सबसे पहले अपना साहस खनिज माफिया ने वर्ष 2015 में दिखाया था। 3 जून 2015 को तत्कालीन एसडीएम संतोष कुमार दल के साथ चंबल के किनारे बसे गांव मिंडाजी गए थे। यहां पर अवैध खनन को पकड़ा तो माफियाओं ने हमले का प्रयास किया। एडीएम कुमार तो बच गए, लेकिन दो पटवारी घायल हुए थे। इसके बाद 6 दिसंबर 2016 को चंबल नदी के किनारे बने गांव ऊनी तंबोलिया में रात में एसडीएम अनुपसिंह पहुंचे थे। जेसीबी चढ़ाने का प्रयास किया थ।
जिले में सबसे पहली बार खनिज माफिया ने 8 नवंबर 2015 को हमला किया। रेत भरे वाहन को खनिज विभाग का दल पुलिस थाने ले जा रहा था। तब आलोट क्षेत्र में ताल रोड पर विभाग के दल पर हमला किया व ट्रैक्टर ट्रॉली को छूड़ाकर ले गए। इतना ही नहीं, बीचबचाव करने आए वाहन चालक जितेंद्र के साथ मारपीट की थी। 7 सितंबर 2017 को लक्ष्मीपूरा में दल ने बड़ी कार्रवाई की थी। दल ने ट्रेक्टर ट्रॉली को जब्त किया गया था। तब नायब तहसीलदार रामविलास वक्तारिया के साथ माफिया ने मारपीट की थी व उनको चोंट आई थी। इस दौरान एसडीएम के वाहन के कांच भी तोडऩे का प्रयास हुआ था।
पुलिस को खनन अधिकारी भावना सेंगर द्वारा रिपोर्ट में जो मोबाइल दिए है वह साइबर सेल में जानकारी के लिए भेजे हैं। थाना प्रभारी कैलाश सोलंकी ने बताया कि साइबर सेल की जानकारी के बाद कोई गिरफ्तारी होगी। सोमवार को जब खनिज विभाग का दल लक्ष्मीपुरा और आलोट के बीच अवैध परिवहन पकडऩे गया था तो दल पर हमला कर दिया गया था। सोमवार को ही अधिकारी ने पुलिस को पूरे मामले की जानकारी दे दी थी। अब मंगलवार को पुलिस ने सायबर सेल को वो नंबर दिए है जो खनिज अधिकारी ने दिए है। इसके बाद मामले में अब आगे की कार्रवाई होगी।