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सूफी कोई संगीत नहीं बल्कि एक ऐसी साधना जिसे मलंग मस्ती में गाया जाता है: भाट

इंडियन आइडल फेम एवं सूफी संगीत व राजस्थानी फोक संगीत के मशहूर कलाकार सवाई भाट सोमवार को कुंभलगढ़ फेस्टीवल में प्रस्तुति देने के लिए आए

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Sawai Bhat

कुंभलगढ़. इंडियन आइडल फेम एवं सूफी संगीत व राजस्थानी फोक संगीत के मशहूर कलाकार सवाई भाट सोमवार को कुंभलगढ़ फेस्टीवल में प्रस्तुति देने के लिए आए। उन्होंने कहा कि सूफी संगीत कोई संगीत नहीं है। ये एक साधना है। ये संगीत मस्ती में रहकर गाया जाता है। उन्होंने एक होटल में पत्रिका से होटल में बातचीत करते हुए बताया कि मीर साहब मेरे आदर्श हैं। इनके आदर्श मेरे लिए प्रेरणा स्रोत हैं। प्रस्तुत है ओमप्रकाश शर्मा के साथ बातचीत के प्रमुख अंश:-

पत्रिका: छोटे से गांव के लड़के का इंडियन आइडल प्रतिभागी का सफर कैसा रहा।

जवाब: मैं मूलत राजस्थान के नागौर जिले के एक ऐसे परिवार से आता हूं। जो कठपुतली नचाने का कार्य करते हैं। एक सामान्य परिवार का लड़का आप सभी के प्रेम एवं सहयोग से इस मंच तक पहुंचा है।

पत्रिका: संगीत को आप क्या मानते हैं एवं आप अपना भविष्य इसमें कैसे देखते हैं।

जवाब: उस्मान मीर साहब मेरे आदर्श रहे हैं। बहुत सारे सिंगर किसी घराने से आते हैं, लेकिन में इस क्षेत्र में उस्मान मीर साहब के माध्यम से आया हूं। मीर साहब का घराना, किराने का घराना है। मैं इस घराने को सुनता भी हूं तथा इसे फॉलो करता हूं। उनसे मुझे बहुत प्रेरणा मिली है। जो कुछ भी है मीर साहब की गायकी से प्रेरित होकर ही आगे बढ़ा हूं।

पत्रिका: राजस्थानी लोक संगीत व सूफी दोनों गायकी में कितना अंतर है और आप इसे किस नजरिए से देखते हैं।

जवाब: सूफी कोई संगीत नहीं है। यह मात्र शब्द है। जैसे कोई साधु अपनी धुन में रहकर योग साधना करता है। सूफी भी एक प्रकार की साधना है जो अपने अंदाज में मलंग रहकर मस्ती में गाया जाता है। जबकि राजस्थानी लोक गायकी के बहुत सारे फॉर्म है। जैसे अलगोजा, खड़ताल, भपंग , मोरचंग आदि। राजस्थानी संगीत मेरी जड़े हैं और यह कला मेरे खून में है जिसे मैं नहीं भूल सकता।

पत्रिका: आपका झुकाव राजस्थानी लोक संगीत पर रहेगा या सूफी में रहेगा, राजस्थानी संगीत का भविष्य कैसे देखते हैं?

जवाब: सबसे पहले हम दर्शकों की पसंद को नजर अंदाज नहीं कर सकते। हमारी आवाज में वह क्या सुनना पसंद करते हैं यह बात महत्वपूर्ण है। राजस्थानी संगीत मेरा आधार तो है, लेकिन मैं वर्सेटाइल आर्टिस्ट के रूप में अपने पहचान बनाना चाहता हूं। जिसके लिए प्रयासरत हूं।

पत्रिका: अपने गाना बजाना किस उम्र में सीखा व प्रेरणा कहां से मिली?

जवाब: मेरे माता-पिता से मुझे प्रेरणा मिली मेरे पिताजी कबीर वाणी, भजन, गजल, ठुमरी गाते रहे हैं। मैंने उन्हीं से सीखा है। मैं जब 8 वर्ष का था तब से इसके लिए प्रयासरत हूं।

पत्रिका: आप वर्तमान तथा आने वाले समय में किन प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं ?

जवाब: मैंने हाल ही में मशहूर संगीत डायरेक्टर हिमेश रेशमिया के साथ 10 गाने रिकॉर्ड किए हैं । इंडियन आइडल से मैं टॉप 7 से एलिमिनेट हुआ, सारे गाने हिट हैं। आने वाले समय में मैं एक अकादमी बनाना चाहता हूं। इसके माध्यम से मैं चाहता हूं कि राजस्थान के प्रतिभावान युवा को संगीत की दुनिया में एक मंच प्रदान करूं। सामान्य परिवार से आने वाले युवाओं के लिए कुछ कर सकूं। ये मेरी दिली इच्छा है।

पत्रिका: इंडियन आइडल का आपका सफर कैसा रहा?

जवाब: इंडियन आइडल में 4 दिनों का प्यार ओ रब्बा, लंबी जुदाई यह गाना था जो मुझे मशहूर फिल्म अभिनेत्री रेखाजी की ज्वाइस पर सुनाया था। यह गाना सुनते ही रेखाजी भावुक हो गई एवं उन्होंने मुझे अपने हाथ से खाना खिलाया। यह मेरे जीवन का यादगार लम्हा है। जिसमें कभी नहीं भूल सकता।