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2025 तक करना होगा तेज गति की ट्रेन का इंतजार

नीमच रतलाम व नीमच चित्तौडग़ढ़ दो चरण में चल रहा काम, जब तक काम नहीं तब तक होगी क्राङ्क्षसग से परेशानी, 918 करोड़ रुपए मिल गए, लेकिन 188 में किमी में काम धीमा, मामला नीमच रतलाम डबलीकरण का

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Will have to wait for high speed train by 2025

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रतलाम. रेल मंडल में चल रही रतलाम-नीमच-चित्तौडग़ढ़ रेल परियोजना ( कुल 188.73किमी) में मंडल को 918 करोड़ रुपए तो मिल गए, लेकन काम पूरा होने के लिए मार्च 2023 तक लक्ष्य लिया गया है। काम की गति के अनुसार रेल अधिकारी भी मान रहे है कि 2025 तक योजना पूरी होगी।

इससे बिजली इंजन से इंदौर से नीमच या चित्तौडग़ढ़ तक ट्रेन चल भी जाए तो भी यात्रियों को अधिक लाभ नहीं होगा, क्योंकि सिंगल ट्रैक पर सामने से कोई ट्रेन आई तो पहल ेसे स्टेशन पर खड़ी ट्रेन का ठहराव मजबूरी होगी।
रेलवे ने 2008 में चित्तौडग़ढ़-नीमच-रतलाम रेल लाइन में आमान परिवर्तन मंजूर किया था। बाद में इसके लिए राशि की मंजूरी हुई। तब से अब तक रेलवे ने महू से लेकर इंदौर व रतलाम से लेकर चित्तौडग़ढ़ तक डीजल इंजन से ङ्क्षसगल लाइन के ट्रैक पर ट्रेन चला दी।

यात्रियों को बड़ा लाभ नहीं

कुछ समय पूर्व से रेलवे ने विद्युतिकरण कार्य की शुरुआत की। इसमे महू-इंदौर से लेकर मंदसौर-नीमच तक रेलवे ने विद्युतिकरण कार्य को पूरा कर लिया। अब रेलवे चित्तौडग़ढ़ तक इस कार्य को कर रही है। रेलवे का दावा है कि मार्च के पूर्व इस कार्य को करके वो बिजली के इंजन से ट्रेन को चला देगी। इससे यात्रियों को बड़ा लाभ नहीं होगा।

यह है इसकी वजह
असल में रेलवे ने विद्यु़तिकरण कार्य को तेज करने पर तो जोर दिया, लेकिन डबलीकरण कार्य को तेज करना भूल गए। अब स्थिति यह है कि दो चरण में चल रहा यह काम को पूरा करने का लक्ष्य भले 2023 का हो, लेकिन जो गति है उससे यह तय है कि यह 2025 तक पूरा नहीं होगा। इससे ही यात्रियों को बिजली इंजन से ट्रेन चलने से अधिक लाभ नहीं होगा।

IMAGE CREDIT: Manoj Dewangan

लक्ष्य पर पूरा करने को कहा गया है
योजना अपनी गति अनुसार चल रही है। इसको तय लक्ष्य पर पूरा करने के निर्देश पूर्व से जारी किए गए है। क्राङ्क्षसग में अधिक समय नहीं लगता है। उस समय ठहराव सुरक्षा कारणों से जरूरी है।
- आरएन सुनकर, मंडल रेल प्रबंधक