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घातक बीमारी से जूझ रहे यहां के लोग, हड्डियां हो रही टेढ़ी, दांत भी सड़ रहे

रतलाम जिले के 275 गांव फ्लोरोसिस से प्रभावित, बैठक में कलेक्टर ने जागरूकता लाने के निर्देश दिए।

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घातक बीमारी से जूझ रहे यहां के लोग, हड्डियां हो रही टेढ़ी, दांत भी सड़ रहे

रतलाम. मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में फ्लोरोसिस बीमारी ने अबतक 275 गांवों प्रभावित कर दिया है। इनमें सर्वाधिक 160 गांव बाजना विकासखंड में है, उसके पश्चात सैलाना विकासखंड में 66 गांव है। आलोट विकासखंड में भी 19 तथा जावरा में 21 गांव फ्लोरोसिस प्रभावित है। रतलाम विकासखंड के 4 तथा पिपलोदा विकासखंड के 5 गांव शामिल है।

उपरोक्त जानकारी सोमवार को आयोजित बैठक में दी गई। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने जिले के फ्लोरोसिस प्रभावित ग्रामों में निवारण के लिए जागरूकता के लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देशित किया। इस दौरान धार से आए रतलाम जिला फ्लोरोसिस निवारण प्रभारी डॉक्टर एमडी भारती ने फ्लोरोसिस पर विस्तार से जानकारी दी।

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फ्लोरोसीस के प्रकार

-दांतों एवं मसूडों के बीच की पकड़ कमजोर होना

-कंकालीय फ्लोरोसिस

स्थाई विकलांगता


फ्लोरोसिस से बचाव

-घरों में वाटर हार्वेस्टिंग लगया जाए, सुपारी, तम्बाकू, काली चाय, काला नमक, फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट आदि का इस्तेमाल नहीं करें।


फ्लोराइड के स्त्रोत

भूमिगत जल विशेषतः अनुपचारित जमीन का पानी, हैंडपम्प का पानी, नल अथवा कुएं का पानी, काला नमक, सुपारी, काली चाय, नींबू वाली चाय, तम्बाकू, अवसाद दूर करने वाली दवाईयां, कोलेस्ट्रोल कम करने वाली दवाईयां, सोडियम फ्लोराइड टेबलेट रोग प्रतिरोधात्मक दवाएं, टूथपेस्ट सूत्र करने वाले एजेंट, फ्लोराइड युक्त धूल, मिट्टी, खदान, औद्योगिक प्रदूषण है।

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