
विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी चेहल्लुम (Photo Source- Patrika)
Hussain Tekri Chehlum :मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के जावरा विकासखंड में विश्व प्रसिद्ध हुसैन टेकरी पर चेहल्लुम का मुख्य आयोजन गुरुवार की रात संपन्न हुआ इस दौरान धधकते अंगारों से इमाम हुसैन की शहादत की याद में गुजरते हुए आग पर मातम कर मनाया गया रात में चुल में सबसे पहले चयनित दूल्हे निकले उसके बाद शिया समुदाय के पुरुष व महिलाओं के निकलने का क्रम शुरू हुआ शिया समुदाय के महिला और पुरुष के निकलने के बाद चुल क्षेत्र को प्रशासन को हवाले कर दिया गया उसके बाद आम जायरीन चुल पर से निकलकर अपनी आस्था प्रकट की शुक्रवार को यहां लंगर का आयोजन किया गया। खास बात है कि, इस लगंर को हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर आयोजित करते हैं। पिछले 23 साल से यह कार्यक्रम किया जा रहा है। इसी के साथ चेहल्लुम का समापन हुआ।
आलोट में हिंदू-मुस्लिम एकता कमेटी ने इस साल भी शुक्रवार को हुसैन टेकरी शरीफ के चेहल्लुम पर लंगर का आयोजन किया है। इसे हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोग मिलकर करते हैं। पिछले 23 साल से यह कार्यक्रम किया जा रहा है।
शुक्रवार को हुई अलविदा मजलिस के साथ चेहल्लुम के आयोजन का समापन हो गया। इससे पहले गुरुवार हुसैन टेकरी पर खून बहता हुआ दिखा बड़ी संख्या में अलग-अलग संगठनों ने मातमी जुलूस निकालकर हुसैन की याद में खून बहाया। बड़ी संख्या में महिलाओं ने भी मातमी जुलूस में भाग लिया। वहीं, दोपहर में टेकरी पर स्थित सभी रोजे का लोभान लेने हजारों की संख्या में भीड़ जमा हुई। यहां देर शाम तक सभी धर्मों के अकीदतमंदों के आने का सिलसिला जारी रहा।
टेकरी पर होने वाले चेहल्लुम के आयोजन में पहले एक ही चुल से लाखों लोग निकालते थे। वहां हादसे के बाद प्रशासन ने इसे दो करवाई और अब ये 4 में तब्दील हो गई है। गुरुवार को इन चार चुल में से धधकते अंगारों पर से चलकर आस्था के साथ लोग निकले। इसमें सबसे पहले लॉटरी सिस्टम से चयनित हुए। 48 धुले निकले उसके बाद शिया समुदाय के पुरुष और महिलाओं के निकलने का दौर शुरू हुआ। इन सब के निकलने के बाद चुल में पानी और दूध डालकर इसे ठंडा कर दिया गया और प्रशासन के हवाले कर दिया गया। इसके बाद आम आकिगतमंदों के निकलने का दौर शुरू हुआ, जो अगले दिन भी लगातार जारी रहा।
मुख्य आयोजन मातम-ए-खंदक में सबसे पहले निकलने वाले दूल्हों का नाम लकी ड्रा के माध्यम से चयन होता है। लॉटरी के माध्यम से चयन हुए दूल्हे चुल के ऊपर या हुसैन या हुसैन के नारों के साथ धधकते अंगारों पर से धीरे-धीरे गुजरते हैं
मुख्य आयोजन को लेकर जिगजैग वो पड़ाव स्थल बनाए गए थे, जिसमें मुख्य आयोजन के स्थान पर भीड़ न हो इसलिए आम जनता को बैरिकेट्स के अंदर पड़ाव स्थल पर ही रोक दिया गया शिया समुदाय के लोगों के निकलने के बाद जिकजैक में लोगों को चुल के लिए छोड़ा गया। परिसर में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन पूरी तरह मुस्तेद दिखाई दिया प्रशासन ने चुल से निकलने वाले जायइरीनों को सबसे पहले पड़ाव स्थल में एकत्रित किया उसके बाद जब चुल में आम श्रद्धालुओं के लिए निकलने का दौर शुरू हुआ तो पड़ाव स्थल से दो-दो की लाइन बनाकर प्रशासन ने सबको जिकजैक में छोड़ा और इस को पार करते हुए श्रद्धालु चुल स्थल तक पहुंचे इस में से निकलकर अपनी मन्नत को पूरा किया।
रात में मुख्य आयोजन में सबसे पहले निकलने वाले दुल्हनों का चयन लकी ड्रा के माध्यम से दोपहर में किया गया इसमें 42 दूल्हों के नाम निकले जो सबसे पहले खंदक ऐ के मातम में धहकते अंगारों पर से निकले।
हुसैन टेकरी पर मुख्य आयोजन को लेकर कलेक्टर राजेश बाथम एसपी अमित कुमार एसडीएम त्रिलोचन गोड़, सीएसपी युवराज सिंह चौहान, पूर्व सीएसपी दुर्गेश आर्मो एसडीओपी संदीप मालवीय औद्योगिक थाना प्रभारी विक्रम सिंह चौहान चौकी प्रभारी कुलदीप पटेल आदि व्यवस्था में पूरे समय मौजूद रहे। हर समय प्रशासन का अमला टेकरी पर होने वाली हर गतिविधि पर नजर रखता रहा। भीड़ के बीच में पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए पूरे समय घूमते हुए दिखाई दिए।
हुसैन टेकरी की स्थापना करीबन 142 साल पहले साल 1882 में हुई थी। यहां चेहल्लुम की शुरुआत 82 साल पहले पहले चेहल्लुम मनाया गया था यूं तो देश भर के कई राज्यों में अनेक स्थान पर चेहल्लुम मनाया जाता है लेकिन जावरा की हुसैन टेकरी को दूसरा कर्बला कहा जाता है, इसलिए यहां के चेहल्लुम का एक अपना ही महत्व है। पहले कर्बला जो कि, इराक में है इसलिए वहां पर अधिकतर श्रद्धालु जा नहीं पाते हैं, इसलिए उसी के रूप में यहां पर भी चेहल्लुम का आयोजन किया जाता है। चेहल्लुम में सबसे अधिक संख्या में शिया श्रद्धालु यहां पर आकर मातम मनाते हैं उसी के साथ मुख्य आयोजन मातम ऐ खंदक मनाया जाता है चुल में अलमदार सबसे पहले ध्वज लेकर इस में से निकलते हैं उसके बाद इसमें से चयन हुवे दूल्हे के बाद शियायों के निकलने का सिलसिला शुरू होता है।
चेहल्लुम में मातम ऐ खंदक का आयोजन करने वाले शिया संगठन के हुसैनी मिशन प्रमुख अफजल मुकदम और मुनव्वर मुकादम ने बताया कि, यहां पर में भले ही 80 सालों से चेहल्लुम मनाया जा रहा हो लेकिन देश दुनिया में हमारे पूर्वज 1400 सालों से इसे मानते आ रहे हैं खंदक में अंगारों पर चलने की परंपरा का हमारी किसी किताब में जिक्र या कोई वैकल्पिक तथ्य नहीं है यह पूर्णत आध्यात्मिक और आस्था से जुड़ा मामला है पूर्वजों के समय जब किसी ने पूछा कि हजरत साहब में आपकी कितनी आस्था है तो उन्होंने जलते हुए अंगारों पर से निकाल कर बता दिया कि देख लो जलते हुए अंगारे से गुजर गए और हजरत साहब नाम लेते हुए गुजर गए इसलिए नाम में ही वो सकती है जो अंगार भी हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सके उसी के बाद से खंदक में अंगारों पर से निकलने की परंपरा की शुरुआत हो गई और वह निरंतर 80 सालों से अभी तक चली आ रही है।
चेहल्लुम का आयोजन इस बार भारी बरसात के मौसम में होने पर प्रशासन बहुत अलर्ट मोड पर दिखाई दिया प्रशासन ने व्यवस्थाओं का विस्तार किया बैरिकेट्स का रूट डेढ़ किलोमीटर से बढ़कर 3:30 किलोमीटर तक का कर दिया था इसमें से होकर पढ़ाओ में से चल तक जाने के लिए श्रद्धालुओं को कम से कम 4 घंटे का समय लगा और बैरिकेडिंग्स के अंदर 3 लेयर की सुरक्षा का घेरा बनाया गया जिससे यहां से निकलने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न ना हो सके और ना ही भगदड़ जैसा कुछ हो सके प्रशासन ने सुरक्षा के भी मन कल इंतजाम किए थे।
चेहल्लुम के मुख्य आयोजन के दिन गुरुवार सुबह से ही तेज बारिश का दौर जारी रहा दोपहर में तो बारिश थोड़ी सी बंद हुई परंतु प्रशासन ने बारिश के मौसम को देखते हुए हुसैन टेकरी कमेटी को पहले ही हिदायत दी थी कि आम श्रद्धालुओं के रुकने के लिए वाटरप्रूफ टेंट बनाए जाएं पहले 8 वाटरप्रूफ टेंट बनाएं गए थे परंतु बारिश को देखते हुए इसमें दो वाटरप्रूफ टेंट की ओर बढ़ोतरी कर दी गई साथ ही हुसैन टेकरी में सभी रोजे के दरवाजे भी 24 घंटे के लिए खोल दिए गए जिससे अगर रात में भी बारिश तेज हो जाती है तो जाहिर इनकम से कम रोज के अंदर जाकर बारिश से बच सके और बारिश के दौरान कोई हादसा ना हो।
Published on:
16 Aug 2025 10:09 am
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