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गांधीजी की सादगी से प्रभावित हैं बच्चे

संदर्भ - गांधी जयंती आज - राजसमंद के बच्चों ने प्रकट किए अपने विचार

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आज गांधी होते तो हमारा जीवन भी सादगीपूर्ण होता

आज गांधी होते तो हमारा जीवन भी सादगीपूर्ण होता

राजसमंद. गांधीजी ने करीब 100 साल पहले वर्ष 1918 में एक बात कही थी, जो आज उनके जन्मदिन मनाने वालों को जरूर जाननी चाहिए। उन्होंने अपने साथियों से कहा था, 'मेरी मृत्यु के बाद मेरी कसौटी होगी कि मैं जन्मदिन मनाने लायक हूं कि नहीं।' बापू पर लिखी किताबों में इस बात का जिक्र है कि 2 अक्टूबर का दिन गांधीजी के लिए आम दिन की तरह ही होता था। वे इस दिन गंभीर रहते थे, प्रतिदिन की तरह ईश्वर से प्रार्थना करते थे, चरखा चलाते थे तथा इस दिन वे बाकी दिनों की अपेक्षा ज्यादा समय मौन भी रहते थे।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को मनाई जानी वाली गांधी जयंती पर देशभर में विविध कार्यक्रम होते रहे हैं। देशवासियों की कोशिश रहती है कि वे इस दिन को सेवाकार्य करते हुए मनाएं। वर्ष 2020 कुछ खास है, क्योंकि ये वर्ष गांधी के 150वें जन्मवर्ष के तौर पर मनाया जा रहा है। 2 अक्टूबर 1969 को पोरबंदर में जन्मे गांधीजी को लेकर बच्चों में बहुत जिज्ञासा रहती है। बिल्कुल फक्कड़ दिखने वाले राष्ट्रपिता गांधी को लेकर वे कई तरह के सवाल करते हैं। उनका जीवन इतना आदर्श व सादगीपूर्ण रहा है कि उनके चित्रों को देखकर वे विश्वास ही नहीं कर पाते कि उन्होंने इतने महान कार्य किए हैं। राजस्थान पत्रिका ने जब बच्चों से पूछा कि यदि गांधीजी आज होते तो अपना जन्मदिन किस तरह मनाते..? इस पर बच्चों ने रोचक जवाब दिए। कुछ बच्चों ने यहां तक कहा कि कम से कम बापू ये नहीं चाहते कि उनके जन्मदिन पर उनके देशवासी अवकाश पर रहकर मौज उड़ाएं। गांधी अपने अपने जन्मदिन पर दुगुना काम करने को प्रेरित करते। प्रस्तुत है बच्चों का लिखा..

मन पर संयम रखना सिखाते
यदि हमें सादगी, सरलता, विनम्रता, स्वावलंबन, आत्मनिर्भरता, प्रेम-करुणा व कर्मठता को सरल भाषा में समझना हो तो हम यदि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पढ़ लेंगे या उनके जीवन को समझ लेंगे तो ये सबकुछ आसानी से समझ आ जाएगा। आज वर्तमान हालात में बापू जीवित होते तो हमारे जैसे बच्चों को साथ लेकर अपना जन्मदिन समाज की मुख्यधारा से वंचित वर्ग को दैनिक जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं तथा मास्क, सेनेटाइजर व अन्य अत्यंत जरूरी सामग्री उपलब्ध कराते। हमें स्वच्छता के प्रति जागरूक करते। कोरोना काल में देशवासियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए योग, प्राणायाम, ध्यान तथा मन पर संयम रखना जरूर सिखाते। साथ ही हमें मितव्ययी, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनने के लिए तरीके जरूर सिखाते। अहिंसा के पुजारी बापू हमारे जैसी बेटियों को शारीरिक तथा मानसिक रूप से सशक्त बनने तथा हिंसा का विरोध करने की प्रेरणा देते।
- साक्षी चौधरी

आज भी जरूरत है गांधी की
हम बापू को कई मायनों में याद करते रहते हैं। आज यदि वे होते तो अपना जन्मदिन पहले की तरह ही सादगी व लोगों की सेवा करते हुए मनाते। जैसा हमने किताबों में पढ़ा है, सादगीपूर्ण जीवन जीने वाले गांधीजी अपने जन्मदिन पर बहुत शांत रहते थे। पहले वे इस विचार से चिंतित थे कि देश को आजाद कैसे कराया जाए। यदि वह आज के समय में होते तो देश में हो रहे अमानवीय कृत्यों को लेकर चिंतित रहते। अपने जन्मदिन पर वे और दिनों से ज्यादा सेवा व काम करते। बेसहारों ही मदद करते। गांधीजी उज्जवल व्यक्तित्व के धनी थे और देश को आज ऐसे ही व्यक्तित्व की जरूरत है।
- सैयद निदा अली

हम उन्हें आमंत्रित करते, शुभकामनाएं देते
आज बापू होते तो जन्मदिवस पर हम उन्हें आमंत्रित करते और उन्हें उनकी पसंद के अनुसार स्वच्छ व सुंदर वातावरण के बीच न सिर्फ जन्मदिवस की शुभकामनाएं देते, बल्कि उपहार स्वरूप उनके समक्ष आजीवन खादी को अपनाने का संकल्प लेते और उन्हें खादी वस्त्र व चरखा भेंट करते। आज जैसा कोरोना संकट का समय चल रहा है उसे देखते हुए हम बापू से आग्रह करते कि जैसे उन्होंने नमक सत्याग्रह किया, वैसे ही कोरोना के खिलाफ भी जागरुकता आंदोलन चलाएं, जिससे हमारे देश से कोरोना की जल्द से जल्द विदाई हो। साथ ही उनके समक्ष एक नाटक खेलते, जिससे सभी को स्वदेशी अपनाने के साथ ही शिक्षित बनने की प्रेरणा मिलती। वहीं इसमें प्रभावी ढंग से मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का संदेश देते।
- गौरी भटनागर

वैसे ही सादगी से जीवन जीते
अगर महात्मा गांधीजी आज हमारे बीच होते तो वो अपना जन्मदिन अपनी जिंदगी की तरह बड़े ही साधारण तरीके से मनाना पसन्द करते। जैसाकि हम सब जानते हैं वे शांति प्रिय, अहिंसावादी व सबको साथ लेकर चलने वाले थे, वैसे ही वह अपने जन्मदिन के अवसर पर सबको अपनी खुशियों में शामिल करते और हम सभी को सेवाकार्यों में अपने साथ रखते। मेरे जैसे बच्चों को भी हमारे प्रिय बापू की तरह अपना जन्मदिन बहुत ही सादगी व सेवा करते हुए मनाना चाहिए। ये ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
- अम्मार बोहरा

मानवीय मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देते
हमारे प्रिय राष्ट्रपिता मोहनदास करमचन्द गांधी अपना जन्मदिन नहीं मनाते थे, लेकिन हम भारतीय नागरिक उनके जन्मदिन को सेवाकार्य के तौर पर मनाते हैं। हमें उनके जन्मदिन पर उनके मूल्यों को समझने के साथ ही उनके प्रति व अपने राष्ट्र के प्रति समर्पण भावना से उनके शाश्वत मूल्यों को पुन: स्थापित कर उनके रचनात्मक कार्यों को मजबूती से आगे ले जाने का वातावरण उत्पन्न करना चाहिए। यदि बापू आज हमारे साथ अभी होते तो अपने जन्मदिन पर हमें प्रेम, करूणा, दया जैसे मानवीय मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देते। आज महात्मा गांधी होते तो अपने जन्मदिन पर अवकाश की बजाए और अधिक काम करने को कहते, ताकि उस दिन का सदुपयोग होता।
- रानी कुमारी

ईमानदार बनने को कहते
यदि आज युग दृष्टा एवं सत्य एवं अहिंसा के पुजारी मोहनदास करमचंद गांधी जीवित होते तो वे कभी भारत के लोकतंत्र को भीड़ तंत्र में नहीं बदलने देते। अपने जन्मदिन पर आमजन को ये संकल्प दिलवाते कि वे कभी भ्रष्टाचार नहीं करेंगे। नैतिकता एवं ईमानदारी को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देते। कोरोना जैसे हालात में वे आमजन को बहुत सतर्क व सजग रहने की प्रेरणा देते। वे होते तो समाज में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाते और अपने जन्मदिन पर इस तरह के सादगीपूर्ण आयोजन करते जिसमें लैंगिक भेदभाव नहीं होता। गांवों में ऐसा वातावरण का निर्माण करते कि लोग शहरों से गांवों की ओर पलायन करते।
- कृति त्रिपाठी

बड़ा होकर सादगी से मनाऊंगा जन्मदिन
मैं बहुत छोटा हूं पर मुझे इस बात की खुशी है कि मेरा जन्मदिन भी दो अक्टूबर को ही आता है। मेरे नाना मुझे गांधीजी की कहानियां सुनाते हैं। मैं अपने जन्मदिन को केक के साथ मनाता हूं। खूब सारे उपहार लेता हूं, पर नाना बताते हैं कि गांधीजी तो जन्मदिन मनाते ही नहीं थे। गांधीजी आज होते तो शायद वैसे ही सादगी से अपना जन्मदिन मनाते। ऐसे मेरे नाना कहते हैं। मैं भी बड़ा होकर अपना जन्मदिन उनकी तरह सादगी से मनाऊंगा।
- मोहम्मद बोहरा

सैनिकों के बीच रहकर मनाते अपना जन्मदिन
बापू यदि आज जीवित होते तो अपना जन्मदिन इस देश की सीमा पर देश की रक्षा के लिए दिलो जान से लगे हुए सैनिकों के बीच में रहकर मनाते, क्योंकि भारत को आजादी दिलाने के लिए जो संघर्ष बापू ने किए, उसे देखते हुए निश्चित रूप से उनके मन में यही होता कि आजादी के बाद आज देश की सीमाएं जिनकी बदौलत सुरक्षित हैं तो क्यूं न वे अपना जन्मदिन भी उन्हीं सैनिकों के बीच में उपस्थित रह कर मनाएं।
- युवराज खत्री