
मलखंभ ने दिलाई पहचान, गरीब घर की बेटियों की बड़ी उड़ान
रतलाम. आज ऐसे समय जब कई ऐसे खेल है, जिसमें सफलता से खिलाड़ी को शोहरत के साथ खूब पैसा मिलता है, जब ऱतलाम कि कुछ बालिकाएं मलखम्ब जैसे खेल से जुड़कर अपनी प्राचीन विधा को जिंदा रखने में अपनी भागीदारी निभा रही है। 7 साल से 15 साल की ये बालिकाएं कोई बड़े घरों से नहीं हैं। एक बलिका 21 साल की है, जो खुद दुसरों के घरों में झाड़ू पोछा करके अपना घर चलाने में माता-पिता की मदद करती है। मलखंब के प्रति शुरू से ही दीवानी रही ये बालिकाएं अपनी कला का प्रदर्शन कई स्थानों पर कर चुकी हैं।
मलखंब के खेल से जुड़ी इन बालिकाओं को इनके प्रदर्शन पर अभी तक किसी भी तरह का कोई प्रोत्साहन नहीं मिला है। वजह साफ है कि, ये बड़े घरों की बालिकाएं नहीं है। किसी की मां दुसरों के घरों में झाड़ू-पोछा का काम करती है तो किसी की मां सफाई कामगार है। किसी के पिता कारपेंटर हैं तो किसी के सेल्समेन। ऐसे छोटे घरों की बेटियां लगातार अपनी मेहनत के बल पर अब अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। लेकिन देश की ये प्राचीन विधा के प्रति न सरकार का और ना ही किसी संगठन का रुख अच्छा है। जिसके कारण इन नन्ही बेटियों को मेहनत का सही प्रतिफल नहीं मिल पा रहा है।
कलर्स के रियलिटी शो में दिखाएंगी प्रतिभा
हालांकि ये नन्ही बच्चियों की प्रतिभा अब टीवी चैनल पर दिखाई देगी। कलर्स टी वी ने इन बेटियों की प्रतिभा को स्थान देते हुए अपने हुनरबाज कार्यक्रम में स्थान दिया है। ये बालिकाओं ने कलर्स टीवी के हुनरबाज कार्यक्रम हेतु शूटिंग भी मुम्बई जाकर पूरी कर दी है, जिसका प्रोमो भी कलर्स टीवी पर चल रहा है।
देखने वाले रह जाते हैं हैरान
ये बलिकाएं स्कूल में पढ़ती हैं। स्कूल जाने के साथ-साथ मलखंब का प्रतिदिन सुबह शाम कुल 6 घंटे अभ्यास भी करती हैं। ये बालिकाएं जब मैदान पर पहुंचती हैं तो सबसे पहले दौड़ती हैं। फिर कुछ कसरत करती हैं, जिसे वार्मअप कहा जाता है। इसके बाद शुरू होता है मलखंभ का अभ्यास, जिसमें ये करीब 30 फिट ऊंचे बंधे रस्से पर ये मलखंभ का अभ्यास करते हुए अपने शरीर को घुमाती हैं। उसे देखकर एक बार तो देखने वाला डर ही जाए किस कहीं बच्ची का हाथ छुटा तो क्या होगा?
सरकार ने मलखंभ को किया राजकीय खेल घोषित
रस्से के साथ-साथ लकड़ी के चिकने खंभे पर अभ्यास करते हुए ये पिरामिड सहित अन्य मुद्राएं बनाती हैं। इन नन्ही बच्चियों ने जलती हुई मशाल लेकर भी मलखंभ की विभिन्न मुद्राओं के साथ साथ पिरामिड बनाना सीख लिया है। ये बच्चियों का यह हुनर बहुत जल्द देशवासी कलर्स टीवी के हुनरबाज कार्यक्रम में देखेंगे। मलखंभ को मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में राजकीय खेल घोषित किया, लेकिन इस खेल को आगे बढ़ने के लिए कोई विशेष कार्ययोजना नही बनाई। यहां तक कि अन्य खेलों के मुकाबले खिलाड़ियों को सुविधा भी नही दी जा रही है।
उतना सरल नहीं जितना लगता है
मलखंब उतना सरल नहीं है, जितना ये लगता है। मलखंब का प्रदर्शन काफी कठिन है और इसके लिए बड़ी एकाग्रता की आवश्यकता होती है। पोल पर एक्सरसाइज करने के लिए जिम्नास्ट की आवश्यकता होती है, ताकि पोल पर संतुलन बनाने के अलावा घुमा, मोड़ना और खींचना जैसे विभिन्न कार्य किए जा सकें। मल्लखंब शोधन, श्रेष्ठता, लचीलेपन की बड़ी मात्रा और सुपर रिफ्लेक्सिस की मांग करता है।
Published on:
04 Jan 2022 03:54 pm
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