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#Ratlam जानलेवा लापरवाही: तीन साल में 1 हजार हादसे, 150 की जान गई

लेबड़ - नयागांव फोरलेन का मामला 75 किमी लम्बे मार्ग पर तीन साल में एक हजार से अधिक हादसे

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1 thousand accidents in three years, 150 died

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रतलाम. जिस 75 किमी के मार्ग पर तीन साल में एक हजार से अधिक हादसे हुए हो, 150 से अधिक की जान चली गई हो, दिशा समिति की बैठक में 2022 में ही दो बार मामला उठ गया हो, उसके लिए ही हमारे पालनहार गंभीर नहीं है। 2007 - 08 में बनकर तैयार हुए लेबड़ - नयागांव फोरलेन में रतलाम जिले में शुरू हुए हादसों का सफर इसके निर्माण के साथ शुरू हुआ जो जारी है। 2022 के दिसंबर में ही हुए हादसे में आधा दर्जन से अधिक की मौत हुई थी।

फोरलेन में जिले की बात करें तो सिमलावदा से लेकर मेवासा तक ऐसे एक दर्जन ब्लैक स्पॉट है। जहां बीते 3 वर्षों में 150 से अधिक लोगों की जान दुर्घटना में गई है। रतलाम के सातरूंडा चौराहे पर हुए भीषण हादसे में 7 लोगों की मौत के बाद पत्रिका ने हादसों को दावत दे रहे इन ब्लैक स्पॉट की पड़ताल की जहां पिछले 3 वर्षों में 1000 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। हादसे के इन ब्लैक स्पॉट को पहले भी कई बार चिन्हित किया गया लेकिन हर बार हादसे के बाद इनमें सुधार करने के कोरे आश्वासन तो दिए जाते है, लेकिन जमीनी स्तर पर हकीकत में कुछ नहीं होता है।

यहां होती सबसे अधिक दुर्घटना

● दिसंबर में सातरूंडा चौराहे पर अवैध अतिक्रमण और स्पीड ब्रेकर नहीं होना ही हादसे की सबसे बड़ी वजह बना।

● नामली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पंचेड़ फंटे पर भी स्पीड कंट्रोलर, लाइट व्यवस्था और संकेतक नहीं लगे होने की वजह से ही दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।

● धौंसवास के समीप बाजेड़ा फंटे पर जानलेवा ब्लैक स्पॉट पिछले 2-3 सालों में बन गया है। यहां करीब 20 गांव को जोडऩे वाली एमडीआर सड़क फोरलेन पर आकर मिलती है।

● फोरलेन पर सही एंट्री और एग्जिट की व्यवस्था नहीं होने से यहां प्रतिदिन 500 से अधिक वाहन गलत साइड पर करीब 1 किलोमीटर तक चलकर जाते हैं।

● इसकी वजह से इस स्थान पर भी 1 दर्जन से अधिक मौतें पिछले 2-3 सालों में हुई है।

सबसे अधिक हादसे इन स्थान पर

लेबड-नयागांव फोरलेन के इस 75 किलोमीटर लंबे हिस्से पर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों से बात की तो हादसे के करीब एक दर्जन ब्लैक स्पॉट की जानकारी दी है। 75 प्रतिशत जानलेवा हादसे इन्हीं एक दर्जन ब्लैक स्पॉट पर हुए हैं। इसमें फोरलेन पर सातरुंडा चौराहा, सालाखेड़ी तिराहा, रतलाम बाईपास रेलवे ब्रिज, सेजावता फंटा, इप्का फैक्ट्री चौराहा, बाजेड़ा फंटा, पंचेड़ फंटा, कांडरवासा फंटा, मेवासा पुलिया रत्तागढख़ेड़ा फंटा, रेनमऊ फंटा, प्रकाश नगर पुलिया आदि ब्लैक स्पॉट है। यह सभी ब्लैक स्पॉट चौराहे हैं।

हादसों के लिए हैं ये जिम्मेदार

हर बार हादसे के बाद प्रशासन, पुलिस, जनप्रतिनिधि और एमपीआरडीसी ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने और कमी सुधारने का दावा करती हैं, लेकिन जिम्मेदार ना तो फोरलेन के ब्लैक स्पॉट की कमियां ठीक करने में और ना ही हादसे को रोकने के लिए कोई खास उपाय करते हैं। दिशा समिति की बैठक में 2022 में अगस्त व दिसंबर में इस मामले को उठाया गया, लेकिन हर बार सिर्फ कोरे आश्वासन दिए गए। ऐसे में हादसे दर हादसे तो होते गए, लेकिन इनको रोकने के लिए कोई स्थाई उपाय नहीं खोजा गया।

यहां पर है हादसों वाली पुलिया

रतलाम जिले में फोरलेन की शुरुआत के साथ ही बिलपांक पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत प्रकाश नगर पुलिया खराब निर्माण की वजह से हादसों का केंद्र बन गई। निर्माण से लेकर अब तक 55 से अधिक लोग इसी पुलिया पर हुए हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं । फोरलेन की दोनों लेन यहां पर एसआर आकार बन रहा हैं। रतलाम बाईपास पर भी घटला रेलवे ओवरब्रिज की पुलिया घुमावदार डिजाइन की वजह से हादसों का केंद्र बन गई है। वहीं, नामली थाना क्षेत्र के मेवासा स्थित फोरलेन पर बनी पुलिया पर भी ढलान और घुमावदार डिजाइन की वजह से हादसे होते हैं। यहां भी अब तक 12 लोग हाथों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

बेहतर करने का प्रयास जारी

फोरलेन में ब्लैक स्पाट की तलाश करने के लिए कमेटी का गठन किया गया है। कमेटी की रिपार्ट के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।

- नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर