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चुनाव में केवल साढ़े तीन रुपए खर्च कर बन गए विधायक, पढ़ें एक किस्सा

(MP Assembly Election History Facts) ट्रेड यूनियन पदाधिकारियों ने संभाला प्रचार का मोर्चा, इंदौर सांसद लेकर आए झंडे व बैनर

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(MP Assembly Election History Facts) लक्ष्मण सिंह सोलंकी। इमरजेंसी के बाद वर्ष 1977 में हुए चुनाव में जिले के एक विधानसभा क्षेत्र में जनता पार्टी के बैनर तले चुनाव लडऩे वाले एक प्रत्याशी ने ट्रेन के टिकट व सरकारी फार्म पर राशि खर्च कर चुनाव जीत लिया और विधायक बन गए। जानकर हैरत होगी कि चुनाव खर्च मात्र 3.45 रुपए रहा। विधायक ने चुनाव आयोग को दिए व्यय के ब्यौरे में भी इतनी ही राशि दर्शाई थी।

बात कर रहे हैं उस समय जावरा विधानसभा सीट से जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुनाव (MP Assembly Election History Facts) लड़ विधायक बने कोमलसिंह राठौर की। पार्टी ने रतलाम से जावरा में चुनाव लडऩे के लिए भेजा था। जहां पर उनका मुकाबला कांग्रेस के रतनसिंह सोलंकी से हुआ था। रतनसिंह जावरा जनपद अध्यक्ष के साथ ही जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष भी थे। इस सीट पर हुए चतुष्कोणीय मुकाबले में कोमलसिंह राठौर 7262 मतों से चुनाव जीते थे।

लोकसभा में हारे, विधानसभा में जीते

इससे पहले हुए लोकसभा के चुनाव में जावरा-मंदसौर संसदीय सीट पर जनता पार्टी के डॉ.लक्ष्मीनारायण पांडेय करीब छह हजार वोटों से हार गए थे। बाद में हुए विधानसभा चुनाव में 320 सीटों में से 220 सीटों पर जनता पार्टी ने विजय प्राप्त की थी।

कहा-यह लड़का लड़ाकू है

बकौल राठौर जावरा में मेरा चुनाव रतलाम का जनता ने वहां पर आकर लड़ा। रतलाम से हिंदू, मुस्लिम व बोहरा समाज के लोगों के अलावा केंद्रीय व प्रांतीय ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारी व कर्मचारी वहां पर पहुंचे थेे।सभी वर्ग के लोगों ने पहुंचकर चुनाव प्रचार की बागडोर संभाली। उन्होंने घर-घर जनसंपर्क करते हुए कहा कि लडक़ा (राठौर) ईमानदार व लड़ाकू है। जनता की लड़ाई लड़ता है इसलिए हम यहां आए हैं।

पेट्रोल-डीजल रतलाम से मंगाया

राठौर के अनुसार प्रशासन ने मतदान के तीन दिन पहले हमारे प्रचार वाहनों के लिए पेट्रोल व डीजल बंद कर दिया। प्रशासन का चुनाव के दौरान शासकीय वाहनों में इनके उपयोग के लिए स्टॉक रखना पड़ता है क्योंकि यहां पर एक ही पेट्रोल पंप है। प्रशासन के मना करने पर साथियों नेे पेट्रोल-़ड़ीजल रतलाम जीवाखान पेट्रोल पंप से मंगाया।

छोटी-छोटी सभा करते थे

प्रचार के दौरान हम एक दिन पहले ही जिस क्षेत्र में जाना होता था। उसका रूट तय कर लेते थे। सुबह जीप पर माइक लगाकर निकल जाते थे। छोटी-छोटी सभा कर अपनी बात रखते थे। चुनाव के दौरान तीन बड़े नेताओं लालकृष्ण आडवानी,सुंदरलाल पटवा व मामा बालेश्वर दयाल की सभा हुई।

बाहरी बताने पर खसरा नकल निकलवाई

चुनाव के दौरान कांग्रेस व अन्य लोगों ने राठौर को बाहरी व्यक्ति बता दिया। इस पर उन्होंने सरसी के पास परिवार की भूमि की खसरा नकल निकलवाई। उसका प्रचार के दौरान उपयोग किया।

इंदौर के सांसद लाए झंडे- बैनर

राठौर बताते हैं कि झंडे-बैनर की बात आने पर उन्होंने मना कर दिया कि उनके पास पैसे नहीं है। इस पर तत्कालीन इंदौर सांसद कल्याण जैन ने कहा कि आपको कितने झंड़े व बैनर चाहिए बता दें। इसके बाद वे इंदौर से झंडे व बैनर लेकर जावरा आए।

इन्होंने संभाली कमान

रेलवे ट्रेड यूनियन के गोविंदलाल शर्मा, केंद्रीय कर्मचारी एसोसिएशन के फतेह मोहम्मद शेख, पीएनटी के हरि जोशी, प्रादेशिक तृतीय व चतुर्थ वर्ग कर्मचारी संगठन(सीबीआर) के चतुर्भुज राठौड़।

ये मिलता था विधायक को

500 रुपए मानदेय, 300 रुपए पोस्टल एवं टेलीफोन खर्च व 200 रुपए क्षेत्र में घूमने के। इस दौरान मप्र राज्य परिवहन की बस में विधायक के लिए सीट आरक्षित रहती थी।

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