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Rajasthan: राजसमंद कांग्रेस में मचा बवाल, कार्यकारी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति पर फूटा गुस्सा; डोटासरा को दी शिकायत

Rajasthan Politics: राजस्थान के राजसमंद जिले में कांग्रेस पार्टी के संगठन में कार्यकारी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर शुरू हुआ विवाद अब जयपुर पहुंच गया है।

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Govind Singh Dotasara

कार्यकर्ताओं ने गोविंद सिंह डोटासरा से की मुलाकात, फोटो- पत्रिका नेटवर्क

Rajasthan Politics: राजस्थान के राजसमंद जिले में कांग्रेस पार्टी के संगठन में कार्यकारी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर शुरू हुआ विवाद अब जयपुर पहुंच गया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक डेलिगेश इस नियुक्ति के विरोध में राजधानी कूच कर गया। करीब 50 से अधिक कार्यकर्ताओं ने जयपुर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपनी नाराजगी जताई और संगठन में सामाजिक संतुलन व सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की मांग उठाई।

बता दें, इस विवाद की जड़ राजसमंद में हाल ही में की गई कार्यकारी जिलाध्यक्ष की नियुक्ति है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि जिला अध्यक्ष और कार्यकारी जिलाध्यक्ष दोनों एक ही समाज से नियुक्त किए गए हैं, जोकि पार्टी के समावेशी सिद्धांतों के खिलाफ है। उनका कहना है कि ओबीसी और दलित वर्गों को इस प्रक्रिया में पूरी तरह दरकिनार किया गया है।

पहले रंधावा से की थी मुलाकात

इससे पहले मेवाड़ और वागड़ क्षेत्र के कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा से मुलाकात कर इस मुद्दे पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। कार्यकर्ताओं ने रंधावा को अपनी शिकायत बताते हुए संगठन में मनमानी का आरोप लगाया था।

वहीं, अब जयपुर पहुंचे कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, सांसद प्रत्याशी दामोदर गुर्जर और एआईसीसी सचिव धीरज गुर्जर से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने नेताओं को अवगत कराया कि एक ही समाज से दो प्रमुख पदों पर नियुक्ति से कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि नव नियुक्त कार्यकारी जिलाध्यक्ष का पहले बीजेपी से संबंध रहा है, जो पार्टी की छवि के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

राहुल गांधी के सिद्धांतों का किया जिक्र

कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी के 'सभी जातियों और समुदायों को सम्मान' देने के बयान का हवाला देते हुए कहा कि जमीनी स्तर पर यह सिद्धांत लागू नहीं हो रहा। कार्यकर्ताओं का कहना है कि संगठन में सामाजिक संतुलन की कमी से न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा है, बल्कि पार्टी की एकजुटता पर भी सवाल उठ रहे हैं। वहीं, कार्यकर्ताओं की मांग है कि संगठन में सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए और मनमानी नियुक्तियों पर रोक लगे।