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Video : हृदय को सुरक्षित व स्वस्थ रखना है तो छोड़ दो तनाव पालना

संदर्भ - विश्व हृदय दिवस आज

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Video : हृदय को सुरक्षित व स्वस्थ रखना है तो छोड़ दो तनाव पालना

Video : हृदय को सुरक्षित व स्वस्थ रखना है तो छोड़ दो तनाव पालना

राकेश गांधी
राजसमंद. अव्यवस्थित जीवन शैली और असंतुलित खानपान, तनाव, प्रदूषण और कई अन्य कारणों से वर्तमान में हृदय संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। वैसे तनाव को ही हृदय का सबसे बड़ा दुश्मन माना गया है। जिन्दगी की भागदौड़ में हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते, नतीजतन भारी खमियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसे में बेहतर होगा कि हम अपने हृदय की आवाज सुनें और हृदय को स्वस्थ रखने के लिए तनाव से दूर रहें। तनाव के कारण मस्तिष्क से जो रसायन स्रावित होते हैं, वे हृदय की पूरा सिस्टम बिगाड़ देते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार दिल की बीमारी किसी भी उम्र में किसी को भी हो सकती है। महिलाओं में हृदय रोग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं, बावजूद इसके वे इस बीमारी के जोखिमों को नजरअंदाज कर देती हैं। माना जाता है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह पर नियंत्रण न करने एवं गुस्सा या चिंता अधिक करने वाले लोगों को हृदयाघात की आशंका ज्यादा रहती है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में हर साल करीब पौने दो करोड़ लोगों की मौत हृदयाघात से हो जाती है। भारत में 10.2 करोड़ लोग इस बीमारी की चपेट में बताए जाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए विश्वभर में हृदय संबंधी समस्याओं से बचने के उपायों के प्रति जागरुकता के लिए वर्ष 2000 से विश्व हृदय दिवस मनाया जाने लगा। पहले ये सितम्बर माह के अंतिम रविवार को मनाया जाता था, लेकिन वर्ष 2014 से इसे 29 सितम्बर को ही मनाया जाने लगा। दिल के दौरे से विश्व में बड़ी संख्या में मौतें होती हैं और 50 फीसदी मामलों में तो मरीज का दम अस्पताल पहुंचने से पहले ही टूट जाता है। इनमें कुछ मौतें हार्ट अटैक से तो कुछ कार्डियक अरेस्ट के कारण होती हैं।

आखिर क्या है हार्ट अटैक
कई बार दिल के कुछ हिस्सों में रक्त जम जाता है। ऐसे हालात में उपचार में जितनी देर की जाती है, शरीर को नुकसान होता चला जाता है। कार्डिएक अरेस्ट की तरह हार्ट अटैक में दिल की धड़कन अचानक बंद नहीं होती। हार्ट अटैक के कुछ समय बाद तक इसका बुरा असर देखने को मिलता है।

ऐसे होता है कार्डिएक अरेस्ट
कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में दिल की धड़कन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन (सीपीआर) के जरिए पीडि़त के हार्ट रेट को नियमित करने की कोशिश की जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो जिन्हें पहले हार्ट अटैक हो चुका होता है, उन्हें कार्डिएक अरेस्ट की आशंंका ज्यादा रहती है। अचानक होने वाले कार्डिएक अरेस्ट से इसकी शरीर की ओर से कोई चेतावनी नहीं मिलती। दिल में इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण धड़कन का ताल-मेल बिगडऩे से दिल की पम्प करने की क्षमता पर प्रतिकूल असर पड़ता है और शरीर के दूसरे हिस्सों तक रक्त पहुंचने में समस्या होती है। ऐसे में इंसान बेहोश हो जाता है और नब्ज भी जाती रहती है। समय पर जरूरी उपचार न मिले तो इससे कुछ समय में ही रोगी का दम टूट जाता है। विशेषज्ञ ये भी बताते हैं कि कई बार हार्ट अटैक या उसकी रिकवरी के दौरान भी कार्डिएक अरेस्ट की आशंका रहती है। वैसे हार्ट अटैक में दिल की धड़कन तत्काल बंद नहीं होती, इसलिए कार्डिएक अरेस्ट की तुलना में हार्ट अटैक में मरीज की जान बचाने की संभावना ज्यादा होती है।


हृदयरोग विशेषज्ञ की राय : हार्टवाइज जीवनशैली अपनाएं
इस जीवनशैली से हम हृदय रोग, मधुमेह, रक्तचाप के जोखिम में 80 प्रतिशत से अधिक कमी ला सकते हैं।
आहार
- जीरो शुगर युक्त संतुलित आहार हमारी सेहत की रक्षा में सहायक होगा
- गेहूं के उपयोग में कमी करें। बाजरा, ज्वार, मक्का, चना, सोयाबीन आदि का उपयोग बढ़ाएं
- प्रोटीन की अच्छी मात्रा लें। तेल-घी कम मात्रा में और कच्चा लेने का प्रयास करें
व्यायाम
- 10,000 कदम रोज चलने का नियम बनाएं
- बैठने के समय में 50 प्रतिशत कमी से 50 प्रतिशत तक बीमारियों में कमी की जा सकती है। दिन में ज्यादा समय खड़े रहें और बार-बार चलें
- मांसपेशियों को संरक्षित रखने के लिए पुशअप, वजन उठाने जैसे कुछ अभ्यास शरीर के लिए जरूरी है। सूर्य-नमस्कार समग्र फिटनेस के लिए सर्वोत्तम व्यायाम है
तनाव
- अपने कार्य और परिवार, अपने लक्ष्यों और ख़ुशियों के बीच सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करें
- मोबाइल का उपयोग कम करें। ध्यान और समुचित नींद का नियम जरूरी है
यदि हम कुछ इस तरह अपनी जीवनशैली बना लें, निश्चित तौर पर स्वस्थ रहना संभव है।

- डॉ साकेत गोयल, वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, संयोजक हार्ट-वाइज