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राजसमंद: कमाई का जरिया बनेंगे ‘जापानी बटेर’, प्रदेश के 15 जिलों में शुरू हुई योजना, चयनित किसान को दिए 20 बटेर

पशुपालन विभाग की ओरसे प्रदेश के करीब15 जिलों में प्रायोगिक तौर पर ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्र फार्मिंग एवं जापानी बटेर पालन योजना शुरू की है। इससे किसानों कम लागत में अधिक मुनाफा मिलने की उम्मीद है।

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पशुपालन विभाग की ओरसे प्रदेश के करीब15 जिलों में प्रायोगिक तौर पर ग्रामीण बैकयार्ड पोल्ट्र फार्मिंग एवं जापानी बटेर पालन योजना शुरू की है। इससे किसानों कम लागत में अधिक मुनाफा मिलने की उम्मीद है। योजना के तहत चयनित किसानों को 20-20 जापानी बटेर के चूजे रियायति दर पर उपलब्ध करवाएं गए है। उन्हें इसके पालन पोषण के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है।

इससे वे इनका पालन कर अतिरिक्त कमाई कर सकते है। योजना के तहत राजसमंद जिले के भीम उपखण्ड क्षेत्र के पांच किसानों का चयन कर उन्हें जयपुर में जापानी बटेर [जापानीज क्वेल फार्मिंग] को पालने , उनकी देख रेख करने आदि का नि:शुल्क प्रशिक्षण भी दिया गया है। इससे वे कम खर्च में अधिक कमाई कर अपनी अर्थिक स्थित मजबूत कर सकते है। अन्य की तुलना में इसमें रोगप्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है। इसको पालने के लिए नियमानुसार किसी प्रकार के लाइसेंस की जरूरत भी नहीं होती है।

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प्रायोगिक तौर पर शुरू हुई योजना

जिले में पहली बार यह योजना जिले के भीम क्षेत्र मेंं प्रायोगिक तौर पर शुरू हुई है। यदि यह सफल रहती है तो अन्य क्षेत्रों में भी इस योजना को लागू करने की योजना है।

डा. ललित जोशी , संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग , राजसमंद

मुझे जापानी बटेर के 20 चूजे मिले है। इनके पालने के लिए जयपुर में नि:शुल्क प्रशिक्षण भी दिया गया । इन चूजों से अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है।

गिरधारी सिंह, किसान ,तालाब पछोर, भीम, राजसमंद

मिलती है सहायता

योजना के तहत चयनित प्रत्येक किसान को 35 रुपए प्रति चूजे की दर से 20 चूजे [चार सप्ताह के नर व मादा] उपलब्ध करवाएं गए है। इन बटेरों को रखने के लिए दड़बा आदि के लिए पशुपालन विभाग की ओर से चयनित किसानों को एक मुश्त 1500 रुपए की राशि दी जा रही है।

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इन जिलों में शुरू हुई योजना

अजमेर, भीलवाड़ा जयपुर ,दौसा, टोंक, अलवर, प्रतापगढ़, बांरा, सवाईमाधोपुर, सिरोही, उदयपुर , राजसमंद, झालावाड़, धोलपुर आदि।

होगी अतिरिक्त आय

नर व मादा दोनों किस्म के बटेर दिए गए है। शीघ्र बढ़वार व अधिक अंडा उत्पादन के कारण यह व्यवसाय के रूप में तेजी से पनप रहा है। इसके चूजे छह से सात सप्ताह की आयु में ही अंडे देने लगते है। एक मादा बटेर औसतन 250 से 280 अंडे प्रति वर्ष देती है, अंडे मुर्गी के अंडों की तुलना में अधिक पौष्टिक होते हैं। इससे अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। चूजे बाजार में बेचने के लिए चार से पांच सप्ताह में तैयार होतेे हैं।

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