रामपुर की राजनीति पर देश की निगाहें रहती हैं। रामपुर ने देश के पहले शिक्षा मंत्री अबुल कलाम आजाद को पहला सांसद बनाया। मुख्तार अब्बास नकवी का सियासी सफर भी रामपुर से ही शुरू हुआ। यही नहीं नवाब परिवार का भी देश की राजनीति में अच्छा दखल रहा है। प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान का नाम प्रमुख है।
कभी जलवा था आजम खान का
एक समय था जब आजम खान का इतना जलवा था कि मुलायम सिंह यादव से लेकर अखिलेश यादव तक कोई उन्हें नजरअंदाज नहीं कर पाता था। लेकिन अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के दो-दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने समेत विभिन्न मुकदमों में उन्हें सजा हो चुकी है। इन्हीं वजहों से वह सीतापुर जेल में बंद हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी को रामपुर में एक मुस्लिम चेहरे की तलाश की थी। इसके लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने नई दिल्ली स्थित संसद भवन की मस्जिद में इमामत कर रहे मोहिबुल्लाह नदवी को रामपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। वह भी आजम खान की इच्छा के विपरीत। नदवी पर आजम खान का इनकार
आजम खान के समर्थकों और सपा के स्थानीय नेताओं ने मोहिबुल्लाह को चुनाव लड़ाने से इनकार कर दिया था। लेकिन, आजम खेमे के विरोध के बाद भी मोहिबुल्लाह नदवी न सिर्फ चुनाव लड़े, बल्कि बिना किसी बड़े नेता की मदद के रामपुर से ऐतिहासिक जीत भी दर्ज की। उन्हें 481503 वोट मिले, जबकि भाजपा प्रत्याशी घनश्याम सिंह लोधी को 394069 वोट मिल सके। इस तरह उन्होंने 87434 वोटों से चुनाव जीत लिया।
सपा को आजम खान का विकल्प मिला
ऐसे में अब आजम खान के सियासी भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जानकारों की मानें तो अब सपा को आजम खान का विकल्प मिल गया है। मोहिबुल्लाह के रूप में सपा मुस्लिम वोटों को साधने का काम करेगी। लिहाजा, सपा के लिए मोहिबुल्लाह दूसरे आजम खान साबित हो सकते हैं। अब वह एक मुस्लिम चेहरे के रूप में संसद में रामपुर की आवाज बुलंद करेंगे।