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Good News : किसानों की बल्ले-बल्ले, अब खेतों की मेड़ से भी होगी एक लाख रुपए की कमाई

Good News : खुशखबर। किसान अब खेतों की मेड़ से सालाना करीब एक लाख रुपए तक की कमाई कर सकते है। जानें पूरा मामला।

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Good News Rajasthan Farmers are Very Happy Now they can Earn one Lakh Rupees Fields Boundary

Good News : किसानों की बल्ले-बल्ले, अब खेतों की मेड़ से भी होगी एक लाख रुपए की कमाई

Good News : राजस्थान में किसान अब खेतों की मेड़ पर भी फलदार पौधे लगाकर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। इससे इन्हें सालाना करीब एक लाख रुपए तक की आय हो सकती है। फलदार पौधे लगाने के लिए सरकार की ओर से अनुदान भी उपलब्ध कराया जाएगा। अटल भू-जल योजनान्तर्गत पंचायत समिति की 33 ग्राम पंचायत में पूर्व में चयनित कृषिकों के 0.5 हेक्टेयर सिंचित खेतों की मेड़ों पर फलदार पौधे लगाए जाएगा। इस योजना के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत से 15-15 कृषक जिसमें 10 सामान्य, 3 अनुसूचित जाति और तीन अनुसूचित जनजाति कृषकों का चयन मई और जून में किया गया जा चुका है। उक्त किसानों को 100-100 उन्नत किस्मों के फलदार पौधे 10-10 फीट की दूरी पर खेतों की मेड़ो पर लगाने के लिए 75 प्रतिशत तक अनुदान उद्यान विभाग की ओर से उपलब्ध कराया जाएगा। इसके तहत आंवला किस्म चकैया, आम किस्म केसर तथा नीबू किस्म कारजी के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।

यह भी कराया जाएगा उपलब्ध

उद्यान विभाग के उप निदेशक हरिओम सिंह राणा ने बताया कि किसानों को पौधे के साथ एक बेग एसएसपी उर्वरक पौषक तत्व के रूप में, 20 किलोग्राम नीम की खली दीमक नियंत्रण के लिए, एक गुणा 100 प्लास्टिक मल्चिंग शीट 75 माइक्रोन खरपतवार नियंत्रण के लिए तथा ड्रीप ऑन लाइन 300 मीटर इ-मिटिंग पाइप व 100 ड्रिपर 8 लीटर प्रति घंटा वाले 75 प्रतिशत अनुदान पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

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उद्यान विभाग देगा अनुदान

हरिओम सिंह राणा ने बताया कि आमवेला चकैया एवं आम केसर पौधे रोपण में कृषक का हिस्सा राशि 3400 रुपए प्रति कृषक एवं नीबू पौध रोपण में कृषक हिस्सा राशि 2400 रुपए प्रति कृषक द्वारा वहन की जाएगी। इस पर क्रमश: 75 प्रतिशत अनुदान लगभग राशि 15052 रुपए व 12052 रुपए उद्यान विभाग की ओर से प्रदान की जाएगी।

स्थाई आमदनी का स्रोत होगा विकसित

हरिओम सिंह राणा ने बताया कि इसमें प्रति कृषक योजना की कुल लागत आंवला चकैया एवं आम केसर लगभग 20070 रुपए एवं नींबू किस्म कागजी की 16070 रुपए है। उन्होंने बताया कि उक्त योजना से किसानों का स्थाई आमदनी का स्रोत विकसित होगा और करीब 3 वर्ष पश्चात कृषकों को प्रति वर्ष लगभग एक लाख रुपए की आमदमी होती रहेगी।

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