
modi Government anti-farmer, mp congress party said
रतलाम। देश में सरकारी कर्मचारी किस विचारधारा को पसंद करते है यह आगामी 27 व 28 नवंबर को होने वाले रेलवे के संगठन मान्यता के चुनाव से साफ हो जाएगा। देशभर के करीब 15 लाख तो रतलाम रेल मंडल के 13 हजार से अधिक कर्मचारी इस चुनाव के लिए मतदान करेंगे। करीब 6 वर्ष बाद रेलवे में संगठन की मान्यता को लेकर चुनाव की तारीख पर सहमति बन गई है। रेल संगठन के पदाधिकारियों का दावा है कि यह चुनाव के नतीजे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार व रेलमंत्री पीयूष गोयल द्वारा रेलवे में किए जा रहे निजीकरण पर असर डालेंगे।
आगामी 27 व 28 नवम्बर को यह चुनाव होंगे। मण्डल में तीनो प्रमुख संघठन के लिए करीब 13 हजार से अधिक मतदाता मतदान करेंगे। वेस्टर्न रेलवे मजदूर संघ के सहायक मण्डल मंत्री दीपक भारद्वाज ने बताया कि रेलवे बोर्ड अध्यक्ष ने तारीखों को फाइनल कर दिया है। यह चुनाव 6 वर्ष बाद हो रहे है। 6 वर्ष पूर्व हुए चुनाव में मण्डल में मजदूर संघ व यूनियन के बीच मुख्य मुकाबला हुआ था।
मान्यता पाने के लिए संघर्ष
करीब 6 वर्ष बाद होने जा रहे चुनाव में इस बार तीसरा पक्ष पश्चिम रेलवे कर्मचारी परिषद भी मैदान में है। परिषद को अभी तक मान्यता नहीं मिली है व यह संघठन मान्यता पाने के लिए संघर्ष कर रहा है। जबकि यूनियन व मजदूर संघ का वजूद पहले से है व दोनों संघठन के बीच नम्बर एक कि लड़ाई के लिए चुनाव में मुख्य मुकाबला होगा। इसमे मजदूर संघ को कांगे्रस, यूनियन को कम्यूनिष्ट तो कर्मचारी परिषद को भाजपा समर्थक माना जाता है।
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बोलबाला रहा
राष्ट्रीय स्तर पर यह संगठन भारतीय रेल मजदूर संघ के अलावा एआईएफआर व एनएफआईआर के नाम से जाने जाते है। पश्चिम रेलवे के रतलाम मंडल में अब तक मजदूर संघ का बोलबाला रहा है। यहां पर सीनियर व जुनियर इंस्ट्टियूट के कुछ माह पूर्व हुए चुनाव में मजदूर संघ की ही जीत हुई है। इसके अलावा जेसी बैंक में भी यही स्थिति रही।
मतदान केंद्र यह होंगे
इन चुनाव के लिए रतलाम में रेलवे स्टेशन, रेलवे स्कूल मुख्य रूप से मतदान केंद्र होंगे। इनके अलावा मण्डल में चित्तौडग़ढ़, उज्जैन, इंदौर, देवास, नागदा, मन्दसौर, नीमच आदि स्टेशन पर भी मतदान केंद्र होंगे। मतदान सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक होगा। दो दिन तक मतदान के बाद मतगणना होगी। इस मतगणना के नतीजे ही यह साफ करेंगे कि देश के साथ रतलाम के रेलवे कर्मचारी सरकार की निती के साथ है या विरोध में। हालांकि तब से निजीकरण की बात चली है तब से रेलवे कर्मचारियों में आक्रोश है। इससे चुनाव में असर नजर आएगा। बड़ी बात यह है कि निजीकरण के लिए जो समिति बनी है उसमे दोनों प्रमुख संगठन एनएफआईआर व एएफआईआर के राष्टीय महामंत्री शामिल है।
Published on:
30 Oct 2019 01:56 pm
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