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संरक्षित खेती इस साल में एक भी नहीं बने पॉली हाउस, किसान हो रहे दूर

उद्यानिकी विभाग योजना...५५ के करीब जिले में पॉली हाउस ८० प्रतिशत में किसान कर रहे केवल खीरा फसल का उत्पादन, ना लागत निकल रही, ना बाजार मिल ना ही विशेषज्ञ

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संरक्षित खेती इस साल में एक भी नहीं बने पॉली हाउस, किसान हो रहे दूर

रतलाम। संरक्षित खेती से किसानों को मोह भंग होता नजर आ रहा है, इस साल तो उद्यानिकी विभाग की योजना अन्तर्गत एक भी पॉली हाउस का निर्माण नहीं हुआ, जबकि प्रदेश में पॉलीहाउस के नाम से रतलाम का नाम पहचाना जाता रहा है। उद्यानिकी विभाग और एनएचबी की योजना अन्तर्गत जिले में करीब ५०-५५ पॉलीहाउस बने हुए है, इसमें ८० प्रतिशत में खीरा ककड़ी का उत्पादन किसान लेने को मजबूर है। हालात यह है कि नये किसान इस और रूख नहीं कर रहे हैं, तो जो पुराने किसान वह भी बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण स्थिर हो चुके हैं, यहां तक की इस साल एक भी पॉली हाउस नहीं बनाए गए और ना ही विभाग के पास लक्ष्य है। कृषकों की कहना है कि विभागीय स्तर पर पॉलीहाउस बनाने के बाद कोई कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती, यहां तक कि अन्य फसल के लिए सुविधा नहीं है और ना ही विशेषज्ञ उपलब्ध करा पाते हैं। लागत अधिक, लेबर नहीं, गर्मी में फसल लेना मुश्किल, विभागीय अधिकारियों की माने तो जिले में ८० प्रतिशत पॉली हाउस में खीरा ककड़ी का उत्पादन हो रही है, इसके अलावा कुछ में गुलाब, नर्सरी तो कोई कलर केप्शिकम ले रहा है।


गोपालपुरा के पॉलीहाउस में खीरा ककड़ी और पत्ता गोबी का उत्पादन कर रहे कृषक वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि विभाग केवल पॉली हाउस लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करता है, इसके बाद उसकी कोई मदद नहीं करता। हालात इतनी खराब है कि इनके पास कोई नवीन तकनीकी ही नहीं है। किसान अपने हिसाब जो करता वही ठीक है। पॉली हाउस में क्या लगाया और फसल कैसी है विभागीय अधिकारी कर्मचारी देखने तक नहीं आते हैं। योजना का लाभ लेने का बाद किसान केवल विभाग के चक्कर लगता है, उसी कोई सहयोग नहीं मिलता।

विभाग नहीं करता सहयोग

मयूर अग्रवाल ने बताया कि पिछले माह चली आंधी में पॉली हाउस में काफी नुकसान हुआ, इसलिए अभी खाली पड़े हैं। पॉली हाउस में लागत अधिक है, तो मार्केट भी उपलब्ध नहीं हो पाते है। उद्यानिकी विभाग से पॉलीहाउस बनाने के बाद कोई सहयोग नहीं मिलता, फसलों के जानकार विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हो पाते है और ना ही विभाग कोई नवीन तकनीकी इस बारे में बताता है। इस संबंध में कई बार विभाग को सूचित किया। कई किसान जिन्होंने बना रखे वे किराये पर देने को मजबूर है। रखरखाव, बीज, दवाई, लेबर आदि काफी महंगे है। वैसे अधिकांश किसान खीरा ककड़ी ले रहे हैं, ३-४ माह की फसल है और गर्मी में भाव भी अच्छे मिले, इसके अलावा कोई अन्य फसल नहीं ले पा रहे हैं।

इनका कहना है
विभाग का काम क्षेत्रविस्तार करना और योजना का लाभ दे देना है। पॉलीहाउस में संरक्षित खेती अच्छी हो रही है, ५५ के करीब पॉलीहाउस बने हुए है। नये किसान रूचि दिखा रहे हैं पंजीयन भी हो रहे हैं। इस साल लक्ष्य नहीं है, एक भी पॉली हाउस नहीं बना है, पिछले साल के पूरे हुए है। अधिकांश किसान सब्जी लगा रहे हैं, खीरा अधिक है। विभाग सब्सिडी देता है, इसके बाद सब्जी लगाने पर सब्सिडी है। पॉलीहाउस में कोई नवीन तकनीकी नहीं है, कम्पनी के माध्यम से समय-समय पर ट्रेनिंग होती है कृषकों की।
एसएस तोमर, उपसंचालक उद्यानिकी, रतलाम


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