
Bhadrapada mahina kab se shuru hai
Bhadrapada 2025 Start Date: हिंदू पंचांग में भादो मास एक ऐसा समय है जब भक्ति और उत्सव दोनों का संगम देखने को मिलता है। भादो महीना 10 अगस्त से शुरू हो रहा है जिसमें कई महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व और व्रत आते हैं। यह समय ऋतु परिवर्तन का होता है, इसलिए सेहत और धर्म दोनों का खास ध्यान रखना चाहिए। ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार इस माह में कई उत्सव आ रहे हैं जो बेहद ही खास हैं, जैसे भादो में भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। आइए जानते हैं भादो महीना कब खत्म हो रहा है और क्या है आने वाले त्योहारों को मनाने के सही नियम, जिससे देवी-देवताओं की कृपा बनी रहे हमेशा।
वर्ष 2025 में भादो माह की शुरुआत 10 अगस्त को होगी और इसका समापन 7 सितंबर को भादो पूर्णिमा के साथ होगा। इसी दिन पितृ पक्ष की भी शुरुआत होगी। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस माह में सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश होता है, जो धार्मिक अनुष्ठानों के प्रभाव को कई गुना बढ़ा देता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह महीना अगस्त और सितंबर के बीच आता है और इसे भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण, भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
शास्त्रों में भाद्रपद को पूजा-पाठ, व्रत और दान-पुण्य के लिए श्रेष्ठ समय बताया गया है। मान्यता है कि इस माह में जो भक्त पूरे मन से भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इस समय पवित्र नदियों, विशेषकर गंगा में स्नान का विशेष महत्व है। यदि गंगा स्नान संभव न हो, तो किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना भी उतना ही फलदायी है। साथ ही, तुलसी दल और माखन का भोग भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
भाद्रपद महीना त्योहारों की रौनक से भरा रहता है। इस पावन मास में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, राधा जन्मोत्सव, गणेश चतुर्थी, कजरी तीज, हल षष्ठी, ऋषि पंचमी, अनंत चतुर्दशी, कुश अमावस्या और विश्वकर्मा पूजा जैसे पर्व प्रमुख हैं। इस समय लड्डू गोपाल की स्थापना, शंख की प्रतिष्ठा, श्रीमद्भागवत गीता का पाठ और संतान गोपाल मंत्र का जाप जीवन में सुख, समृद्धि और संतान सुख प्रदान करता है।
भाद्रपद माह में कुछ विशेष धार्मिक और सात्विक कार्य करना अत्यंत शुभ माना गया है। प्रतिदिन भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी पत्ता और माखन का भोग अर्पित करें। गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करें। सात्विक और हल्का भोजन ग्रहण करें और तुलसी जल का सेवन करें। इन नियमों का पालन न केवल आध्यात्मिक शांति देता है बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।
इस पवित्र समय में कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं। कच्चे और बासी भोजन का सेवन न करें, दही और गुड़ को एक साथ खाने से बचें। मांसाहार और मदिरा का पूरी तरह त्याग करें। रविवार को बाल न कटवाएं और नमक का अधिक सेवन न करें। इन निषेधों का पालन करने से भाद्रपद मास का पुण्यफल कई गुना बढ़ जाता है।
Published on:
09 Aug 2025 05:13 pm
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