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कुत्ते ने काटा है तो हल्के में न लें, तत्काल उपचार जरूरी

संदर्भ - विश्व रेबीज दिवस आज - बच्चों के मामले में सतर्क रहें अभिभावक

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कुत्ते के काटा है तो हल्के में न लें, तत्काल उपचार जरूरी

कुत्ते के काटा है तो हल्के में न लें, तत्काल उपचार जरूरी

राजसमंद. रेबीज रोग की रोकथाम को लेकर जागरुकता बढ़ाने के लिए हर वर्ष 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। उल्लेखनीय है कि रेबीज दिवस फ्रांस के प्रसिद्ध रसायनज्ञ और सूक्ष्मजीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि के अवसर पर 28 सितम्बर को मनाया जाता है। लुई पाश्चर ने ही पहला रेबीज टीका विकसित विकसित कर विश्व में रेबीज रोकथाम की ओर कदम बढ़ाया था। रेबीज रोकने के लिए शिक्षा और जागरुकता जरूरी है। सरकार व विभिन्न संगठनों के तत्वावधान में कुछ वर्षों तक अलग-अलग विषयों के तहत जागरुकता पैदा की जाएगी, ताकि रेबीज से बचा जा सके। नीति-स्तर पर तय किया गया है वर्ष 2030 तक 'रेबीज से शून्य मानव मृत्यु' का लक्ष्य प्राप्त करना है। समाज के हर स्तर पर कुत्ते के काटने पर घावों का उपचार और स्कूली बच्चों के लिए कुत्ते के काटने से बचाव की शिक्षा देकर रेबीज से बचाव किया जा सकता है।

आखिर रेबीज है क्या
रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है। इसके बावजूद विश्व में अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण इलाकों में हर वर्ष रेबीज से अनुमानित 59000 लोगों की मौत हो जाती हैं। भारत भी रेबीज से अछूता नहीं है। यहां भी अनुमानित प्रतिवर्ष 20,000 लोगों की मृत्यु इससे हो जाती है। यह अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप को छोड़कर संख्या है। यह रोग जानवरों से मनुष्यों में फैलता है तथा मनुष्यों के लगभग निन्यानवे प्रतिशत मामलों में कारण कुत्ते के काटने से होता है। मनुष्य के शरीर में रेबीज का वायरस, रेबीज से पीडि़त जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव और खरोंच एवं लार से प्रवेश करता है। कुत्ते के काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन माह में दिखाई देते हैं।

बच्चों के मामले में खतरनाक
बच्चे (पांच से पंद्रह वर्ष की आयु के बीच) अपने चंचल स्वभाव के कारण कुत्ते के काटने और रेबीज के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलते हैं। हैरानी की बात ये भी है कि बच्चे प्राय: डांट के डर से माता-पिता से कुत्ते के काटने के घावों को छुपाते हैं। कभी-कभी तो बच्चों को पता भी नहीं चलता कि कुत्तों के हमला किए जाने पर उन्हें घाव हो चुका है। यहां तक कि माता-पिता भी अक्सर हमले को अनदेखा करते हैं या गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलू उत्पादों लगाकर घाव का उपचार करते हैं।

रेबीज की रोकथाम
सरकार ने रेबीज की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम को लागू कर रखा है। इसमें कुत्ते के काटने के तत्काल बाद चिकित्सीय देखभाल की जरूरत के महत्व और निवारक उपायों के बारे में जागरुकता उत्पन्न की जाती है। आमजन को कुत्ते के काटने से बचने के लिए विशेषकर बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे क्रोध, संदिग्धता, मित्रता) के बारे में शिक्षित करना जरूरी है। रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण (काटने के बाद टीकाकरण) की सलाह दी जाती है। यदि कुत्ता काटता है तो साबुन और पानी से दस मिनट तक घाव को धोने, स्वास्थ्य केंद्र जाकर उपचार कराने की जरूरत है।

कुत्तों के टीकाकरण से रोकें रेबीज
उच्च जोखिम वाले समूहों जैसे कि वायरस और संक्रमित सामग्री संभालने वाले प्रयोगशाला कर्मचारियों, मनुष्यों में रेबीज के मामलों को संभालने वाले चिकित्सकों और व्यक्तियों, पशु चिकित्सकों, पशु संभालने और पकडऩे वाले व्यक्तियों, वन्यजीव वार्डन को प्री एक्सपोजर टीकाकरण (पूर्व जोखिम टीकाकरण) लेने की सलाह दी जाती है।

ये कभी न करें
कभी हाथ से घाव ने छुएं व कटे घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी-बूटियां, चाक-पान की पत्तियों जैसे पदार्थ न लगाएं।


सावधानी अत्यंत जरूरी
रेबीज एक वायरस है, जिससे सावधानी अत्यंत जरूरी है। कुत्ते के काटने के तत्काल बाद एंटी रेबीज टीका लगाना चाहिए। साथ ही जिस कुत्ते ने काटा है उस पर निगरानी जरूरी है। जो तय उपचार है, उसे अनदेखा नहीं करना चाहिए।
- डा. लक्ष्मणसिंह चुण्डावत, सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक, पशुचिकित्सा विभाग