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UP Politics: आजम खान की रिहाई से यूपी सियासत में हलचल! सपा को मजबूती, भाजपा को ध्रुवीकरण का सहारा

UP Politics News: आजम खान की रिहाई से उत्तर प्रदेश की सियासत नई करवट ले सकती है। उनकी मौजूदगी समाजवादी पार्टी को मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण से बचाने में मदद दे सकती है, वहीं भाजपा उनके बयानों को मुद्दा बनाकर हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की कोशिश करेगी।

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UP Politics: आजम खान की रिहाई से यूपी सियासत में हलचल! Image Source - IANS

Azam Khan release impact UP Politics: आजम खान की रिहाई का यूपी की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा? यह फिलहाल सबसे बड़ा सवाल है। समाजवादी पार्टी (सपा) उनके सहारे मुस्लिम मतों के संभावित बिखराव को रोकने की कोशिश करेगी। वहीं, आजम की तीखी बयानबाजी और पुराने विवादित बयानों को भाजपा हिंदू मतों के ध्रुवीकरण का हथियार बना सकती है। इसके साथ ही, 77 वर्षीय आजम खान के सामने खुद और बेटे अब्दुल्ला आजम के राजनीतिक भविष्य को बचाने की चुनौती भी कम नहीं है।

मुस्लिम वोटों पर सपा की पकड़

23 महीने जेल में रहने के बाद भी आजम खान की लोकप्रियता मुस्लिम समाज, खासकर युवाओं के बीच कायम है। यही कारण है कि सपा में रहते हुए उन्होंने हमेशा दबाव के जरिये अपनी अहमियत बनाए रखी। वर्ष 2009 में सपा छोड़ने पर पार्टी को खासा नुकसान झेलना पड़ा था। उस समय मुलायम सिंह यादव ने भाजपा नेता कल्याण सिंह से हाथ मिलाया था, जिससे नाराज़ होकर आजम ने इस्तीफा दिया। इस फैसले ने मुस्लिम मतों को प्रभावित किया और कांग्रेस को फायदा मिल गया।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि सपा को आजम खान के साथ सावधानी से कदम बढ़ाने होंगे। लोकसभा चुनाव 2024 में मुस्लिम वोटों का रुझान कांग्रेस की ओर भी देखा गया था। ऐसे में 2027 विधानसभा चुनाव से पहले सपा उन्हें बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर भले ही आगे न करे, लेकिन उनकी मौजूदगी पार्टी को नुकसान से बचा सकती है। जेल से रिहाई के बाद भी उनके तीखे तेवर बरकरार हैं, जिससे सपा को उनके बयानबाजी के प्रभाव पर नज़र रखनी होगी।

भाजपा को ध्रुवीकरण की उम्मीद

आजम खान की बयानबाजी भाजपा के लिए हमेशा राजनीतिक हथियार रही है। चाहे भारत माता को लेकर दिए गए विवादित बयान हों या फिर भाजपा नेताओं पर उनके हमले, इन मुद्दों ने भाजपा को चुनावी लाभ दिया है। सपा पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाना भाजपा की पुरानी रणनीति रही है। सियासी जानकार कहते हैं कि अगर आजम खान की बयानबाजी में आगे भी वही नफ़रत भरी तीखी भाषा बरकरार रही, तो भाजपा प्रदेश में हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का पूरा लाभ लेने की कोशिश करेगी।

कांग्रेस के लिए चुनौती

कांग्रेस लंबे समय से यूपी में मुस्लिम चेहरों की तलाश में है। पश्चिमी यूपी में इमरान मसूद के अलावा उसके पास कोई बड़ा मुस्लिम नेता नहीं है। ऐसे में आजम खान को अपने पाले में लेना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा। इसके अलावा, जब 2027 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा गठबंधन में लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, तब कांग्रेस के लिए मुस्लिम नेतृत्व के विस्तार की महत्वाकांक्षा को फिलहाल संयमित रखना ही बेहतर रणनीति माना जा रहा है।