30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

वासोल में पानी संग छलकी खुशियां: राजसमंद झील बनी उत्सव का दरबार

सोमवार का दिन राजसमंद जिले के लोगों के लिए किसी पर्व से कम नहीं रहा। वर्षों की प्रतीक्षा और अधरों पर जमी आस की प्यास आखिरकार तब बुझी जब राजसमंद झील का जलस्तर 30 फीट गेज पर पहुंचकर छलक पड़ा

2 min read
Google source verification
Rajsamand Jheel NEws

Rajsamand Jheel NEws

राजसमंद. सोमवार का दिन राजसमंद जिले के लोगों के लिए किसी पर्व से कम नहीं रहा। वर्षों की प्रतीक्षा और अधरों पर जमी आस की प्यास आखिरकार तब बुझी जब राजसमंद झील का जलस्तर 30 फीट गेज पर पहुंचकर छलक पड़ा। पानी की लहरों के संग उमंग और उल्लास की बयार भी पूरे इलाके में बह चली।

पानी आया, उम्मीदें लौटीं

वासोल गांव से होकर जब झील का पानी सड़क पर फैला तो मानो गांव-गांव में हर्षोल्लास का मेला लग गया। बच्चे उछलते-कूदते, महिलाएं थाल सजाकर पूजा करतीं और बुजुर्ग आंखों में संतोष भरी नमी लिए इस दृश्य को निहारते रहे। हर कोई यही कहता सुना गया—“अब आने वाले दिन अच्छे होंगे।”

मेले जैसा नजारा

पानी की धाराओं के किनारे चहल-पहल का आलम ऐसा था कि हर राहगीर ठहरने को मजबूर हो गया। पिकनिक का मजा ले रहे परिवार, गीतों पर झूमते युवा और ठिठोली करते बच्चे… पूरा वासोल गांव मानो उत्सव-स्थल बन गया हो। सोशल मीडिया पर झील छलकने के वीडियो और तस्वीरें छा गए। लोग इस पल को कैमरे में कैद करने की होड़ में थे।

परंपरा और विश्वास

बुजुर्ग बताते हैं कि झील का छलकना महज प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि समृद्धि का संदेश है। पहले जब झील छलकती थी तो गांवों में मिठाइयां बनतीं, पकवान सजते और उत्सव की तरह जश्न मनता। आज भी वही परंपरा जीवित है। घर-घर में खुशियों के दीप जल उठे हैं।

किसानों के चेहरों पर सुकून

झील के छलकने से किसानों की आंखों में उम्मीद की चमक लौट आई। खेतों में पानी की चिंता मिट गई और राहत की सांस सबने ली। युवाओं की उमंग और बुजुर्गों की दुआएं मिलकर इस पल को अविस्मरणीय बना रही हैं।

इतिहास के पन्नों में

  • 1973 : पहली बार छलकी झील
  • 2017 : 44 साल बाद दूसरी बार छलकी
  • 2023 : तीसरी बार छलकी
  • 2025 : चौथी बार छलकी

खुशियों का सैलाब

वासोल मार्ग पर बहता पानी सिर्फ सड़कों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि हर दिल में उमंग और उल्लास का दरिया बहा गया। यह नजारा सब्र के टूटने और उम्मीदों के लौटने की जीवंत तस्वीर था।