
kids playing on computer
बच्चों का रुझान आजकल कंप्यूटर के प्रति अधिक है, चाहे होमवर्क हो, सवालों का जवाब हो, बच्चे कंप्यूटर के सामने चिपके रहते हैं। बच्चे सबसे अधिक कम्प्यूटर पर गेम खेलते हैं। किंतु अध्ययनों में सामने आया है कि बच्चे के हाथ में लैपटॉप या कम्प्यूटर देने से इसका फायदा कम और नुकसान ज्यादा हो सकता है। इससे उनकी पढऩे की क्षमता प्रभावित होने के साथ ही उनकी गणित की योग्यता पर असर पड़ता है। कम्प्यूटर का इस्तेमाल करने वाले १० से १४ साल की उम्र के डेढ़ लाख बच्चों पर किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि कम्प्यूटर से बच्चों के पढऩे तथा गणित की क्षमता पर काफी असर पड़ा। शोध के अनुसार, ‘घरों में अभिभावकों की देखरेख में बच्चे अगर कम्प्यूटर का इस्तेमाल करें, तो अच्छा भी साबित हो सकता है। लेकिन होता अक्सर यह है कि अभिभावक बच्चों को कम्प्यूटर के लिए पूरी छूट दे देते हैं। इससे उल्टे परिणाम आ सकते हैं।
ये होता है असर
दिमाग पर: बच्चों का कम्प्यूटर पर अधिक बने रहना उनकी स्मरणशक्ति कमजोर कर सकता है। अल्जाइमर और निद्रा का शिकार हो सकते हैं।
आंखों को नुकसान : स्क्रीन से लगातार सॉफ्ट रेडियेशन की किरणें निकलती रहती हैं, जिनका आंखों पर बुरा असर पड़ता है। दृष्टि दोष व आंखों में दर्द जैसी समस्या हो सकती है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव : कम्प्यूटर पर गेम खेलने के लिए बच्चे बाहर खेलने जाने से बचते हैं। दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने में भी आनाकानी करने लगते हैं, जिसका उनके शारीरिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
उपाय...
बच्चों को लगातार कम्प्यूटर पर काम न करने दें।
कम्प्यूटर पर काम करते समय उन्हें एंटी-ग्लेयर चश्मे पहनाइए।
कम्प्यूटर में अधिक गेम डाउनलोड न करें।
बच्चे जब काम कर रहे हों तो आप भी उनके साथ बैठें।
44% बच्चे छुपाते हैं इंटरनेट एक्टिविटी
वर्तमान में बच्चों को इंटरनेट से दूर रखना या ऐसा सोचना नामुमकिन है। लेकिन इंटरनेट उनके लिए खतरनाक चीजों से भरा पड़ा है। ग्लोबल साइबर सिक्यूरिटी कंपनी कस्पेस्र्की लैब्स ने यूरोप के एक लीडिंग चाइल्ड एंड युथ रिसर्च एजेंसियों आइकॉनकिड्स एंड युथ, और यूरोपियन स्कूलनेट के साथ मिलकर एक शोध किया जिसके मुताबि$क पाया गया की 44 प्रतिशत बच्चे संभावित रूप से खतरनाक ऑनलाइन एक्टिविटी अपने पेरेंट्स से छिपाते हैं । ‘बच्चे जितने बड़े होते जाते हैं वो उतना ही छुपाते हैं। 8 से 10 साल की उम्र में 33 फीसदी बच्चे वेबसाइट पर होने वाली बातों को अपने पेरेंट्स को नहीं बताते हैं। लेकिन 14 से 16 की उम्र आते-आते ये आंकड़ा बढक़र ५१ फीसदी हो जाता है।’ टॉप अपराधियों की बात करें तो 12 फीसदी अनुचित खेल और फिल्मों के दृश्यों से जुड़े होते हैं।
यूरोपियन स्कूलनेट के सीनियर एडवाइजर जेनिस रिचर्डसन के अनुसार- ये बहुत जरूरी है कि पेरेंट्स ऑनलाइन खतरों की जानकारी रखें और जितना हो सके साइबर सेफ्टी का इंतजाम करें और बच्चे की लाइफ का हिस्सा बनें। भले ही वो ऑनलाइन हो या ऑफलाइन। बच्चों को इस बात का अहसास दिलाएं की चाहे कुछ हो जाए आप उसकी बात सुनने को और हेल्प के लिए हमेशा तैयार हैं।
Published on:
01 Sept 2017 11:46 am
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