कृषि पर्यवेक्षकों की खासी कमी
किसानों से सीधे तौर कृषि पर्यवेक्षकों का जुड़ाव होता है। वह विभागीय किसानों को समय-समय पर विभागीय योजनाओं की जानकारी उन्हें देते हैं साथ ही खेती में हो रहे बदलाव, आदि की जानकारी भी देते हैं। ऐसे में किसान के लिए पर्यवेक्षक काफी अहम होता है, लेकिन जिले में स्वीकृत 155 पर्यवेक्षकों के मुकाबले में महज 80 ही कार्यरत हैं, जिससे किसानों को खासी छोटी-छोटी जानकारी के लिए भटकना पड़ता है।
सबसे ज्यादा समस्या देवगढ़ में
यूं तो जिलेभर में 60 प्रतिशत से ज्यादा विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के पद रिक्त है लेकिन देवगढ़ में यह समस्या सबसे ज्यादा है। यहां 80 फीसदी अधिकारी और कर्मचारियों के पद रिक्त है। यहां विभाग योजनाओं की क्रियांवयन के लिए सहायक निदेशक कृषि विस्तार, एक सहायक कृषि अधिकारी, 13 कृषि पर्यवेक्षक, एक वरिष्ठ सहायक, 1 कनिष्ठ सहायक, 1 चतुर्थ श्रेणी का पद ही भरा है जबकि अधिकारी कर्मचारियों के 48 पद रिक्त हैं।
यूं तो जिलेभर में 60 प्रतिशत से ज्यादा विभागीय अधिकारी कर्मचारियों के पद रिक्त है लेकिन देवगढ़ में यह समस्या सबसे ज्यादा है। यहां 80 फीसदी अधिकारी और कर्मचारियों के पद रिक्त है। यहां विभाग योजनाओं की क्रियांवयन के लिए सहायक निदेशक कृषि विस्तार, एक सहायक कृषि अधिकारी, 13 कृषि पर्यवेक्षक, एक वरिष्ठ सहायक, 1 कनिष्ठ सहायक, 1 चतुर्थ श्रेणी का पद ही भरा है जबकि अधिकारी कर्मचारियों के 48 पद रिक्त हैं।
इनका कहना है…
पद खाली होने से समस्या तो है, मौजूदा स्टाफ से ही काम चलाना पड़ रहा है। देवगढ़ में ज्यादा समस्या आ रही है। प्रयोगशाला सहायक के नहीं होने से मृदा जांच आदि में समस्याएं आती हैं। हमने विभाग को पद भरने के लिए प्रस्ताव भेज रखे हैं।
-डॉ. रविंद्र कुमार वर्मा, कृषि उपनिदेशक विस्तार, राजसमंद