
Rajsamand crime news देवगढ़. क्षेत्र से करीब डेढ़ साल पहले गुमशुदा बालक-बालिका को पुलिस ने इंदौर से दस्तयाब कर लिया है। बंदी प्रत्यक्षीकरण के इस मामले में देवगढ़ थाना पुलिस ने साइबर सेल की मदद से 300 मोबाइल नम्बर की कॉल डिटेल का विश्लेषण किया और संदिग्ध नम्बरों से दोनों को दस्तयाब करने में कामयाबी हासिल की। पुलिस अधीक्षक ने 10 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा था। दोनों को राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर में पेश किया जाएगा।
थानाधिकारी दिलीप सिंह ने बताया कि गत 3 फरवरी को एक व्यक्ति ने थाने में उपस्थित होकर दी रिपोर्ट में बताया कि 31 जनवरी, 2022 को उसकी नाबालिग पुत्री घर पर अकेली थी। शाम को पति-पत्नी घर आए तो वह नहीं मिली। आसपास तलाश करने पर भी कोई पता नहीं चला। पुलिस ने पड़ताल शुरू की तो पता चला कि उसका पड़ोसी नाबालिग भी उसी दिन को गायब है। उनकी लोकेशन इन्दौर की तरफ आई। इस बीच प्रार्थी द्वारा ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। नाबालिग लड़के के परिजनों ने भी याचिका लगाई।
तीन राज्यों में तलाशी अभियान
पुलिस टीमों ने इन्दौर, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, सूरत, बड़ौदा, अहमदाबाद व राजस्थान के अलग-अलग स्थानों पर काफी तलाश की। अपहृर्ता के सूचनाकर्ताओं को जिला पुलिस अधीक्षक ने 10 हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा भी की। पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी व एएसपी शिवलाल बैरवा के निर्देशना में थानाधिकारी दिलीपसिंह व कांस्टेबल खींवराज ने करीब 300 मोबाइल नम्बरों की कॉल डिटेल का विश्लेषण किया। संदिग्ध का लिंक अपहृर्ता से होने पर इन्दौर पहुंचे पुलिस दल ने द्वारकापुरी थाना क्षेत्र में हवा बंगला, ऋषि पैलेस नगर, हनुमान मंदिर, परिवहन नगर, विदुर नगर, सिद्धपुर कॉलोनी में तलाश की तो ऋषि पैलेस नगर में दोनों एक किराए के कमरे में रहते मिले। पुलिस उन्हें दस्तयाब कर देवगढ़ ले आई। बालिका को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश कर सखी सेन्टर में छोड़ा। नाबालिग किशोर को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष पेश किया, जहां से सम्प्रेषण एवं किशोर गृह में भेज दिया गया। दोनों को पुलिस हाईकोर्ट में पेश करेगी।
Published on:
09 Jun 2023 12:20 pm
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