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प्रेम, बलिदान और आस्था का प्रतीक है शिवनाथ नदी, जानें छत्तीसगढ़ की अमर प्रेमगाथा….

Symbol of Love (Shivnath River): छत्तीसगढ़ राज्य की एक प्रमुख और पवित्र नदी है, जो महानदी की सबसे लंबी सहायक नदी मानी जाती है।

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प्रेम, बलिदान और आस्था का प्रतीक है शिवनाथ नदी(photo-patrika)

प्रेम, बलिदान और आस्था का प्रतीक है शिवनाथ नदी(photo-patrika)

Symbol of Love (Shivnath River): शिवनाथ नदी (जिसे सियोनाथ नदी भी कहा जाता है) छत्तीसगढ़ राज्य की एक प्रमुख और पवित्र नदी है, जो महानदी की सबसे लंबी सहायक नदी मानी जाती है। यह नदी प्रदेश के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शिवनाथ नदी की कुल लंबाई लगभग 290 किलोमीटर (180 मील) है।

Symbol of Love (Shivnath River): छत्तीसगढ़ की लोककथा

यह नदी छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के पांड़ादाह गांव के समीप मैकल पर्वत श्रृंखला से निकलती है और पूर्व दिशा में बहती हुई जांजगीर-चांपा जिले के चंगोरी नामक स्थान पर महानदी में मिल जाती है। अपने मार्ग में यह नदी कई जिलों से होकर बहती है, जिनमें दुर्ग, कवर्धा, बेमेतरा, राजनांदगांव और बिलासपुर प्रमुख हैं।

शिवनाथ नदी न केवल सिंचाई और जल आपूर्ति का महत्वपूर्ण स्रोत है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पूजनीय मानी जाती है। इसके तटों पर कई धार्मिक स्थल, मेले और सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। इसके जल से हजारों किसानों की ज़मीनें सिंचित होती हैं, जिससे यह नदी क्षेत्र के कृषि-आधारित जीवन की जीवनरेखा कही जाती है।

शिवनाथ और फुलवासन की कहानी

शिवनाथ नदी से जुड़ी एक प्रसिद्ध लोककथा छत्तीसगढ़ के गढ़चिरौली जिले के एक छोटे से गांव में प्रचलित है। यह कथा शिवनाथ नामक एक साहसी और सदाचारी युवक तथा फुलवासन नाम की सुंदर और बुद्धिमती राजकुमारी के प्रेम की कहानी है। शिवनाथ और फुलवासन बचपन से ही एक-दूसरे से प्रेम करते थे।

जब फुलवासन विवाह योग्य हुई, तो राजा ने उसकी शादी एक पड़ोसी राज्य के राजकुमार से तय कर दी। लेकिन फुलवासन ने अपने पिता से विनती की कि वह केवल शिवनाथ से ही विवाह करेगी। राजा इस प्रेम को स्वीकार करने को राजी हो गया, लेकिन उसके भाइयों को यह रिश्ता नागवार गुज़रा। उन्होंने षड्यंत्र रचते हुए शिवनाथ को राज्यद्रोही घोषित करवा दिया और उसे सजा दिलाने की योजना बनाई।

शिवनाथ नदी: प्रेम, विश्वास और संघर्ष की प्रतीक

कहानी के अनुसार, शिवनाथ को बंदी बनाकर नदी के तट पर लाया गया, जहां उसे मारने की योजना थी। फुलवासन को जब इस साजिश का पता चला, तो वह अपने प्रेमी को बचाने के लिए वहां पहुंची। दोनों ने अपनी जान की बाजी लगाते हुए नदी में छलांग लगा दी।

कहते हैं कि तभी एक चमत्कार हुआ—नदी की धारा ने उन्हें अलग नहीं किया, बल्कि दोनों को एक साथ बहा ले गई, जैसे प्रकृति भी उनके प्रेम को स्वीकार कर रही हो। उसी दिन से इस नदी का नाम शिवनाथ पड़ गया, जो प्रेम, बलिदान और निष्ठा का प्रतीक मानी जाती है। आज भी स्थानीय लोग इस कथा को श्रद्धा और भावनाओं के साथ याद करते हैं, और शिवनाथ नदी को पवित्र मानते हैं।

सांस्कृतिक आस्था और सिंचाई परियोजना की जीवनरेखा

शिवनाथ डायवर्सन परियोजना एक मध्यम श्रेणी की सिंचाई परियोजना है, जो छत्तीसगढ़ की महत्वपूर्ण नदी शिवनाथ—जो कि महानदी की एक प्रमुख सहायक नदी है—पर निर्मित है। यह परियोजना राजनांदगांव जिले के चांदो गांव के पास स्थित है और राजनांदगांव शहर से लगभग 51 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय सिंचाई सुविधा को बेहतर बनाना है, जिससे आस-पास के कृषि क्षेत्र को पानी की पर्याप्त आपूर्ति मिल सके।

इस परियोजना के अंतर्गत निर्मित चिनाई (masonry) बांध की कुल लंबाई 275.0 मीटर और ऊंचाई 3.20 मीटर है। इस बांध के माध्यम से जल को डायवर्ट करके सिंचाई नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुँचाया जाता है। शिवनाथ डायवर्सन परियोजना न केवल स्थानीय कृषि उत्पादन में वृद्धि करती है, बल्कि यह क्षेत्रीय जल प्रबंधन और ग्रामीण आजीविका के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।