
Narak Chaturdashi 2019
रतलाम। नरक चतुर्दशी 2019 को किए गए तीन कार्यो से यमराज प्रसन्न होते है। इस बार चतुर्दशी रविवार को है। रविवार सूर्य का दिन है। सूर्य को प्रणाम करके किए गए उपाय से यमराज प्रसन्न होते है व उनसे जुड़ा भय मन में से समाप्त होता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि और रविवार का दिन है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। अत: 27 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी है। जो कि दिवाली उत्सव का दूसरा दिन है। इसे रूपचतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। यह बात उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में भक्तों को कही।
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में कहा कि दरअसल नरक चतुर्दशी के दिन जो भी कार्य किये जाते हैं, वो कहीं न कहीं इसी बात से जुड़े हुए हैं कि व्यक्ति को नरक का भय न रहे। इसके साथ वह अपना जीवन खुशहाल तरीके से, बिना किसी भय के जी सके। इसलिए अपने भय पर काबू पाने के लिये इस दिन ये सभी कार्य किये जाने चाहिए।
यहां है इसका उल्लेख
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में बताया कि तिथितत्व के पृष्ठ- 124 और कृत्यतत्व के पृष्ठ 450 से 451 के अनुसार नरक चतुर्दशी को चौदह प्रकार के शाक पातों का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा दक्षिण में लोग इस दिन स्नान के बाद कारीट नामक स्थानीय कड़वा फल पैर से कुचलते हैं, जो कि सम्भवत: नरकासुर के नाश का घोतक है।
नरक चतुर्दशी का पहला कार्य यह है
तेल मालिश करके स्नान करना
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में कहा कि नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान से पहले पूरे शरीर पर तेल मालिश करनी चाहिए और उसके कुछ देर बाद स्नान करना चाहिए। दरअसल धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 74 पर चर्चा में आया है कि चतुर्दशी को लक्ष्मी जी तेल में और गंगाजल में निवास करती हैं। इसलिए नरक चतुर्दशी के दिन तेल मालिश करके जल से स्नान करने पर मां लक्ष्मी के साथ गंगा मैय्या का भी आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति को जीवन में लगातार तरक्की मिलती है।
MUST READ : दिवाली पूजा का बेस्ट मुहूर्त यहां पढे़ं
तर्पण और दीपदान
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में कि नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता के निमित्त तर्पण और दीपदान का भी विधान है। पहले तर्पण की बात कर लेते हैं। इस दिन दक्षिणाभिमुख होकर, यानि दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके, तिल युक्त जल से यमराज के निमित्त तर्पण करना चाहिए और ये मंत्र बोलना चाहिए-
यमाय नम: यमम् तर्पयामि।
तर्पण करते समय यज्ञोपवीत को अपने दाहिने कंधे पर रखना चाहिए और तर्पण करने के बाद यमदेव को नमस्कार करना चाहिए।
टहनियों को सिर पर घुमाने की परंपरा
उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिषी दयानंद शास्त्री ने रतलाम में बताया कि नरक चतुर्दशी के दिन जड़ समेत मिट्टी से निकली हुयी अपामार्ग की टहनियों को सिर पर घुमाने की भी परंपरा है। धर्मशास्त्र का इतिहास चतुर्थ भाग के पृष्ठ- 74 के अनुसार कुछ ग्रन्थों में अपामार्ग के साथ लौकी के टुकड़े को भी सिर पर घुमाने की परंपरा का जिक्र किया गया है। कहते हैं ऐसा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और व्यक्ति को नरक का भय नहीं रहता।
Updated on:
17 Oct 2019 01:11 pm
Published on:
17 Oct 2019 01:05 pm
बड़ी खबरें
View Allरतलाम
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
