
threat of climate change in Madhya Pradesh
सिकंदर पारीक
रतलाम. मध्यप्रदेश में तेजी से जलवायु परिवर्तन हो रहा है। दिसंबर-जनवरी के बजाय इस बार नवंबर में शीतलहर है। अप्रेल में इस साल जून जैसी गर्मी रही। जब दतिया-राजगढ़ अप्रेल में सर्वाधिक गर्म रहे तो उसी दिन जबलपुर-सिवनी में ओले गिरे। बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान हो रहा है। सीजनल बारिश तो औसतन उतनी ही है, पर दिन कम हो गए। विशेषज्ञ कहते हैं, ऐसे हालात आगे और खतरे पैदा करेंगे। जंगलों की कटाई हो रही है, लेकिन पौधरोपण कागजी है। बाढ़ व अन्य प्राकृतिक आपदाओं की संख्या बढ़ने के साथ प्रदूषण और गहरा रहा है।
खास यह है कि वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट और भारत सरकार के समन्वय से प्रदेश में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पायलट प्रोजेक्ट चल रहा है। राजगढ़, सतना व सीहोर को संवेदनशील मानकर इनके 360 गांवों को क्लाइमेट स्मार्ट गांव विकसित करने की योजना तैयार की गई है। वर्ष 2019 से यह परियोजना जारी है, लेकिन नतीजे नहीं दिख रहे। कहने को तो देश में जलवायु परिवर्तन पर काम करने वाला पहला ज्ञान प्रबंधन केन्द्र मध्यप्रदेश में है।
इस साल यह संकट झेला (11 जून से अब तक)
● प्राकृतिक आपदाओं के 1011 मामले आए। प्रदेश में 42056 लोग प्रभावित हुए। हजारों मवेशियों की मौत हुई।
● 36 जगह आकाशीय बिजली गिरने से 116 लोग प्रभावित हुए। 37 स्थानों पर बाढ़ के हालात बने।
भविष्य के ये संकट
प्रदेश में बारिश का पैटर्न बदल गया है। किसान हर माह आशंकित रहते हैं। अब बाढ़ से हर साल औसत 36 जिले प्रभावित होने लगे हैं। ओलावृष्टि का पहले तीन-चार साल का चक्र था। अब ये अमूमन हर साल होती है। 28 जिले भूकंप संवेदी श्रेणी में हैं। हाल के दिनों में नर्मदा कछार के जिलों में भूकंप के कई बार झटके महसूस किए गए हैं।
जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा
मध्यप्रदेश में जलवायु परिवर्तन का खतरा मंडरा रहा है। गेहूं व अन्य फसलों के उत्पादन में 10 से 15% की कमी आई है। करीब 3000 साल से चल रहा प्रचलित पंचाग बदल गया है। पतझड़, सर्दी, गर्मी, बारिश का मौसम अब निश्चित नहीं रहा। प्रदेश में तेजी से 170 फीसदी भूजल निकाल लिया गया है। ऐसे में जलवायु परिवर्तन के खतरों से मुंह मोड़ना बड़ा खतरा बन जाएगा।
डॉ. खुशाल सिंह राजपुरोहित, पर्यावरण विशेषज्ञ
Published on:
27 Nov 2022 11:54 am
बड़ी खबरें
View Allरतलाम
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
