
रामपुर। साहबजादा कर्नल यूनुस खान के बारे में डीएम की एक पोस्ट से खुलासा हुआ। आखिर सवाल यह था कर्नल यूनुस खान कौन थे? इनके बारे में रामपुर के लोग सही से जानकारी नहीं दे पाए। हालांकि जनपद के लोगों ने इतिहास से जुड़े तथ्य सामने लाने की कोशिश की। कोई कामयाब नहीं हो सका। कोई उन्हें रामपुर रियासत के मुख्यमंत्री रहे अब्दुस समद खान का बेटा बताते हैं और कुछ लोग पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री साहबजादा याकूब के भाई।
लॉकडाउन के दौरान डीएम अंजनेय कुमार सिंह फेसबुक अकाउंट के जरिये लोगों को जोड़ें हुए है। जिसके चलते उन्होंने लोगों से कर्नल यूनुस खान के बारे में जानकारी मांगी। लेकिन कोई सही जानकारी नहीं दे पाया। तीसरे दिन डीएम ने ही महत्वपूर्ण तथ्य सामने लगातेे हुए दुर्लभ फोटो पोस्ट किए हैं। साहबजादा यूनुस खान ने 1942 में ब्रिटिश इंडियन आर्मी ज्वाइन की थी। दूसरे विश्व युद्ध में ये बर्मा (रंगून) में तैनात रहे थे। उसके बाद 1945 तक इटली में रहे। विश्व युद्ध खत्म होने के बाद इंग्लैंड गए और लार्ड माउंटन बेटेन से मिले और लार्ड ने उन्हें अपना एडीसी नियुक्त किया। उसके बाद ये 1947 में भारत पाक बंटवार के दौरान उनके छोटे भाई साहबजादा याकूब खान पाकिस्तान चले गए।
बंटवारे के बाद भी यूनुस खान ने पाकिस्तान जाना अच्छा नहीं समझा। यहां तक की 1948 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के दौरान यूनुस और याकूब एक-दूसरे खिलाफ जंग लड़े। याकूब पाकिस्तान आर्मी में थे। जबकि कर्नल युनूस खान भारत के अंतिम गर्वनर जनरल सी राजगोपालाचारी और देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के एडीसी भी रहे।
1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के दौरान कश्मीर में रहे। 1965 में भारत-पाक युद्ध के बरेली में तैनात रहे। कर्नल पद से 1969 में रिटायर हुए। रिटायर्ड होने के बाद यूनुस खान गुमनामी में चले गए। 1984 में उनकी मौत हो गई। इंतकाल के बाद उन्हें भूल गए। डीएम आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि कर्नल यूनुस खान सच्चे देशभक्त रहे थे। उनकी सेवा और योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
Published on:
13 Apr 2020 04:32 pm
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