
Lok Sabha Election 2024: पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रामपुर (Rampur) शहर रूहेलखंड की संस्कृति का केंद्र और नवाबों की नगरी रहा है। एक दौर में अफगान रूहेलों के आधिपत्य के कारण इस इलाके को रूहेलखंड कहा जाता है। रोहिल्ला वंश के लोग पश्तून हैं। जो अफगानिस्तान से उत्तर भारत में आकर बसे थे। रूहेलखंड सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध क्षेत्र रहा है। साहित्य, रामपुर घराने का शास्त्रीय संगीत, हथकरघे की कला, और बरेली के बांस का फर्नीचर इस इलाके की विशेषताएं हैं। अवध के नवाबों की तरह रामपुर (Rampur) के नवाबों की तारीफ गंगा-जमुनी संस्कृति को बढ़ावा देने के कारण होती है।
रूहेलखंड का एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र (Lok Sabha Constituency) है रामपुर, जहां से 1952 के पहले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल कलाम आजाद जीतकर आए थे। मौलाना आजाद के अलावा कालांतर में रामपुर से नवाब खानदान के सदस्यों से लेकर फिल्म कलाकार जयाप्रदा और खांटी ज़मीनी नेता आजम खान तक ने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। सपा नेता आजम खान (Azam Khan) का कभी रामपुर में इतना दबदबा था कि जनता ही नहीं, बड़े सरकारी अफसर भी उनसे खौफ खाते थे। उनकी दहशत के किस्से इस इलाके के लोगों की ज़ुबान पर हैं। बताते हैं कि एक अफसर उनकी डांट के कारण उनके सामने ही गश खा गया। वक्त की बात है कि आज आजम खान (Azam Khan) और जयाप्रदा जैसे सितारों के सितारे गर्दिश में हैं।
अबुल कलाम आज़ाद
इस सीट से 1952 में पहली बार कांग्रेस के मौलाना अबुल कलाम आज़ाद लोकसभा में गए थे। हालांकि उनका परिवार कोलकाता में रहता था। पर उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। उनका मुकाबला हिंदू महासभा के बिशन चंद्र सेठ से हुआ। उस चुनाव में कुल दो प्रत्याशी ही मैदान में थे। मौलाना आज़ाद को कुल 108180 यानी 54.57 प्रतिशत और उनके प्रतिस्पर्धी को 73427 यानी कि कुल 40.43 प्रतिशत वोट मिले।
पहले चुनाव को लेकर रामपुर में कुछ विवाद भी खड़े हुए थे। 1957 में मौलाना आज़ाद को रामपुर के बजाय तत्कालीन पंजाब के गुड़गांव से टिकट दिया गया जहां से वे जीते। रामपुर में 1957 के चुनाव में नवाब रजा अली खां के प्रयास से पीरपुर के राजा सैयद मोहम्मद मेहदी को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया। उस चुनाव में भी केवल दो प्रत्याशी थे। दूसरे प्रत्याशी थे जनसंघ के सीताराम। कांग्रेस को उस चुनाव में 1,27,864 यानी कि 68.39 प्रतिशत और जनसंघ के प्रत्याशी को 59,107 यानी 31.61 प्रतिशत वोट मिले।
1962 के चुनाव में रामपुर से कुल सात प्रत्याशी मैदान में थे। राजा सईद अहमद मेंहदी को 92636 और जनसंघ के शांति शरण को 48941 वोट मिले। 1967 के चुनाव में नवाब खानदान से सैयद ज़ुल्फ़िकार अली खान स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में उतरे और उन्होंने जनसंघ के सत्य केतु को हराया। कांग्रेस के राजा सईद अहमद मेहदी तीसरे स्थान पर रहे। ज़ुल्फिकार अली खान 1971 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बनकर जीते। उन्होंने जनसंघ के कृष्ण मुरारी को हराया। 1977 की जनता लहर में कांग्रेसी प्रत्याशी ज़ुल्फिकार अली खान को जनता पार्टी के प्रत्याशी राजेंद्र कुमार शर्मा ने 57.19 प्रतिशत वोट पाकर हराया।
मुस्लिम बहुल क्षेत्र
रामपुर उत्तर प्रदेश की उन चुनींदा सीटों में शामिल है, जहां 50 फीसदी से ज्यादा आबादी मुसलमानों की है। जनगणना डेटा के आधार पर राज्य के जिन 14 ‘माइनॉरिटी कंसेंट्रेशन’ जिलों को चिह्नित किया जाता है, उनमें रामपुर भी एक है। 2011 की जनगणना के अनुसार रामपुर लोकसभा क्षेत्र में कुल 50.57 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
1952 से लेकर 1971 तक एक बार छोड़कर हमेशा इस सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी ही जीतते रहे। 1977 की जनता लहर में पहली बार यहां से गैर-कांग्रेसी प्रत्याशी को जीत मिली। नवाबी खानदान से ताल्लुक रखने वाले कांग्रेस के ज़ुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां कुल पांच बार इस सीट से सांसद रहे। पहली बार स्वतंत्र पार्टी के प्रत्याशी के रूप में और फिर कांग्रेसी प्रत्याशी के रूप में। उनकी बेगम नूरबानो दो बार यहां से सांसद चुनी गईं, जबकि उनके बेटे नवाब काज़िम अली खां उर्फ नवेद मियां लगातार पांच बार विधायक निर्वाचित हुए।
मुख्तार अब्बास नकवी को हराकर बदला पूरा किया
सबसे पहले उन्होंने 1967 में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की। उसके बाद 1971, 1980, 1984 और 1989, 1996 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में उनकी पत्नी बेगम नूर बानो ने जीत दर्ज की। 1998 में हुए चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी मुख्तार अब्बास नकवी से वे हार गईं। उसके अगले साल 1999 में वे फिर जीतीं। उन्होंने मुख्तार अब्बास नकवी को हराकर अपना बदला पूरा किया।
कांग्रेस-युग का समापन
इसके बाद कांग्रेस को रामपुर में फिर जीत नहीं मिली। 2014 में बीजेपी के डॉ. नेपाल सिंह ने जीत दर्ज की। 2004 और 2009 में समाजवादी पार्टी की तरफ से बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा यहां से सांसद चुनी गईं। आंध्र प्रदेश की तेलुगू देशम पार्टी से शुरू करके जयाप्रदा ने कई प्रकार के राजनीतिक बदलाव देखे। उन्होंने अमर सिंह के साथ मिलकर एक अलग पार्टी भी बनाई। वे भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी बनकर भी रामपुर से चुनाव लड़ीं।
आजम खान का गढ़
नवाबों के बाद रामपुर की राजनीति में जिस एक नेता का बोलबाला रहा है उसका नाम है आजम खान। उन्हें मुलायम सिंह का दायां हाथ माना जाता था। 1992 में समाजवादी पार्टी के गठन का श्रेय मुलायम सिंह के साथ उन्हें भी जाता है। आजम खान की कभी पूरे उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी, रामपुर उनका गढ़ था। उनकी बुनियादी राजनीति विधान सभा से जुड़ी हुई थी। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार जब भी बनी, वे सबसे सीनियर मंत्री बने।
रामपुर से लोकसभा सदस्य (Lok Sabha Member)
1952 मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (कांग्रेस)
1957 राजा सईद अहमद मेंहदी (कांग्रेस)
1962 राजा सईद अहमद मेंहदी (कांग्रेस)
1967 ज़ुल्फिकार अली खां (स्वतंत्र पार्टी)
1971 ज़ुल्फिकार अली खां (कांग्रेस)
1977 राजेंद्र कुमार शर्मा (जनता पार्टी)
1980 ज़ुल्फिकार अली खां (कांग्रेस)
1984 ज़ुल्फिकार अली खां (कांग्रेस)
1989 ज़ुल्फिकार अली खां (कांग्रेस)
1991 राजेंद्र कुमार शर्मा (भाजपा)
1996 बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
1998 मुख्तार अब्बास नक़वी (भाजपा)
1999 बेगम नूर बानो (कांग्रेस)
2004 जयाप्रदा (सपा)
2009 जयाप्रदा (सपा)
2014 डॉ. नेपाल सिंह (भाजपा)
2019 आजम खान (सपा)
2022 घनश्याम सिंह लोधी (भाजपा)
Published on:
05 Mar 2024 05:24 pm
बड़ी खबरें
View Allरामपुर
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
