8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

#Ratlam की सांसों में जहर घोल रहा धुआं और धूल, क्योंकि हम मास्क पहनना भूल गए

परवाह किसी को नहीं, 6 माह में रतलाम रेंज में 1123 लोग 108 एंबुलेंस से पहुंचे अस्पताल

2 min read
Google source verification
ratlam aqi news

ratlam air index news

रतलाम। हमारी सांसों में धूल और धुआं जहर घोल रहा है। यह जहर इतना धीमा है कि इसका जब गंभीर असर होता है, तब जाकर इसका नुकसान पता चलता है। छह माह में रतलाम रेंज के रतलाम, मंदसौर और नीमच में 1123 लोग 108 एंबुलेंस से अस्पताल में ऑक्सीजन लेवल बिगड़ने के बाद पहुंचे है। इसमें सबसे अधिक मरीज रतलाम और दूसरे नंबर पर अस्पताल जाने वालों की संख्या में मंदसौर का नंबर है। इसके बाद भी इस बारे में परवाह किसी को नहीं है। हम कोरोना जाने के बाद मास्क लगाना भूल गए है। यह हालात तब है, जब रतलाम में चारों तरफ सिटी फोरलेन निर्माण कार्य तेजी से जारी है व इसकी वजह से वायु प्रदूषण हर दिन 100 इंडेक्स से अधिक रहता है।

सांस की तकलीफ से जुड़े रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले 6 माह में सिर्फ 108 एंबुलेंस से ही संभाग में सांस के 1123 मरीज अस्पताल पहुंचे हैं। इसमें सबसे ज्यादा मरीज रतलाम जिले के हैं। इस मामले में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों के साथ रेंज में मंदसौर जिला दूसरे स्थान पर है। चिकित्सकों के अनुसार, तेजी से बढ़ते प्रदूषण व ठंड के चलते यह स्थिति बन रही है। ठंड के दिनों में सांस रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इससे मरीजों के फेफड़ों में ऑक्सीजन स्तर कम हो जाता है और भीड़भाड़ एवं संक्रमण भी समस्या बढ़ा रहे हैं।

रतलाम की वायु गुणवत्ता का स्तर

तारीख - वायु गुणवत्ता

8 - 120

7 - 122

6 - 123

5 - 130

4 - 124

3 - 127

2 - 132

1- 129

इन कारणों से बढ़ रहे मरीज

- अधिक मात्रा में धूम्रपान करना

- वातावरण में प्रदूषण का तेजी से बढऩा

- पूरे समय सडक़ों में उड़ती धूल का बढऩा

- एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण का फैलना

- अनुवांशिकी कारण भी जिम्मेदार

रतलाम रेंज के ये हालात

जिला - अस्पताल गए

रतलाम -460

मंदसौर - 429

नीमच - 234

कुल - 1123

एक्सपर्ट व्यू- सडक़ों की धूल हो रही जानलेवा

हमारी सांसों में धुआं और धूल ज़हर घोल रहे हैं, क्योंकि हवा में मौजूद ये सूक्ष्म कण फेफड़ों और खून में गहराई तक पहुंचकर अस्थमा, सीओपीडी, दिल की बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बनते हैं,।खासकर सर्दियों में जब प्रदूषण बढ़ता है और हर सांस भारी महसूस होती है. इससे बचने के लिए एन-95 मास्क पहनें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और गहरी सांस लेने वाले व्यायाम करें, क्योंकि अब शुद्ध हवा नहीं, बल्कि प्रदूषण हमारी सेहत तय कर रहा है।

डॉ. विनय शर्मा, जनरल फिजिशियन (मेडिकल कालेज)

सतर्कता रखना जरुरी

संभाग में प्रदूषण के चलते अस्पताल पहुंचने वालों के मामले में रतलाम का नाम दूसरे नंबर पर आना गंभीर बात है। सभी को सतर्क रहने और मास्क पहनकर ही घर से निकलने की जरुरत है।

खुशलसिंह पुरोहित, राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त पर्यावरण विशेषज्ञ

समस्या क्या है?

सूक्ष्म कण: ये छोटे ठोस और तरल कण होते हैं जो वाहनों, उद्योगों, जंगल की आग और धूल से हवा में फैलते हैं।

गहराई तक असर: जब हम सांस लेते हैं, तो ये कण फेफड़ों से खून में चले जाते हैं, जिससे ऑक्सीजन का काम बाधित होता है और शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचता है।

एक्सपर्ट के अनुसार यह है बचाव का तरीका

बाहर निकलने पर मास्क ज़रूरलगाएं. घर में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करें, प्रदूषण ज़्यादा होने पर हल्की ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें, पर्याप्त पानी पीने से फेफड़ों की गंदगी साफ होती है, सिगरेट और सेकंड-हैंड स्मोक से दूर रहें, जब हवा की गुणवत्ता खराब हो तो बाहर की एक्टिविटी कम करें।

- -डॉ अभय ओहरी, जनरल फिजिशियन