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#Ratlam : चैत्र नवरात्र प्रथम दिन: ब्रह्ममुहूर्त में गूंजे मातारानी के जयकारों से शक्ति पीठ

रतलाम। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन मातारानी के जयकारों के साथ शक्तिपीठ गूंज उठे। शहर के मध्य गढ़ कालिका के दरबार में भक्तों ने पहुंचकर दर्शन वंदन कर हिन्दू नववर्ष की शुरुआत की। सूर्यदेव को अघ्र्य देकर वर्ष भर मंगलमय होने की प्रार्थना के साथ निरोगी के लिए नीम का शरबत भी ग्रहण किया। शहर की सामाजिक संस्था संगठनों की ओर से भाल पर केसरिया तिलक लगाकर राहगीरों को नव संवत्सर की अभिवादन करते हुए शुभकामनाओं का आदान प्रदान किया।

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#Ratlam : चैत्र नवरात्र प्रथम दिन: ब्रह्ममुहूर्त में गूंजे मातारानी के जयकारों से शक्ति पीठ

Chaitra Navratri News ratlam

चैत्र नवरात्र की मंगलमय शुरुआत के साथ ही शहर के प्राचीन शक्तिपीठों में प्रमुख मां कालिका के दरबार में ब्रह्ममुहूर्त में घट स्थापना के साथ ही दर्शनार्थ के लिए खोल दिए गए। प्राचीन शक्तिपीठों में गुणावद की हिंगलाज माता, सातरूण्डा की कंवलका माता, राजापुरा की गढ़ंखंखाई माता, पैलेस में विराजी मां पद्मावती, ऊंकाला की महिषासुर मर्दिनी, सैलाना की कालिका, पिपलौदा की सूजापुरा माता, शिवगढ़ की गरबारी माता, सुखेड़ा की काबुलखेड़ी के अलावा जावरा, आलोट, ताल क्षेत्र में भी प्राचीन माता के मंदिर है, जहां पर भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी।

गढ़ कालिका की जाग्रत प्रतिमा


चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से ही शहर की प्राचीन मां गढ़ कालिका की चमत्कारी मूर्ति के दर्शन वंदन के लिए भक्तों की भीड़ ब्रह्ममुहूर्त से उमड़ेगी। गर्भगृह में मां कालिका के साथ चामुण्डा व दक्षिणावर्ती सूंड वाले गणपति के समीप अन्नपूर्णा मां भी विराजित है। मंदिर के द्वार चांदी के बने हैं। श्रद्धालु इस स्थल को जाग्रत और पवित्र मानते हैं। प्राचीन इतिहासकारों के अनुसार माता की मूर्ति पांच सौ साल प्राचीन है और ऐसा माना जाता है कि सोढ़ा परिवार ने माता पूजन के लिए कालिका देवी की स्थापना की थी। तब से आज तक माता की आराधना भव्य स्तर होती आ रही है।

नवरात्र की हर शाम होंगे गरबारास


शारदीय के बाद यहां चैत्र नवरात्र में भी माता मंदिर में गरबारास होता है। मंदिर के हेमंत पुजारी ने बताया कि साढ़े चार बजे मंदिर के पट दर्शनार्थ खुल जाएंगे। घट स्थापना के साथ ही सुबह 6 बजे आरती की जाएगी। इसके बाद शाम 9 बजे आरती होती है। इस मध्य 7 से 9 बजे तक नन्ही बालिकाएं गरबारास करती है। प्रतिदिन माता का अलग-अलग शृंगार नौ दिन तक किया जाएगा। हजारों भक्त दर्शनार्थ पहुंचते है।