बीएनसी मिल, यहां के राइस मिल और पोहा, मुरमुरा उद्योगों के मजदूर संगठन का नेतृत्व करने वाले नेताओं को मतदाता मौका देते रहे हैं।
दूसरे नंबर पर थे निर्दलीय प्रेमनारायण
1985 के विधानसभा चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रत्याशी बलबीर खनूजा को 24815 वोट मिले थे। स्व. खनूजा श्रमिकों के हित में लड़ाई लड़ते थे। वहीं इनके विरुद्ध निर्दलीय प्रत्याशी प्रेम नारायण वर्मा खड़े थे। वर्मा भी श्रमिक संगठन से जुड़े हुए हैं। निर्दलीय होने के बाद भी वर्मा को 9461 वोट मिले थे। हालांकि यह चुनाव हार गए थे। लेकिन चुनाव में दूसरे नंबर पर थे।
1990 के बाद बदली राजनीतिक फिजा
राजनांदगांव में लंबे समय में समाजवादी विचारधारा और श्रमिक संगठनों का नेतृत्व करने वाले नेताओं का दौर चला पर 1990 के बाद राजनीतिक फिजा में बदलाव आया। 1990 में राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,12,693 मतदाता थे। भारतीय जनता पार्टी से स्व. लीलाराम भोजवानी को प्रत्याशी बनाया गयाा। वहीं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से श्रीकिशन खंडेलवाल प्रत्याशी थे।
भोजवानी को 29,686 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के श्रीकिशन को 19 हजार 131 वोट मिले। श्रीकिशन 10 हजार 555 वोटों से पराजित हो गए थे। इसके बाद भाजपा-कांग्रेस के बीच ही सीधी टक्कर होने लगी। निर्दलीय और अन्य पार्टियों का यहां वर्चस्व ही खत्म सा हो गया है।
Updated on:
10 Oct 2023 01:03 pm
Published on:
10 Oct 2023 09:56 am
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