दरअसल, इस पहल में न तो केंद्र सरकार की किसी योजना का कोई धन है और न ही यूपी सरकार की किसी योजना का धन है। ये सब जिले के अफसरों ने मिलकर एक चाइल्ड केयर प्रोटेक्शन फंड बनाकर कुछ रकम इकट्ठा की। उसी फंड से इन गरीब बच्चों की सेहत व गरीब बच्चों के माता पिता को लाभ पहुचाने का काम करने की ठानी है। वहीं घर में अगर कोई माता पिता या उनका बच्चा बीमार है तो उसे इलाज के लिए अफसरों की टीम मदद करती है। आगे भी करने का प्रयास लगातार जारी है।
इस दौरान जलशक्ति मंत्री बलदेव ओळख ने अपने संबोधन में कहा कि जिलाधिकारी के नेतृत्व में इस पहल से जिले के कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार को बल मिलेगा। अफसरों की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। अफसरों से ऐसी उम्मीद नहीं जैसा उन्होंने इस जिले के लोगो के लिए करके दिखाया। ये अफसर बाकी जिले के अफसरों को भी कुछ सीख दी सकते हैं। मतलब बाकी अफसर इनसे प्रेरणा ले सकते हैं इनके कामकाज को लेकर।
वहीं जिलाधिकारी ने कहा कि बच्चों में कुपोषण एक गंभीर समस्या है जिसके निराकरण के लिए प्रशासनिक स्तर से निरंतर विभिन्न स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। शुद्ध और ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थ बेहतर स्वास्थ्य में अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही जनपद के स्वास्थ्यवर्धक एवं औषधीय गुणों वाले कृषि उत्पादों को बढ़ावा देने तथा उन उत्पादों का विभिन्न रूपों में कुपोषण को दूर करने में उपयोग करने के दृष्टिकोण से यह पहल की गई है। आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की स्वास्थ्य जरूरतों के साथ ही विभिन्न प्रकार से उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में उन्हें आगे ले जाने और उनकी सहायता के लिए जनपद स्तर पर चाइल्ड केयर एण्ड प्रोटक्शन फंड बनाया गया है। जिसमें प्रत्येक वर्ग के लोगों ने जनपद के गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों के सशक्तिकरण के लिए आर्थिक रूप से योगदान दिया है। बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए प्रारंभ की गई इस योजना में होने वाले खर्च का वहन इसी चाइल्ड केयर एण्ड प्रोटेक्शन फण्ड से किया जा रहा है।
यहां से आई बच्चों की किटें जिसमें है उनका आहार पोषण किटें रामपुर कृषक एफपीओ के माध्यम से तैयार करायी गयी हैं। पहली किट में सम्पूर्ण आहार को ध्यान में रखते हुए 18 खाद्य सामग्रियों को सम्मिलित किया गया है। जिसमें काला गेहूँ मोरिंगा दलिया, ऑर्गेनिक गुड़, आवला का मुरब्बा, बिस्कुट, काला चावल, काला नमक राइस, काला गेहूँ आंटा, मूंग दाल, मसूर दाल, पिसा सोयाबीन, राजमा, अलसी तेल, पीली सरसों तेल, हल्दी, तुलसी, मोरिंगा, शहद, खट्टी मीठी कैंडी को सम्मिलित करते हुए 30 दिन के आहार के रूप में अलग अलग मात्रा में 12 किलोग्राम की किट तैयार करायी गयी है। यह किट उन अति कुपोषित बच्चों के लिए है जो भरपूर आहार न मिलने की वजह से अतिकुपोषित हैं। इसके अलावा दूसरी किट में सुपर फ़ूड सप्लीमेंट के तहत अनुपूरक आहार पर विशेष ध्यान दिया गया है इसलिए इस किट में काला चावल का परमल, भुनी अलसी, मूंगफली, करी पत्ता, मोरिंगा, हल्दी, चीनी, सौंफ और किशमिश के मिश्रण से तैयार नमकीन और काले गेहूँ के आंटा, सूजी, तिल, बबूल गोंद, खजूर, चीनी, मोरिंगा और इलायची के मिश्रण से मीठी खाद्य सामग्री तैयार करायी गयी है। इसके अलावा आँवला के साथ ऑर्गेनिक गुड़ के लड्डू और आवंला, त्रिफला, जीरा और नमक से तैयार जूस को भी अनुपूरक आहार में सम्मिलित किया गया है।