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जिस मंदिर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया जलाभिषेक, वो बनेगा अब काशी की तर्ज पर

मध्यप्रदेश के रतलाम में 23 से 29 अप्रेल तक श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन हुआ था। रतलाम से करीब 20 किमी दूर बिलपांक में स्थित श्री विरुपाक्ष महादेव मंदिर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने जलाभिषेक किया था, अब उस मंदिर को काशी के श्री विश्वनाथ महादेव की तर्ज पर बनाने की मंजूरी हो गई है। इसके लिए भूमि पूजन भी सोमवार को हो गया।

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Ratlam Virupaksha Mahadev Temple

Ratlam Virupaksha Mahadev Temple

रतलाम. मध्यप्रदेश के रतलाम में 23 से 29 अप्रेल तक श्री शिव महापुराण कथा का आयोजन हुआ था। रतलाम से करीब 20 किमी दूर बिलपांक में स्थित श्री विरुपाक्ष महादेव मंदिर में पंडित प्रदीप मिश्रा ने जलाभिषेक किया था, अब उस मंदिर को काशी के श्री विश्वनाथ महादेव की तर्ज पर बनाने की मंजूरी हो गई है। इसके लिए भूमि पूजन भी सोमवार को हो गया।

रतलाम ग्रामीण क्षेत्र में बिलपांक के प्राचीन विरुपाक्ष महादेव मंदिर में काशी की तर्ज पर कारिडोर निर्माण की तैयारी की जा रही है। मंदिर भारत के पर्यटन नक्शे में सम्मिलित होगा। इसे लेकर कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम सोमवार शाम बिलपांक मंदिर परिसर में पहुंचे, वहां मौजूद ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना, पूर्व किसान आयोग अध्यक्ष ईश्वरलाल पाटीदार, अशोक पाटीदार तथा अन्य ग्रामीणजनों से चर्चा कर योजना की जानकारी दी।

लगभग साढ़े 3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे

कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने ग्रामीणजनों को बताया कि मंदिर के कॉरिडोर निर्माण पर लगभग साढ़े 3 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। समस्त राशि जनसहयोग से एकत्र होगी। विधायक दिलीप मकवाना ने भी विधायक निधि से राशि देने की बात कही। ईश्वरलाल पाटीदार ने भी कहा कि जनसहयोग द्वारा राशि एकत्र की जाएगी। उपस्थित ग्रामीणजनों ने भी सहयोग के लिए आश्वस्त किया। कॉरिडोर निर्माण के लिए बिलपांक के सभी ग्रामीणवासियों ने प्रशासन को मंदिर क्षेत्र के विकास में पूर्ण सहयोग तथा अपने भवनों को स्वेच्छा से हटाकर कॉरिडोर निर्माण के लिए भूमि प्रदान की गई है। उक्त स्थानों के रहवासियों को गांव में ही अन्यत्र स्थान पर भूमि प्रदान की गई है। मंदिर परिसर क्षेत्र में भवनों के हटने से विरुपाक्ष मंदिर परिसर के छोटे मंदिरों की भव्यता देखी जा सकती है।

भूमिपूजन किया

इसके पश्चात विधायक दिलीप मकवाना, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, ईश्वरलाल पाटीदार द्वारा विरुपाक्ष महादेव मंदिर के आसपास के रहवासियों के लिए नवीन स्थान पर घरों के निर्माण हेतु भूमिपूजन भी किया गया।

लंबे समय से चर्चा का विषय

देशभर में देवों के देव महादेव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में विरुपाक्ष महादेव का मंदिर अपनी रोचक दास्तान के साथ इतिहासकारों के लिए लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। यह मंदिर गुर्जर चालुक्य शैली (परमार कला के समकालीन) का मनमोहक उदाहरण है। वहां के स्तम्भ व शिल्प सौंदर्य इस काल के चरमोत्कर्ष को दर्शाते हैं। वर्तमान मंदिर से गुजरात के चालुक्य नरेश सिद्धराज जयसिंह संवत् 1196 का शिलालेख प्राप्त हुआ है। इससे ज्ञात होता है कि महाराजा सिद्धराज जयसिंह ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।

वर्ल्ड हेरिटेज साइट

रतलाम से 20 किमी दूर एक छोटे से शहर बिलपांक में प्राचीन विरुपाक्ष महादेव मंदिर है, जो एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। कहा जाता है कि इसके गर्भगृह में जो शिवलिंग है उसमें चमत्कारी शक्तियां है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां होने वाले यज्ञ में बनी खीर जो महिलाएं खाती हैं उन्हें संतान प्राप्ति होती है। इस यज्ञ में शामिल होने लोग देश-विदेश से हर साल यहां आते हैं।

ये हैं प्रवेशद्वार की विशेषता

प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल मंदिर की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है, मंदिर प्रवेश के समय सभा मंडप में दाहिने भाग पर शुंग-कुषाणकालीन एक स्तम्भ, जो यह दर्शाता है कि इस काल में भी यहां मंदिर रहा होगा। इस मंदिर में शिल्पकला के रूप में चामुण्डा, हरिहर, विष्णु, शिव , गणपति पार्वती आदि की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं। गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर गंगा-यमुना द्वारपाल तथा अन्य अलंकरण हैं। गर्भगृह के मध्य शिवलिंग है तथा एक तोरणद्वार भी लगा हुआ है जो गुर्जर चालुक्य शैली का है।

महादेव के इस मंदिर का इतिहास ढाई हजार वर्ष पूर्व का

जिले के बिलपांक में बना हुआ विरुपाक्ष महादेव मंदिर का इतिहास काफी प्राचिन है। इस मंदिर को कब बनाया गया व ये कितना पुराना है ये आज तक इतिहासकार भी नहीं बता पाए है, लेकिन यहां लगे हुए मौर्यकाल के एक खंबे के बारे में कहा जाता है कि वो 2500 वर्ष पूर्व का है। मंदिर के पुजारी कैलाशचंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर में मौर्यकाल का खंबा है। यूं तो अनेक खंबे है व इन खंबो की सही संख्या को कोई आज तक नहीं गिन पाया है। मंदिर में कमल के पुष्प की आकृति वाला जो खंबा है उसको 1995 में इतिहासकारों की हुई कार्यशाला में 2500 वर्ष पूर्व का बताया गया है। इसके अलावा मंदिर में उज्जैन के महाकाल मंदिर जाने के लिए गुफा भी है।

IMAGE CREDIT: patrika

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