वर्ष 2017 में भी लॉटरी से ही शराब दुकानें आवंटित की गई थी, तब 3७० दुकानों के लिए 12 हजार 960 आवेदन पत्र बिके थे। प्रति आवेदन का शुल्क 21 हजार रुपए तय होने से 27 करोड़ 21 लाख 60 हजार रुपए की आय सिर्फ आवेदन से हुई थी। नई नीति के तहत आवेदन शुल्क बढ़ गया है।
भीम उपखंड मुख्यालय की शराब दुकान के लिए 997 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिससे सर्वाधिक 2 करोड़ 9 लाख 37 हजार रुपए की आय हुई थी। इसके अलावा शेखावास की शराब दुकान के लिए सिर्फ 4 आवेदन प्राप्त हुए, जिससे 84 हजार रुपए की ही आय हुई थी। इसी तरह बोरवा दुकान में भी महज 11 आवेदन आए थे।
ग्रामीणों ने मतदान प्रक्रिया अपनाकर काछबली व मंडावर ग्राम पंचायत में शराब की दुकानें बंद करवा दी। दोनों दुकानों से होने वाली करीब 70 से 80 लाख की आय घट गई, मगर सरकार ने लक्ष्य में कटौती नहीं की। ऐसे में दो दुकानें बंद होने के बावजूद उतनी ही शराब अन्य दुकानों के जरिये बेचने का अप्रत्यक्ष दबाव सरकार को आबकारी महकमे पर है।
ग्रामीणों की एकजुटता के चलते किराए पर जगह या दुकान नहीं मिलने की वजह से बरजाल में शराब का ठेका नहीं खुल पाया। फिर भी राज्य सरकार द्वारा इस बार भी बरजाल में शराब का ठेका खोलने के लिए आवेदन मांगे है। हालांकि पिछली बार भी जिस व्यक्ति के नाम पर शराब ठेका आवंटित हुआ, वह वहां दुकान ही नहीं खोल पाया। क्योंकि ग्रामवासियों ने जगह ही उपलब्ध नहीं कराई।
179 देसी शराब दुकानें
163 अंगे्रजी-देसी शराब की संयुक्त दुकानें
12 शहरी क्षेत्र राजसमंद, नाथद्वारा, आमेट में अंगे्रजी शराब की दुकानें
16 शहरी क्षेत्र में सिर्फ देसी शराब की दुकानें
जिले में देसी व अंगे्रजी शराब दुकानों के लिए ऑनलाइन आवेदन 26 फरवरी तक जमा होंगे। फिर जिला कलक्टर की अध्यक्षता में 5 मार्च को लॉटरी निकाली जाएगी।
रियाजुद्दीन उस्मानी, जिला आबकारी अधिकारी राजसमंद