स्थान : शहर के पुराने बस स्टैंड के पास शिवमंदिर के सामने स्थित
एक ज्वैलर्स की दुकान।
पत्रिका टीम : पुराना चांदी का सिक्का चाहिए।
ज्वैलर्स: चार-पांच सिक्के दिखाए, जिसमें एक सिक्का 1945 का था तथा राजा गॉर्जियस का फोटो छपा था।
पत्रिका टीम: यह कितने का है।
ज्वैलर्स: सिक्के को पलटने के बाद २५०० रुपए का।
पत्रिका टीम: कल यही सिक्का 1200 रुपए में खरीदा गया था।
ज्वैलर्स: नहीं वो रानी विक्टोरिया का होगा। रानी छाप वाले सिक्के से यह ज्यादा युनिक होता है, इसलिए यह महंगा है।
पत्रिका टीम : हमारे पास कुछ और सिक्के पड़े हैं, पुराने आपको दिखाऊंगा।
ज्वैलर्स: ठीक है ले आना, हम आपको उनकी सही रेट भी बता सकते हैं।
पत्रिका टीम : ठीक।
पत्रिका टीम: सिक्के का मोल करते हुए, कुछ कम ज्यादा।
ज्वैलर्स : दस-बीस रुपए कम दे दो।
पत्रिका टीम: २४०० में हो जाएगा क्या?
ज्वैलर्स: ठीक है, दे दो अच्छा। कहते हुए सिक्के को एक डिब्बी में डालकर बिना बिल दिए पकड़ा दिया।
पत्रिका टीम: यह दो सिक्के भी हुबहू आपके सिक्कों से मिल रहे हैं। इनकी कीमत १२००-१२०० रुपए की है। आपका सिक्का २४०० रुपए का क्यों है?
ज्वैलर्स: वजन करने के बाद बोला, देखो आपका एक सिक्का तो १२ ग्राम से ऊपर है, जबकि यह सिक्के १२ ग्राम के नहीं होते, यह चलन वाला सिक्का नहीं है, बनाया गया है।
पत्रिका टीम ने दूसरा सिक्का दिया, और उसका वजन करवाया तो वह लगभग ज्वैलर्स के सिक्के के बराबर वजन का ही निकला। वह अपनी बात से पलटते हुए बोला।
ज्वैलर्स: जिस दुकानदार ने आपको यह सिक्का दिया है, उसे इसका सही रेट मामूल नहीं होगा, इसलिए उसने कम में दिया है।
पत्रिका टीम: ठीक है, आपकी नजरों में एक सिक्के की कीमत 2400 रुपए है, आप हमारे सिक्के 2300-2300 रुपए में खरीद लो। दुकान से 2400 रुपए में खरीदा सिक्का वापस कर दिया।