23 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

देखें video, MP में यहां निकली बन्दर की मौत के बाद अनूठी शवयात्रा, कराया मुंडन

रतलाम में अनूठा आयोजन, ग्रामीणों ने डीजे के साथ यात्रा निकालकर दी श्रृद्धांजलि

2 min read
Google source verification
ratlam vanarraj video

ratlam vanarraj video

रतलाम. हनुमानजी के अवतार माने जाने वाले वानरराज के प्रति श्रद्धा और आस्था का अनूठा नजारा शनिवार को रतलाम के कोटड़ी गांव में नजर आया। यहां के लोगों में वानरराज के प्रति गजब की श्रृद्धा दिखाई दी। दरअसल कोटड़ी गांव में एक बंदर की बीमारी के चलते मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों ने पूरे विधि-विधान से उसकी अंतिम क्रिया कि और उसके बाद वानरराज की तेरहवीं का आयोजन कर पूरे गांव को भोजन भी करवाया।

ग्राम कोटड़ी के ग्रामीणों की माने तो वानरराज को वे लोग अपने परिवार का सदस्य मानते थे, जिसके चलते उनके द्वारा उक्त आयोजन किया गया। ग्रामीणों ने बताया कि 14 फरवरी के दिन बंदर का बीमारी के चलते निधन हो गया था। दिवंगत वानरराज का गांव और आसपास के क्षेत्रों में ही बसेरा था। ग्रामीण उसे आते-जाते भोजन सामग्री देते थे। यहीं कारण है कि लोगों का इस बंदर से खासा लगाव हो गया था और उसकी मौत पर ग्रामीणों ने भी पूरी आत्मीयता से उसे अंतिम बिदाई दी थी।

मुंडन भी कराया


ग्रामीणों ने वानरराज के लिए डोल तैयार कर उसे सजाया था। फिर ढोल ढमाके के साथ कांधा देते हुए, राम नाम का उद्घोष कर अंतिम यात्रा निकाली थी। वनरराज को गढ्ढा कर गांव के पास ही दफनाया गया था। चूकि वानरराज को ग्रामीण परिवार का सदस्य मानते थे इसलिए लोगों ने गांव के ही हनुमान मंदिर पर 12 दिनों तक शोक बैठक का आयोजन किया। गांव के ही गोपालदास महाराज ने उज्जैन जाकर वानरराज की मृत्यु के बाद की सभी क्रियाएं संपन्न की और मुंडंन भी करवाया।

इनका कहना है


पगड़ी की रस्म भी की


- सभी ने मिलकर वानरराज की तेरवी पर विधि-विधान से कार्यक्रम किया है। पगड़ी भी की, होरी हनुमान जी भी गए थे। भंडारे का आयोजन पूरे गांव ने मिलकर किया।


कमलसिंह, ग्राम प्रधान

उज्जैन जाकर किया क्रियाक्रम


- वानरराज के भंडारे की इच्छा थी इसलिए सभी से चर्चा कर भंडारा किया। वानरराज के लिए बाल दिए है। उज्जैन जाकर विधि-विधान से पूरा क्रिया क्रम जो नियम से होता है, वह करवाया गया है।


गोपालदास, ग्रामीण