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कुंभलगढ़. सोचिए, महज़ 75 किलोमीटर की दूरी और उस पर भी लग जाएं साढ़े तीन घंटे! यह सुनकर कोई भी चौंक सकता है, लेकिन यह रोज़ का सच है उन यात्रियों का जो केलवाड़ा से उदयपुर की ओर जाते हैं। जहां रोडवेज की बसें तेज़ी से यह दूरी डेढ़ घंटे में पूरी कर लेती हैं, वहीं निजी बसें बार-बार रुककर यात्रियों की सहनशक्ति की कड़ी परीक्षा ले रही हैं।
इस मार्ग से लगभग 15 गांवों और कस्बों के लोग जुड़े हैं। करीब 20–25हज़ार की आबादी हर दिन उदयपुर तक पहुंचने के लिए इन्हीं बसों पर निर्भर है। चाहे ऑफिस जाने वाले कर्मचारी हों, छात्र हों या फिर व्यापार करने वाले लोग—सबके लिए यह सफर थकाऊ और चिड़चिड़ा हो चुका है।
उदाहरण लीजिए – उदयपुर से जयपुर वाया केलवाड़ा जाने वाली रोडवेज बस सुबह 5:45 बजे रवाना होती है और 7:15 बजे तक केलवाड़ा पहुंच भी जाती है। इसके उलट, निजी बसें हर छोटे–बड़े स्टॉप पर यात्रियों को चढ़ाने–उतारने के बहाने रुकती रहती हैं। नतीजा वही 75 किलोमीटर का सफर बन जाता है साढ़े तीन घंटे का टॉर्चर।
यात्रियों का कहना है कि हाईवे बनने के बाद भी बसों की रफ्तार कछुए जैसी है।
अब आमजन का सब्र टूट रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि निजी बसों को पाबंद किया जाए कि वे अधिकतम दो घंटे में उदयपुर पहुंचें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो रोडवेज की बसें और बढ़ाई जाएं।
साक्षी पुरी, उपखंड अधिकारी कुंभलगढ़ ने कहा कि इनको शीघ्र ऑफिस बुलवाकर बात करती हूं। ऐसे तो नहीं चलेगा। इन्हें समय पर चलने के लिए पाबंद किया जाएगा।
Published on:
14 Sept 2025 10:34 am
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