दलाल भैरूसिंह द्वारा करीब एक करोड़ रुपए हजम करने पर भूमि विकास बैंक द्वारा दलाल व उसके पिता, बुआ के मकान, जमीन की नीलाम करने की कार्रवाई की। फिर भी जमीन व मकान खरीदने के लिए कोई नहीं आया। इस पर अब बैंक ने मकान व जमीन कुर्क कर बैंक के नाम दर्ज करने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
भूमि विकास बैंक में 20 अक्टूबर 14 से 31 दिसंबर 15 तक तत्कालीन जिला परिषद सीईओ बीएल स्वर्णकार व राजेन्द्र प्रसाद सारस्वत बतौर प्रशासक रहे हैं। उक्त समयावधि में करीब 15 फर्जी ऋण स्वीकृत हुए, जिससे उनकी भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
बैंक अध्यक्ष गोविंदसिंह चौहान ने सहकारिता विभाग उदयपुर के अतिरिक्त रजिस्ट्रार को भेजे जवाब के अनुसार अध्यक्ष का मुख्य कार्य बैंक के नीतिगत निर्णय लेना है। ऋण आवेदन जांच, निरीक्षण, पत्रावली जांच व ऋण भुगतान कार्य तक में अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं है। ऋण आवेदन तैयार करने से लेकर सर्वे रिपोर्ट, भौतिक सत्यापन, ऋण देने, ऋण का सदुपयोग नहीं होने की रिपोर्ट करने तक का सारा कार्य सुपरवाइजर, शाखा सचिव व भूमि मूल्यांकन अधिकारी का ही है। इसके लिए उक्त कार्मिक, अधिकारी ही जिम्मेदार है।
बैंक में कुछ डिफॉल्टर सामने आए, तो मैंने तत्काल वसूली की कार्रवाई करवाई। चार करोड़ के अनियमित ऋण मामले में मुझ पर जो भी आरोप लगे हैं, वे झूठे और बेबुनियाद है। पूरी जांच रिपोर्ट ही झूठी है, जो राजनीति द्वेषता से की गई है। अध्यक्ष कार्य सिर्फ नीतिगत निर्णय लेना है, जिसे हाइकोर्ट में रखा है। अदालत में दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा।
गोविंदसिंह चौहान, अध्यक्ष भूमि विकास बैंक राजसमंद