
चारभुजा मंदिर का घटिया था निर्माण, नक्शा भी बदल डाला
हीरालाल पालीवाल @ चारभुजा
मेवाड़ के प्रसिद्ध श्री चारभुजानाथ मंदिर की विकास योजना को पहले वर्षों की देरी हुई, अब भ्रष्टाचार का घुन लग चुका है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की चारभुजाधाम में खास रुचि होने के बावजूद अधिकारी अनियमितता करने से नहीं चूके। घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल तो किया ही, नक्शे को भी अपने स्तर पर बदलने की हिमाकत कर दी। देवस्थान विभाग और स्थानीय लोगों की शिकायत पर सार्वजनिक निर्माण विभाग के दो अधिकारियों को राज्य सरकार ने एक दिन पहले निलम्बित कर दिया। राजे ने वर्ष २०१३ में सूबे में परिवर्तन यात्रा की शुरुआत चारभुजाधाम से ही की थी। सत्ता में आने के बाद इस तीर्थस्थल के विकास के लिए प्रतिबद्धता जताते हुए उन्होंने आला अधिकारियों को भेजकर विकास की योजना बनवा पांच करोड़ दस लाख रुपए का बजट घोषित किया था। काफी समय तक योजना पर अमल ही शुरू नहीं हुआ। लम्बे इंतजार के बाद आखिर छह माह पहले काम शुरू हुआ। देवस्थान विभाग की ओर से सर्वे व वित्तीय स्वीकृति के बाद मंदिर विकास के तहत आरएसआरडीसी यूनिट उदयपुर को नक्शा तैयार कर सौंपा। काम शुरू होने पर श्रद्धालुओं व स्थानीय लोगों को योजना के सिरे चढऩे की उम्मीद बंधी थी कि अब धर्मनगरी चारभुजा का कायाकल्प होगा।
ये कार्य हैं प्रस्तावित
दूधतलाई के सौंदर्यीकरण का कार्य नौ माह में पूर्ण किया जाना था। इसके लिए 75 लाख रुपए स्वीकृत थे, जिससे दूधतलाई परिक्रमा के चारों ओर सीसी रोड, पाल की सीढिय़ों पर तीन-तीन फीट चौड़े पत्थर लगाने, तलाई के पंैदे से पानी की रोकथाम के लिए नींव से ऊपर तक पक्की दीवार बनाना, दर्शकों के लिए पहाड़ की कटाई कर सीढिय़ां बनाने, तलाई के चारों और सिलिंग लगाने व यात्रियों के लिए दो सुलभ शौचालय एवं लाइटिंग कार्य होना है।
शिकायत, जांच... और आखिर निलम्बन
विभागीय अधिकारियों की अनदेखी से ठेकेदार ने परिक्रमा की सीढिय़ों पर घटिया निर्माण सामग्री लगा दी। अब तक किया गया काम भी नक्शे के अनुरूप नहीं था। निर्माण के दौरान ही पुजारी समाज ने इसका विरोध भी किया था। इसे लेकर उच्च स्तर पर शिकायत की गई। इसके बाद भी विभाग की ओर से आधा-अधूरा कार्य कर दूधतलाई के कार्य की इतिश्री कर दी गई। बस स्टैण्ड की धर्मशाला के लिए एक करोड़ रुपए स्वीकृत होने के बाद एक माह तक कमरों के जीर्णाेद्धार का कार्य शुरू नहीं हुआ। शुरू हुआ तो मात्र दस दिनों बाद ही बंद करवा दिया गया। भीम कुण्ड व मंदिर की बावड़ी का जीर्णोद्धार भी नहीं किया गया। होली चौक, मंदिर चौक पर मार्बल, लाइटिंग व फव्वारा, देवस्थान कार्यालय का जीर्णोद्धार, मंदिर की दीवारों की मरम्मत व सीसीटीवी कैमरे लगाने के कार्य भी प्रस्तावित हैं। ये सभी कार्य होने शेष हैं। लापरवाही व अनियमितता की शिकायत मिलने पर करीब पांच दिन पूर्व ही देवस्थान व आरएसआरडीसी उदयपुर के तकनीकी अधिकारियों का दल चारभुजा पहुंचा और सभी कार्यों की जांच कर गुणवत्ता देखी। जांच में ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री उपयोग में लेने की पुष्टि हुई तो विभाग के अधिशासी अभियन्ता आरसी बलाई व कनिष्ठ अभियन्ता विशाल कुमार को राज्य सरकार ने निलम्बित कर दिया।
चारभुजा गढ़बोर मंदिर विस्तार योजना एक नजर में
2004 में राजे ने चारभुजा मंदिर विकास की घोषणा की थी
2014 में सीएम बनने के बाद राजे ने फिर घोषणा दोहराई
२०१७ के सितम्बर माह में वित्तीय स्वीकृति हुई
२०१७ दिसम्बर में कार्यादेश जारी हो गए
२०१८ जनवरी में ठेकेदार ने काम शुरू किया
ट्रस्ट ने की शिकायत
पूर्व जिला उपप्रमुख व चारभुजा मंदिर के ट्रस्टी मदनलाल गुर्जर ने भी देवस्थान आयुक्त को निर्माण कार्य में घटिया सामग्री इस्तेमाल की शिकायत की थी। निर्माण में मार्बल के घटिया पत्थर एवं दूसरे पत्थर भी काम लिए जा रहे थे।
दूधतलाई के कार्य में मनमानी
दूधतलाई पर कार्य नक्शे के अनुरूप नहीं हुआ। ठेकेदार पर कतिपय प्रभावशाली व्यक्तियों का दबाव होने से कार्य प्रभावित हुआ। भाजपा प्रतिनिधि मण्डल सदस्य विधायक सुरेन्द्रसिंह राठौड़ से भी मिले थे। तब राठौड़ ने देवस्थान आयुक्त से बात की थी।
ललित चौरडिय़ा व हीरालाल गुर्जर, पूर्व जिला परिषद सदस्य व पूर्व सरपंच
नक्शे को बदला
चारभुजा गढ़बोर विकास का काम नक्शा व योजना के अनुसार नहीं हुआ है। इसमें घटिया सामग्री का उपयोग भी किया गया। इस संबंध में जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है।
जितेन्द्र उपाध्याय, आयुक्त, देवस्थान विभाग उदयपुर
Published on:
03 Jun 2018 10:28 am
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