
मंगल-शनि-गुरू ग्रह 854 साल बाद एक ही राशि में
रतलाम. 29 मार्च को गुरू ग्रह मकर राशि में आ गया है मकर राशि में पूर्व में शनि अपनी स्वग्रह राशि में और मंगल राशि में है। वर्तमान में पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। इस वायरस का प्रभाव सूर्य के मेष में राशि परिवर्तन के दौरान और बढेग़ा। इसलिए इसके प्रति लॉक डाउन का पालन करते हुए घर में रहकर सतर्कता रखने की जरुरत है। 14 अप्रैल को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में आएगा तब जाकर इसका प्रभाव कम होना शुरू होगा।
ज्योतिषी रवि जैन ने बताया कि सूर्य के मेष राशि में आने के बाद धीरे धीरे कोरोना वायरस का प्रभाव कम होगा जो 4 मई तक जाकर 80 प्रतिशत तक कम होगा, लेकिन पूरी तरह इसका प्रभाव सितम्बर माह तक पूरे विश्व में खत्म हो सकेगा। ज्योतिषी जैन ने बताया कि 29 मार्च की शाम से गुरू अपनी नीच राशि मकर में आ गया है। मकर राशि में पूर्व से ही मंगल व शनि ग्रह है। इन तीन ग्रहो की युति में जहां मंगल अपनी उच्च राशि में है तो गुरू नीच राशि में और शनिग्रह अपनी स्वग्रही राशि में होगा।
1166 में बना था यह योग
ज्योतिषी जैन के अनुसार 15 अप्रैल 1166 को तीनों ग्रह मकर राशि में थे। अब 29 मार्च को 854 साल बाद तीनों ग्रह मकर राशि में 4 मई तक होगे। मंगल ग्रह ने 7 फरवरी से धनु राशि में प्रवेश किया था। उस समय केतू और गुरू धनु राशि में ही थे। ऐसे में फरवरी के बाद से कोरोना वायरस का प्रभाव ज्यादा दिखाई देने लगा। वायरस का प्रभाव 14 अप्रैल के बाद से कम होगा जो धीरे धीरे 4 मई और पूर्णत: सितम्बर माह तक कोरोना वायरस तक समाप्त हो पाएगा।
4 मई तक रहेगी यह युति
मंगल-शनि-गुरू की युति 4 मई तक रहेगी। गुरू अपनी सीधी चाल से उल्टी चाल चलकर जून ामह में पुन: अपनी स्वग्रही राशि धनु में आ जाएगा जो इस वर्ष नवम्बर माह तक रहेगा। इसके बाद फिर से मकर राशि में आ जाएगा। तीन ग्रहों की युति से सभी राशियों वालो के लिए मिलाझुला असर दिखाई देगा। मेष, कन्या, वृश्चिक, धनु के लिए अनुकूल रहेगा तो मिथुन, मकर, कुंभ के लिए मध्यम व वृषभ, कर्क, सिंह, तुला राशि वालों को सावधानी से निर्णय लेना होगा।
Published on:
31 Mar 2020 07:00 am
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