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‘शक’ के भंवर में भी ‘हक’ की जद्दोजहद

locationराजसमंदPublished: Mar 08, 2019 12:32:03 pm

Submitted by:

laxman singh

महिला दिवस विशेष

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‘शक’ के भंवर में भी ‘हक’ की जद्दोजहद

लक्ष्मणसिंह राठौड़ @ राजसमंद

बढ़ती महिला हिंसा व महिला सशक्तिकरण की बातें चौतरफा हो गई, मगर क्या शक, संदेह और घृणा की नींव पर खड़ी महिलाओं की रक्षा और उन्हें हक दिलाने की योजनाएं मूत्र्त रूप ले पाएंगी। यह सवाल सिर्फ आज नहीं, बल्कि वर्षों से उठते आ रहे हैं, लेकिन जवाब के तौर अब तक कुछ खास हाथ नहीं लगा है। खैर, हालात जो भी हो पर इसके लिए सिर्फ पुरुषों को ही दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि अपनी दुर्गति के लिए महिलाएं भी कम दोषी नहीं हैं। परिवार व रिश्तों को संवारने का मुख्य दायित्व निभाने वाली महिला आज अपने अधिकारों से वंचित है। परिवार की इज्जत, बच्चों के पालन- पोषण व चूल्हे- चौके के चक्रव्यूह में फंसी महिला मन मसोस कर अपना कर्तव्य निभाती चली जा रही है। आज की जरूरत है जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं, उसी तरह बालिकाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखें। हालांकि कुछ जगह महिलाओं को मिले अधिकारों का दुरुपयोग भी हो रहा है, जो समाज के लिए चिंताजनक है।
नकारात्मक पहलू : ब्लेकमेल का हथियार बना कानून
महिला अधिकारों की सुरक्षा के लिए बने कानून कायदे आजकल कई महिलाओं के लिए ब्लेकमेल का हथियार बन गया है। कानूनी पेचिदगियों की वजह से पुलिस को प्रकरण दर्ज करना मजबूरी बन गया है। इससे बेकसूर लोग बेवजह से बदनाम व प्रताडि़त होकर कानूनी पचड़े में फंस रहे हैं। इससे कई परिवार अलग- थलग हो गए है, तो कुछ बेकसूर ने जिदंगी ही खत्म कर दी। ये सब हालात कानून के दुरुपयोग की वजह से उत्पन्न हो रहे है, जो पुलिस महकमे के लिए भी गले की फांस बन गया है। फरवरी 2017, 2018 व 2019 तक 62 मामले पुलिस जांच में झूठे निकले, जिसमें बेगुनाह युवक न सिर्फ मानसिक तौर से परेशान हुए, बल्कि आर्थिक, सामाजिक क्षति भी हुई।

सकारात्मक पहलू : समझाइश से टूटे परिवार
महिला हक व अधिकारों के लिए बने कानून की वजह से अनगिनत टूटते, बिखरते परिवार वापस एकता की डोर में बंध गए। पति-पत्नी के आपसी मनमुटाव की वजह से प्रकरण थाने तक पहुंच गए, मगर महिला सलाह सुरक्षा केन्द्र की समझाइश से टूटते परिवार फिर एक हो गए। अक्टूबर 2015 से फरवरी 2019 तक 793 प्रकरण दर्ज हुए, मगर 221 मामलों में समझाइश से फिर परिवार एक हो गए। परामर्शक यशोदा सोनी व संगीता चौधरी के प्रयास रंग लाए और पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज से पहले ही उन्हें हक व अधिकार मिल गए।
महिला को त्वरित न्याय ही ध्येय
जिले में कहीं भी आहत महिला की सूचना मिले तो त्वरित न्याय दिलाना ही ध्येय है। इसे प्राथमिकता में ले रखा है। सामान्य प्रकृति के मामलोंं में समझाइश करके निस्तारण करते हैं, जबकि गंभीर किस्म के प्रकरणों की जांच के बाद कार्रवाई की जाती है। महिला संबंधी सभी प्रकरण प्राथमिकता से करने के प्रयास रहते हैं। स्कूल-कॉलेज की छात्राओं को प्रताडऩा से बचाने के लिए महिला पुलिसकर्मियों की विशेष फोर्स तैयार की है, जो पूरे शहर में घूमती रहेगी।
भुवन भूषण यादव, जिला पुलिस अधीक्षक राजसमंद
आहत को मिलेगी राहत
समाज में महिला को पुरुष की तरह समानता के अधिकार प्राप्त है। समाज की सोच में बदलाव के लिए जनसहभागिता से जनजाग्रति के प्रयास करेंगे। साथ ही महिलाओं को त्वरित न्याय व राहत देने के लिए जो भी किया जा सकता है, उसके लिए मैं तैयार हूं। प्रताडि़त महिलाओं के लिए जिला स्तर पर रात्रि विश्राम के लिए भी कोई प्रयास किए जाएंगे।
अरविंद पोसवाल, जिला कलक्टर राजसमंद
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