5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पांचवें दिन ऐसे करें प्रेम और वात्सल्य की मूरत स्कंद माता की पूजा, जरूर लगाएं केले का भोग

Chaitra Navratri 2023 Fifth Day: Worship of Skandmata ki Puja Vidhi: मां के 5वें स्वरूप का यह नाम उन्हें भगवान कार्तिकेय (skand ki mata) से मिला है। मां दुर्गा इस रूप में कुमार कार्तिकेय को जन्म देने के कारण स्कंद माता कहलाई हैं। पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें स्कंद माता की पूजा-अर्चना का विधान।

2 min read
Google source verification

image

Sanjana Kumar

Mar 24, 2023

navratri_ka_panchvan_din_skandmata_ki_puja_vidhi_aur_mantra.jpg

Chaitra Navratri 2023 Fifth Day: Worship of Skandmata ki Puja Vidhi: नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की पूजा-अर्चना का विधान माना गया है। इस दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता को ममता की मूरत, प्रेम और वात्सल्य का प्रतीक माना गया है। मां के 5वें स्वरूप की पूजा रविवार 26 मार्च को की जा रही है । पत्रिका.कॉम के इस लेख में जानें स्कंद माता की पूजा-अर्चना का विधान।

मां देती हैं गोद भरने का आशीर्वाद
जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आती है या आ रही हो, उन्हें मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि आदिशक्ति का यह स्वरूप संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाला स्वरूप है। स्कंदमाता की पूजा में कुमार कार्तिकेय का होना भी जरूरी बताया गया है।

ऐसा है स्कंदमाता का स्वरूप
मां के इस स्वरूप की बात करें तो, इनकी चार भुजाएं हैं और इन्होंने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है। इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल लिया हुआ है। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा है और नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल लिया हुआ है। ये सिंह की सवारी करती हैं। क्योंकि यह सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, इसीलिए इनके चारों ओर सूर्य सदृश अलौकिक तेजोमय मंडल सा आभा बिखेरता दिखाई देता है। सर्वदा कमल के आसन पर विराजे रहने के कारण इन्हें पद्मासना कहकर भी पुकारा जाता है।

पूजा सामग्री की थाली में याद से रख लें ये सामान
स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने का विशेष महत्व माना गया है। इन्हें सुहाग का सामान जैसे, लाल चुनरी, सिंदूर, नेलपेंट, बिंदी, मेहंदी, लाल चूडिय़ां, लिपस्टिक इत्यादि अर्पित करना चाहिए। नवरात्रि के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री, अक्षत समेत लाल फूल मां को अर्पित करने चाहिएं। ऐसा करने से महिलाओं का सौभाग्य जागता है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इनकी पूजा-अर्चना भी मां दुर्गा के अन्य स्वरूपों की तरह ही की जाती है।

यह है स्कंदमाता का ध्यानमंत्र
' मां के इस स्वरूप का ध्यान मंत्र यह है।
सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।'

मां को पीली वस्तुएं हैं प्रिय, केले का भोग जरूर लगाएं
स्कंदमाता को भोग स्वरूप पीली वस्तुएं प्रिय हैं। लेकिन मां के इस स्वरूप पर केला फल जरूर अर्पित करें। केसर डालकर पीली खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं।

ये भी पढ़ें:Navratri 2023: कन्या पूजन के समय ध्यान रखें ये बात, आपकी एक गलती से आपसे रूठ सकती हैं मां दुर्गा