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Patrika Positive News : कोरोना ग्रस्त मां की दिन-रात करता रहा सेवा, बच तो नहीं सकी मां पर दी होगी दिल से दुआ

locationरतलामPublished: May 17, 2021 07:12:00 pm

Submitted by:

Faiz

अपनी जान की परवाह किये बिना कोरोना ग्रस्त मां की सेवा करते रहे मनोज डांगी।

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Patrika Positive News : कोरोना ग्रस्त मां की दिन-रात करता रहा सेवा, बच तो नहीं सकी मां पर दी होगी दिल से दुआ

रतलाम/ एक तरफ कोरोना वायरस ( Corona Effect ) का डर लोगों में खासे तौर पर देखा जा रहा है। आलम ये है कि, कोरोना के डर से अकसर लोग तो अपने परिवार जन तो छोड़िये, अपने माता-पिता या बेटे की चिता तक को अग्नि नहीं दे पा रहे हैं। संक्रमण के भय से लोग अपने सगे का इलाज कराना ( Corona Treatment ) तो दूर पीड़ित के पास तक नहीं जा पा रहे हैं। जान पर बने संकट की इस घड़ी में शहर में ऐसे बेटे भी मौजूद हैं, जो इस युग के श्रवण कुमार ( Patrika positive ) बनकर कोरोना पीड़ित माता-पिता और परिवारजन की सेवा में लगे हुए है।

 

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परिवार को सुरक्षित कर खुद लिया मां की सेवा करने का फैसला

ऐसी ही एक मिसाल जावरा नगर के शिक्षाविद धर्मनिष्ठ दीपचंद डांगी के बेटे मनोज डांगी ने भी कलयुग का श्रवण कुमार बनकर पेश की। बता दें कि, स्व. धुलचंद को चट्टा की बेटी और मनोज डांगी की मां सोहन बाई डांगी का पिछले दिनों स्वास्थ्य खराब हुआ। परिवार ने जांच कराई, तो टाइफाइड की पुष्टि हुई। बेटे मनोज ने स्वयं अपनी मां की देखभाल करने का निर्णय लिया। हालांकि, कमजोरी बढ़ती गई। आलम ये रहा कि, माता जी में कोविड के लक्षण भी दिखाई देने लगे। ऐसी स्थिति में मनोज अपनी मां को लेकर परिवार से अलग होकर मां को आइसोलेट कर लिया। साथ ही, अपने बुजुर्ग पिता, पत्नी और छोटे बच्चों को घर के अलग हिस्से नें सेफ कर दिया।

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परिवार के अन्य सदस्यों को खतरे में नहीं डाला

शहर में मरीजों की संख्या अधिक होने के चलते अस्पतालों में व्यवस्था न होने पर मनोज अपनी बुजुर्ग मां को लेकर दूसरे शहर के अस्पताल गए, लेकिन वहां जाकर उन्हें ये अहसास हुआ कि, मम्मी बिना सहारे के उठ बैठ नहीं सकती। मरीजों की संख्या अस्पताल में अधिक होने के चलते स्टाफ की कमी होने पर पर्याप्त उपचार न मिलता देख मनोज ऑक्सीजन सपोर्ट पर मम्मी को घर लेकर लौट आए और दिन रात घर में रखकर ही जरूरी दवाओं के साथ उनकी सेवा में लग गए। इस दौरान वो खुद अपने परिवार से अलग घर के एक हिस्से में अपनी मां के साथ आइसोलेट रहे। न तो पत्नी और न बहन को उन्होंने खतरे में डालना मंजबद किया। खुद ही दिन रात अपनी कोरोना से ग्रस्त मां के इलाज में लगे रहे।


मां की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर एक बार फिर हॉस्पिटल में व्यवस्था कर स्वंय को खतरे में डालते हुए कोविड वार्ड में मां के साथ बने रहे और हॉस्पिटल में भी अपनी मां की दिन रात सेवा करते रहे। कोविड वार्ड में अटेंडेंट के सोने की व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में अपनी मां के पास रातभर बैठकर गुजार देते। अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, वैसे तो, स्टाफ की ओर से मरीज की केयर में किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी जाती। लेकिन, इन दिनों न चाहते हुए भी मरीजों की संख्या अधिक होने के कारण मरीजों को मूल उपचार के अलावा पूरी मुस्तेदी से मरीज की केयर में किसी तरह की कमी तो आ ही जाती है।

मनोज डांगी ने अपनी मां की सेवा और उनके इलाज में कोई कोर सर नही छोड़ी, लेकिन शायद नियति को कुछ और ही मंजूर था। कहते हैं… नियती के आगे सब लाचार हैं। रविवार देर शाम अंतिम सांस ली। लेकिन जाते वक्त उस माँ ने निश्चित ही अपने बेटे को जी भर के आशीर्वाद दिया होगा।

 

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