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झारखंड विस चुनाव: ‘लोहरदगा’ के सियासी मुकाबले पर स​बकि नजर, इसे लेकर तीनों प्रमुख दलों में हुई थी कलह

Jharkhand Assembly Election: झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand Election) से पहले आइए जानते है इस सीट का (Jharkhand BJP) सीयासी (Jharkhand Congress) गणित, (AJSU) आखिर क्यों इस सीट के लिए हुई तीनों पार्टियों में कलह...

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झारखंड विस चुनाव: 'लोहरदगा' के सियासी मुकाबले पर स​बकि नजर, इसे लेकर तीनों प्रमुख दलों में हुई थी कलह

झारखंड विस चुनाव: 'लोहरदगा' के सियासी मुकाबले पर स​बकि नजर, इसे लेकर तीनों प्रमुख दलों में हुई थी कलह,झारखंड विस चुनाव: 'लोहरदगा' के सियासी मुकाबले पर स​बकि नजर, इसे लेकर तीनों प्रमुख दलों में हुई थी कलह,झारखंड विस चुनाव: 'लोहरदगा' के सियासी मुकाबले पर स​बकि नजर, इसे लेकर तीनों प्रमुख दलों में हुई थी कलह

(रांची,रवि सिन्हा): झारखंड में पहले चरण में 30 नवंबर को 13 विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है। इस चरण में सूबे की सबसे हॉटकेक माने जाने वाली लोहरदगा विधानसभा सीट पर सबकी नजर बनी हुई है। आइए जानते है इस सीट का सीयासी गणित...


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लोहरदगा सीट को लेकर दोनों गुटों में रार

भाजपा-आजसू के बीच गठबंधन टूटने में लोहरदगा विधानसभा सीट भी एक प्रमुख कारण था, वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव के बीच भी मनमुटाव बढऩे का प्रमुख कारण भी यही सीट माना जा रहा है। लोहरदगा के विधायक और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखदेव भगत ने चुनाव की तिथि की घोषणा होने के कुछ दिन बाद ही पार्टी छोड़ भाजपा की सदस्यता ली, जबकि वर्ष 2014 में इस सीट पर आजसू पार्टी ने जीत दर्ज की थी, ऐसे में आजसू पार्टी इस सीट पर भाजपा के लिए अपना दावा छोडऩे को कतई तैयार नहीं थी।

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वर्ष 2009 और 2014 में चुनाव जीतने वाले आजसू पार्टी के कमल किशोर भगत की सदस्यता समाप्त हो जाने के बाद वर्ष 2015 में विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद उनकी पत्नी नीरू शांति भगत पिछले कई महीनों से चुनाव की तैयारी में जुटी थी। लेकिन जब मुख्यमंत्री रघुबर दास सुखदेव भगत के लिए इस सीट को लेकर अड़ गए, तो भाजपा का आजसू पार्टी के साथ चुनाव पूर्व गठबंधन टूट गया।

इससे पहले कांग्रेस में रहने के दौरान सुखदेव भगत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव के बीच मतभेद बढ़ते गए। रामेश्वर उरांव के अध्यक्ष बनने के बाद सुखदेव भगत को यह भय सताने लगा कि लोहरदगा से उनका टिकट कट सकता है, इस कारण समय रहते उन्होंने पाला बदल लिया। अब 30 नवंबर को होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा प्रत्याशी के रूप में सुखदेव भगत, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और आजसू पार्टी की नीरू शांति भगत आमने-सामने है।

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लोहरददगा का ऐतिहासिक महत्व


धातु नगरी लोहरदगा दो शब्दों के मेल लोहार मतलब लोहे का व्यापारी और दग्गा मतलब केंद्र से बना है। इतिहास में यह इलाका लोहा गलाने का बड़ा केंद्र था इसलिए इसका नाम लोहरदगा पड़ा। यह विधानसभा इलाका वनों-झरनों से आच्छादित है, जैन पुराणों के अनुसार भगवान महावीर का भ्रमण भी इस इलाके में हुआ था, राजाओं के महलों के अवशेष इस निर्वाचन इलाके के ऐतिहासिक महत्व को बयां करतें हैं। साल 2019 का विधानसभा चुनाव एक बार फिर सामने है और जनता के पास फिर मौका है जनादेश सुनाने का। लोहरदगा सीट पर भी पहले चरण में तीस नवम्बर को वोटिंग होगी। 2.44 लाख मतदाता करेंगे मताधिकार का प्रयोगलोहरदगा विधानसभा सीट के लिए कुल 2.44 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे, जिसमें से 1.23लाख पुरुष और 1.21लाख महिला शामिल है। इनमें से 6205 मतदाताओं की उम्र 18 से 19वर्ष के बीच है।

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