scriptRajsamand News: गर्मी से जंग का अचूक हथियार, दो लोगों ने बना दिया तीन किलोमीटर का हरित कॉरिडोर | Rajsamand's perfect weapon to fight the heat: A three kilometer long green corridor has been created, now giving relief to the people | Patrika News
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Rajsamand News: गर्मी से जंग का अचूक हथियार, दो लोगों ने बना दिया तीन किलोमीटर का हरित कॉरिडोर

राजसमंद में आमेट-केलवा रोड पर 3 किलोमीटर लम्बे हरित पथ पर खड़े सैकड़ों नीम, शीशम और पीपल के पेड़ ना सिर्फ छाया देते हैं, बल्कि एक संदेश भी देते हैं कि संवेदनशील सोच और समर्पित प्रयास से रेगिस्तान में भी हरियाली उगाई जा सकती है।

राजसमंदJun 05, 2025 / 09:25 am

anand yadav

हरियाली की मिसाल: आमेट-केलवा रोड पर बना हरित प्रहरी पथ, पत्रिका फोटो

Rajasthan News: राजसमंद की तपती ज़मीन पर जब सूरज आग उगलता है, जब लू के थपेड़े तन और मन दोनों को झुलसाने लगते हैं, तब केलवा से आमेट की ओर बढ़ता हुआ एक हरा-भरा रास्ता किसी मरूस्थल में ओएसिस (ओएसिस=हरियाली वाला टुकड़ा) की तरह सामने आता है। इस तीन किलोमीटर लम्बे हरित पथ पर खड़े सैकड़ों नीम, शीशम और पीपल के पेड़ ना सिर्फ छाया देते हैं, बल्कि एक संदेश भी देते हैं कि संवेदनशील सोच और समर्पित प्रयास से रेगिस्तान में भी हरियाली उगाई जा सकती है।
यह कहानी है दो जुझारू लोगों अशोक सुराणा और विजय शर्मा की, जिन्होंने कोई बड़ा नारा नहीं दिया, किसी मंच से भाषण नहीं दिया, बस चुपचाप अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाई। उन्होंने तय किया कि जब बाकी उद्योग पर्यावरण के दोहन में लगे हैं, तब वे उसका संवर्धन करेंगे। और इस संकल्प की शुरुआत हुई थी करीब 15 साल पहले।

चरणबद्ध हरियाली, एक अनुशासित साधना

यह कार्य कोई एक झटके में नहीं किया, बल्कि चरणबद्ध तरीके से, यानी साल दर साल अपने प्रतिष्ठान से लेकर आमेट तक हर वर्ष पौधारोपण करते गए। यह साधना थी जल देना, सुरक्षा करना, पौधों को बड़ा करना। इनमें अधिकांशत: नीम के पेड़ हैं, जो न केवल छाया देते हैं बल्कि हवा को शुद्ध करने की भी अद्भुत क्षमता रखते हैं। गत दो वर्षों से धरतीधन प्रतिष्ठान आमेट स्थित रेलवे लाइन के पास भी पौधारोपण कर रहा है यानी हरियाली का दायरा अब और बढ़ रहा है। ये क्षेत्र अब सुकून दे रहा है।
हरियाली की मिसाल: आमेट-केलवा रोड पर बना हरित प्रहरी पथ, पत्रिका फोटो

हर साल लगाए औसतन 300 पौधे

आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जहां इस सड़क के दोनों ओर सैकड़ों मार्बल यूनिट्स, कटर मशीनें, गोदाम और क्वार्ट्ज फैक्ट्रियां हैं, वहां पेड़ लगाने का कार्य किसी संगठन या सरकारी अभियान ने नहीं किया। पर्यावरण विकास संस्थान जैसी संस्थाएं जो नाम मात्र के लिए पेड़ लगाने के बाद सोशल मीडिया पर दावा करती हैं, उनके लगाए पौधे ज़मीन पर कहीं दिखते नहीं। वर्षा ऋतु में फोटो खिंचवाकर लगाए गए पौधे देखभाल के अभाव में सूख जाते हैं।
लेकिन केलवा के इन व्यक्तियों ने हर वर्ष औसतन 300 पौधे लगाए, उनकी देखरेख की, पानी पिलाया और उन्हें वृक्ष बनने दिया। यही कारण है कि ताणवाण से लेकर आमेट के वीरपत्ता सर्कल तक आज नीम और शीशम की एक लंबी कतार खड़ी है, जो ना केवल सौंदर्य देती है बल्कि सांस लेने लायक हवा भी। ये तीन किमी लंबा मार्ग हरित कॉरिडोर के रूप में नजर आता है।

नीम की छांव, सैनिकों सी रक्षा

इस मार्ग पर चलने वाले राहगीरों को जब ये हरे-भरे पेड़ दिखते हैं, तो वे अनायास ही रुक जाते हैं, सराहना करते हैं। कई लोग फोटो खींचते हैं। यह पेड़ अब ’’हरित प्रहरी’’ बन चुके हैं। जिस तरह से देश की सीमाओं पर सैनिक खड़े रहते हैं, ठीक उसी तरह ये पेड़ भी खड़े हैं हमारे जीवन की रक्षा के लिए।
राजसमंद:आमेट-केलवा रोड पर बना हरित प्रहरी पथ, पत्रिका फोटो

हरियाली के दृश्य: आंखों को सुकून, मन को प्रेरणा

ताणवाण के पास जब आप केलवा आमेट रोड पर चलते हैं, तो दोनों ओर कतारबद्ध नीम के विशाल वृक्ष किसी प्राकृतिक गार्डन का एहसास कराते हैं। चिलचिलाती गर्मी में यह मार्ग किसी सुरंग जैसे छायादार मार्ग में बदल जाता है। इसे देखकर न केवल आंखों को सुकून मिलता है बल्कि मन को भी ऐसा कार्य करने की प्रेरणा मिलती है।

प्रेरणा का संकल्प: अगर सभी करें तो…

यदि इस क्षेत्र के हर मार्बल प्रतिष्ठान वाले आस-पास पांच-पांच नीम के पेड़ लगाकर उनका पालन करें, तो इस क्षेत्र में मार्बल से हुए पर्यावरणीय नुकसान की आंशिक भरपाई अवश्य हो सकती है। उनका यह वक्तव्य केवल एक सुझाव नहीं, बल्कि सांकेतिक आह्वान है कि जब एक अकेला प्रतिष्ठान 3 किलोमीटर हरियाली दे सकता है, तो मिलकर हम क्या नहीं कर सकते? पर्यावरण संरक्षण हमारे लिए बेहद जरूरी है।

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