21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अरावली की वादियों में स्थित प्राचीन Baleshwar Mahadev Temple, 12.5 फीट गहराई में भी नहीं मिला शिवलिंग का अंत

Baleshwar Mahadev Temple: अरावली की हरी-भरी वादियों में स्थित है प्राचीन बालेश्वर महादेव मंदिर, जो आस्था और रहस्य का अद्भुत केंद्र है। यहां विराजमान शिवलिंग की गहराई अब तक मापी नहीं जा सकी है। ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है, जिसकी गहराई आज तक एक रहस्य बनी हुई है।

2 min read
Google source verification

भारत

image

MEGHA ROY

Jul 16, 2025

Neemkathana Shiva Temple

Neemkathana Shiva Temple

Baleshwar Mahadev Temple: राजस्थान के नीमकाथाना क्षेत्र में स्थित बालेश्वर महादेव मंदिर न केवल श्रद्धा और आस्था का केंद्र है, बल्कि यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और रहस्यमयी इतिहास के कारण भी विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सावन का महीना शुरू होते ही यहां शिव भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां भगवान शिव बालस्वरूप में पूजित होते हैं। हर सोमवार को जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। आइए जानते हैं इस प्राचीन मंदिर का रहस्यमयी गहराई।

प्राचीनता की गवाही देता शिलालेख

मंदिर परिसर की उत्तरी दीवार पर गणेश प्रतिमा के नीचे प्राकृत भाषा में खुदा एक शिलालेख भी मिला है, जो इस मंदिर की प्राचीनता और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है। मान्यता है कि इस भव्य शिवधाम का निर्माण सूर्यवंशी राजाओं ने करवाया था।

शिवलिंग की रहस्यमयी गहराई

इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को प्राकृतिक रूप से निर्मित माना जाता है। पुजारी लीलाराम योगी के अनुसार, उनके पूर्वजों ने करीब 400 वर्ष पहले इसकी गहराई जानने के लिए खुदाई की थी। लेकिन 12.5 फीट गहराई तक खुदाई करने के बावजूद भी शिवलिंग का अंतिम छोर नहीं मिला। हैरानी की बात यह है कि खुदाई के दौरान मधुमक्खियों का अचानक हमला हुआ और खुदाई को बीच में ही रोकना पड़ा।

हरियाली से घिरा आध्यात्मिक स्थल

बालेश्वर धाम अरावली की हरी-भरी वादियों के बीच स्थित है। यहां पहुंचने वाला रास्ता खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों से लुभाता है। मंदिर परिसर में शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा और प्रकृति का अनुपम संगम देखने को मिलता है, जो यहां आने वाले हर भक्त को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

अमृत कुंड का रहस्य

मंदिर के पीछे स्थित गुलर के पेड़ की जड़ में बना कुंड आज भी रहस्य बना हुआ है। यहां से लगातार जल प्रवाहित होता रहता है, लेकिन यह जल कहां से आता है, इस सवाल का जवाब आज तक विज्ञान भी नहीं ढूंढ पाया है। स्थानीय लोग इसे 'अमृत कुंड' कहते हैं और इसे शिवधाम का चमत्कार मानते हैं।

कैसे पहुंचें बालेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर नीमकाथाना से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन नीमकाथाना है, जो जयपुर, दिल्ली और सीकर से जुड़ा हुआ है। रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 10 किलोमीटर है।

सावन में उमड़ता श्रद्धा का सैलाब

सावन के महीने में यहां भक्तों का जमावड़ा लगना स्वाभाविक है। हर सोमवार को जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और भजन-कीर्तन जैसे आयोजनों से मंदिर प्रांगण भक्तिमय हो जाता है।